प्रेस क्लब की मेहफिल में एक से एक गीत पेश हुए

ajaymeru press clubगांधी भवन स्थित अजयमेरू प्रेस क्लब की हर शनिवार को होने वाली गीत संगीत की साप्ताहिक मेहफिल में इस बार एक से एक गीत प्रस्तुत किए गए। वरिष्ठ पत्रकार राजेंद्र गुंजल ने ए हरिहरण का भजन-स्वीकारो मेरे परणाम से मेहफिल का आगाज किया। अनिल गुप्ता ने मोहम्मद रफी का कालजयी नगमा-तुम मुझे यूं भुला ना पाओगे सुनाया। उन्होंने जगजीतसिंह की गजल-आईना मुझसे मेरी पहली सी सूरत मांगे भी सुनाई। वरिष्ठ पत्रकार डॉ. रमेश अग्रवाल पूरी तैयारी के साथ आए। उन्होंने मुकेश का दर्द भरा नगमा-भूली हुई यादों मुझे इतना ना सताओ अब चैन से रहने दो मेरे पास ना आओ सुनाकर खूब तालियां बटोरीं। क्लब की गतिविधियों में रूचि लेने वाले खिलाड़ी अतुल दुबे ने आज बेहतरीन नगमे गुनगुनाए। उन्होंने मोहम्मद रफी के श्रेष्ठ नगमों में से एक-रंग और नूर की बारात किसे पेश करूं, हेमंत कुमार के दो बेहतरीन नगमे-या दिल की सुनो दुनिया वालों, रात ढल चुकी है आज दिल उदास है सुनाकर खूब दाद लूटी। योगेंद्र सेन खूब रंग में थे। उन्होंने-कभी कभी भगवान को भक्तों से काम पड़ता है, ऐसी लागी लगन मीरा हो गई मगन, श्याम पिया मोहे रंग दे चुनरिया जैसे बेहतरीन भजन सुनाए। उन्होंने मुकेश के नगमे-चांद आहें भरेगा, चांदी की दीवार न तोड़ी, आजा रे अब मेरा दिल पुकारा और लता मंगेशकर का कालजयी नगमा-जादूगर सैंया पड़ूं तोरी बईंयां हो गई आधी रात सुनाए। विजय कुमार हंसराजानी ने किशोर कुमार का गीत- तेरे जैसा यार कहां कहां ऐसा याराना सुनाया।
वरिष्ठ पत्रकार अशोक शर्मा की तैयारियों में आज भी कोई कमी नहीं थी। उन्होंने किशोर कुमार का बेहतरीन नगमा-ये दिल ना होता बेचारा कदम ना होते आवारा, मोहम्मद रफी का नगमा-बे खुदी में सनम उठ गए जो कदम आ गए पास हम सुनाया। सरदार जीएस विरदी तीन हफ्तों की व्यस्तता के बाद आज मेहफिल में लौटे और छा गए। उन्होंने भूपेंद्र का एक बेहतरीन नगमा-दिल ढूंढता है फिर वही फुर्सत के रात दिन सुनाकर शुरुआत की। बाद में उन्होंने-दिल तो बच्चा है जी, ऐसी उलझी नजर हटती नहीं, सांझ ढले गगन तले और नीला आसमां सो गया जैसे बेहतरीन नगमे भी तरन्नुम में गुनगुनाए।
प्रताप सिंह सनकत ने आज भी कई बेहतरीन नगमे सुनाए। उन्होंने-किशोर कुमार के दो सदाबहार गीत-ये क्या हुआ कैसे हुआ, ये शाम मस्तानी मदहोश किए जा सुनाए। बाद में लता मंगेशकर का सुरीला गीत-जैसे राधा ने माला जपी श्याम की मैने ओढ़ी चुनरिया तेरे नाम की, मोहम्मद रफी का नगमा-आज की रात मेरे दिल की सलामी ले ले, चराग दिल का जलाओ बहुत अंधेरा है और मुकेश का बेहतरीन नगमा-कहीं दूर जब दिन ढल जाए सुनाए। आनंद शर्मा अज्ञात ने अपनी कविताएं-मौत तुम सच हो सुनाकर खूब दाद बटोरी। सरदार सुरजीत सिंह ने किशोर कुमार का अमर गीत-चिंगारी कोई भड़के तो सावन उसे बुझाए सुनाया। अमरसिंह राठौड़ ने मुकेश-लता का बेहतरीन नगमा-इक प्यार का नगमा है मौजों की रवानी है सुनाया।
प्रताप सिंह सनकत

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