माहौल को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि पुष्कर में इस बार होने वाले चुनाव काफी तनावपूर्ण होंगे। इससे इनकार भी नहीं किया जा सकता। समाज के बुजुर्गों से पता चला कि पूर्व में जब भी पुष्कर धर्मशाला के चुनाव हुए तब तनातनी हुई। इस बार भी होने का अंदेशा है। इसके मद्देनजर सुरक्षा के लिए पुलिस प्रशासन से मदद मांगी गई है। हंगामे की वजह हर बार यही होती है कि समाज बदलाव चाहता है मगर वर्तमान पदाधिकारी सेवा के लिए और समय मांगते हुए सत्ता छोड़ना नहीं चाहते। शायद यही वजह रही कि बीते 9 वर्षों से लगातार एक ही कार्यकारिणी कार्य कर रही है। हैरत की बात है कि 60 वर्ष की आयु होने पर तो सरकार भी सेवानिवृत्ति दे देती है। वर्तमान अध्यक्ष बाबूलालजी उपाध्याय तो 61 वर्ष पूर्ण कर चुके हैं। ऐसे में इस बार उन्हें भी बड़प्पन दिखाते हुए अपने पद की लालसा त्याग कर स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले लेनी चाहिए। वैसे भी वे अपने अमूल्य जीवन के 9 साल समाज को समर्पित कर चुके हैं। अब समाज के नए सेवकों को सेवा का अवसर दिया जाना चाहिए। इस बार कई लोग कतार में हैं जिन्होंने खुली आंखों में सेवा की सोच के साथ सत्ता का सुख भोगने का सपना संजोया है। इनमें कुछ ऐसे भी हैं जो बदलाव के लिए कुछ भी कर गुजरने को तैयार हैं।
सामाजिक विकास के लिए बेशक बदलाव हो मगर सभी को याद रहे कि किसी भी स्थिति में सामाजिक बिखराव न हो। मिलकर प्रयास करें कि लोकतांत्रिक प्रकिया का सम्मान हो। समाज बहुमत के आधार पर जो आदेश दे उसकी पालना सुनिश्चित की जाए। नई शपथ के साथ सहयोग की सोच बने। नई पीढ़ी को प्रेरणा मिले। याद रखें अगर बिखराव हुआ तो बहुमान नहीं हो पाएगा।
-सुमित सारस्वत ‘SP’, सामाजिक विचारक, मो.09462737273