ब्रम्हा मंदिर को अधिग्रहण किये जाने की राजनीति के पीछे क्या है छुपा हुआ एजेंडा

किस खास मकसद से लाखो हिन्दुओ की आस्था के केंद्र ब्रम्हा मंदिर को बनाया जा रहा है विवादित •••

राकेश भट्ट
राकेश भट्ट
विश्व के एक मात्र जगत पिता ब्रम्हा मंदिर को पुष्कर नगर पालिका बोर्ड द्वारा आज साधारण सभा में अधिग्रहण किये जाने का प्रस्ताव बहुमत से पारित कर दिया गया । बैठक में पहला प्रस्ताव मंदिर को अधिग्रहण किये जाने का ही था जिसका वार्ड न 17 के पार्षद ओम प्रकाश पाराशर ने विरोध किया। परंतु पार्षद महेश पाराशर , शिव स्वरूप महर्षि सहित बाकी सभी सदस्यों ने सहमति देकर इसे पारित कर दिया । हालांकि इतना होने के बावजूद अभी तक इस पर आगामी एक सप्ताह के दौरान अंतिम निर्णय अधिशाषी अधिकारी गजेन्द्र सिंह रलावता को लेकर राज्य सरकार के पास भेजना है ।

पिछले दस दिनों से लगातार इस मुद्दे पर हर कोई चर्चा कर रहा है । चर्चा यह भी है की पूर्व में जब लहरपूरी के कार्यकाल के दौरान मधु कुमारी नामक कथित महिला अपनी मनमानी करती थी । लाखो रूपये के चढ़ावे को अपने शौक मौज में खर्च करती थी । मंदिर की सम्पत्तियो को जमकर खुर्द बुर्द करती थी । तब क्यों किसी राजनेता ने उसके खिलाफ आवाज नहीं उठाई ।जब इतनी बुरी स्थिति में भी किसी ने मंदिर का अधिग्रहण करने की पहल नहीं की तो अब आखिर ऐसी कौनसी परिस्थिति आ गई जिसके बाद इतना हल्ला मचाया जा रहा है ।

आज सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर किस राजनैतिक एजेंडे के तहत मंदिर को विवादित बनाया जा रहा है । मंदिर महंत सोमपुरी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी , मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे , कलेक्टर गौरव गोयल , को पत्र लिखकर पालिकाध्यक्ष कमल पाठक पर संगीन आरोप लगाये है । पत्र में बताया गया है कि पाठक ने मंदिर की संपत्ति में निहित 3 दुकानों पर कब्जा कर रखा है । उन्ही दुकानों की रसीद में उन्हें किरायेदार बनाये जाने के लिए पिछले लंबे समय से सोमपुरी पर दबाव बनाया जा रहा था । लेकिन इसके बाद भी सोमपुरी दबाव में नहीं आये ।

इसी मामले में कुछ महीनो पूर्व नगर पालिका ने सभी नियम कायदों को भुलाकर विवादित दुकानों से सटे मदन माली के रेस्टॉरेंट की चबूतरियो को भी कौर्ट से स्टे होने के बावजूद तोड़ दिया था । तब भी महंत सोमपुरी ने मदन माली की तरफदारी कर पालिका कार्यवाही का विरोध किया था । जिसके बाद पालिका ने महंत के खिलाफ राजकाज में बाधा डालने का मुकदमा तक दर्ज करवाया । लेकिन उस मामले में भी पालिका को बैकफुट पर आना पड़ा ।

तभी से ही सोमपुरी पालिकाध्यक्ष के निशाने पर है । माना जा रहा है की जब महंत पर किसी तरह का दबाव काम नहीं आया तो फिर बोर्ड मीटिंग में प्रस्ताव लाकर मंदिर को ही अधिग्रहण किये जाने का मास्टर स्ट्रोक खेलने का निर्णय किया गया । ताकि महंत की गद्दी को खतरे में देखकर सोमपुरी भी अन्य लोगो की तरह नतमस्तक हो जाये और बाद में उनसे सभी सही गलत काम करवाये जा सके ।

लेकिन इस मामले में भी सोमपुरी ने हार नहीं मानकर इस लड़ाई को प्रधानमंत्री तक ले जाने की तैयारी कर ली है । जानकारों की माने तो जो आरोप महंत कमल पाठक पर लगा रहे है उसके मजबूत प्रमाण भी उनके पास मौजूद है । इस पूरे मामले में जीत चाहे किसी भी पक्ष की क्यों ना हो लेकिन देशभर में पुष्कर तीर्थ की छवि जरूर धूमिल हो रही है , जिसकी भरपाई नहीं की जा सकती ।

राकेश भट्ट
प्रधान संपादक
पॉवर ऑफ़ नेशन

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