जब से नए जिला कलेक्टर गौरव गोयल आए हैं, अजमेर का जिला प्रशासन यकायक सक्रिय नजर आने लगा है। उन्होंने आते ही अपने चैंबर में कैद रहने की बजाय फील्ड में जा कर अजमेर की समस्याओं को जानने की कोशिश की और जहां-जहां मौका मिला त्वरित कार्यवाही की है। उन्होंने स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट पर गंभीर प्रयास तो शुरू किए ही हैं, अन्य अनेक समस्याओं पर भी गहराई से कार्यवाही कर रहे हैं। राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने उन्हें विशेष अधिकार दे कर भेजा है, इसी कारण जनप्रतिनिधि उनके काम में दखल नहीं दे रहे।
यूं तो जिला कलेक्टर गोयल आते ही सक्रिय हो गए थे, मगर जिस दिन से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने अजमेर को गंदा शहर बताया है, वे विशेष रूप से सक्रिय हो गए हैं। ज्ञातव्य है कि आगामी 15 अगस्त को होने वाला राज्य स्तरीय स्वाधीनता दिवस समारोह अजमेर में होना है। इसी के मद्देनजर जिला कलेक्टर गोयल ने सबसे ज्यादा जोर अस्थाई व स्थाई अतिक्रमणों को हटाने पर दिया है। जहां जहां भी बाधा अथवा जनविरोध सामने आ रहा है, वे खुद मौजूद रह कर सुलह करवा रहे हैं। ऐसे में जनप्रतिनिधियों का भी फर्ज है कि वे भी जनहित को ध्यान में रखते हुए जनविरोध पर काबू पाने में प्रशासन की मदद करें। कहने की जरूरत नहीं है कि वोटों की राजनीति के चलते कई जगह हो रखे अतिक्रमण नहीं हटाए जा पा रहे। जनप्रतिनिधियों को चाहिए चंद लोगों के वोटों की खातिर आम जनता की सुविधा का गला न घोटें।
यह सुखद बात है कि शहर के सबसे व्यस्ततम मार्ग बजरंग गढ़ से जेएलएन तक की सड़क को चौड़ा किया जा रहा है। अनेक सड़कों को पोल मुक्त करने पर कार्यवाही शुरू कर दी है। इसी प्रकार उनके ही निर्देश पर नगर निगम सफाई पर विशेष ध्यान दे रहा है। समझा जाता है कि मुख्यमंत्री के अजमेर आने से पहले अजमेर का अधिकतर हिस्सा अतिक्रमण और गंदगी से मुक्त हो जाएगा। अजमेर वासियों के लिए यह सचमुच सुखद है कि मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के अजमेर आगमन के बहाने ही सही, कुछ तो सुधार हो रहा है। उल्लेखनीय है कि अजयमेरू टाइम्स ने मुख्यमंत्री के आने के मौके पर अधिकाधिक लाभ उठाने की कई बार अपील की है। अगर सभी जनप्रतिनिधि अजमेर के हित को ध्यान में रख कर एकजुट हो कर कुछ बड़े चुनिंदा काम करवा लें तो बहुत अच्छा रहेगा। कहने की जरूरत नहीं है कि स्वाधीनता समारोह के बहाने कई मंत्री व बड़े अधिकारी अजमेर में होंगे, अत: उनका ध्यान आकर्षित करने के लिए सभी सामाजिक व स्वयंसेवी संस्थाओं को सक्रिय हो जाना चाहिए।
मगर अहम सवाल ये है कि सुधार का यह सिलसिला कहीं स्वाधीनता समारोह के साथ ही थम न जाए। हालांकि जैसा कलेक्टर गोयल का मिजाज है, ऐसा संदेह करना ठीक नहीं, मगर अमूमन ऐसा पाया जाता है कि किसी भी अभियान के वक्त तो प्रशासन सक्रिय रहता है, मगर बाद में फिर ढर्रे पर आ जाता है।
