राजस्थान पुलिस में जातिवाद का ज़हर

राजेश टंडन
राजेश टंडन
ट्रान्सफर पोस्टिंग के लिये अगर जातिवाद का सहारा लिया जाये तो वो भी उचित नहीं है परन्तु एक दुखद प्रसंग अजमेर में 15 अगस्त की तैयारियों के दौरान पुलिस लाईन में प्रभारी बाईक स्टण्ट मैन और दो महिला कॉन्सटेबलों ने ज़हर पीकर जान देने की कोशिश की जिन्हें जे.एल.एन. अस्पताल में भर्ती कराया गया और उनकी हालत स्थिर बनी हुई है। मुख्यमंत्री महोदया को राज्य स्तरीय स्वतंत्रता दिवस समारोह में 15 अगस्त को टैटू शो (बाईक स्टण्ट) दिखाने के लिये राजस्थान पुलिस ट्रेनिंग सेन्टर, जोधपुर से टीम आई हुई है, टीम के लीडर भरत सिंह हैड कॉन्सटेबल हैं और उनके सारे शिष्य उन पर जान देते हैं, उनको गुरू का सम्मान देते हैं, वो हिन्दुस्तान के सर्वश्रेष्ठ बाईक स्टण्ट के जांबाज़ के रूप में जाने जाते हैं, उनको उनके उपअधीक्षक जग्गूराम जातीय आधार पर प्रताडि़त करते हैं और फूटी आंख देखना नहीं चाहते, किसी ना किसी तरह उन पर दोषारोपण करते हैं, जबकि भरत सिंह के नेतृत्व में टीम ने सदा उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है। जग्गूराम अपनी ही जाति के लोगों को प्रोत्साहित करते रहते हैं और गैर जाति के लोगों को हतोत्साहित करते हैं ऐसा आरोप टैटू शो की टीम ने लगाया है जो सार्वजनिक रूप से अखबारों में साया हुआ है और सार्वजनिक रूप से सबने पढ़ा है भरत सिंह को टीम से हटा दिया गया इससे दुःखी होकर उन्होंने दरवाजा बन्द कर ज़हर पी लिया और बेहोश हो गये जो मर्णासन अवस्था में आ गये हैं अपने गुरू की यह हालत देखकर उनकी दो महिला कॉन्सटेबल शिष्याओं – कोटा की आरती राजावत और बीकानेर की दिनेश कुमारी भी डिप्रैशन में आ गईं और उन्होंने भी फिनाईल पीकर आत्महत्या की कोशिश की जिनको भी अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
जग्गूराम के व्यवहार की वजह से पूरी की पूरी टीम ही डिप्रैशन में आ गई है, राज्य स्तरीय समारोह में रोमांचक कर्तब दिखाने से पहले उन्होंने पुलिस लाईन में रोमांचक कर्तब दिखाने शुरू कर दिये है क्यों कि श्री भरत सिंह को टीम प्रभारी पद से हटाकर लक्ष्मण सिंह को प्रभारी पद पर लगा दिया और भरत सिंह को रिलीव होने के लिये कहा इससे पूरी टीम अवसाद में आ गई और सभी सदस्यों को गहरा झटका लगा। जग्गूराम द्वारा जातिवाद किये जाने की शिकायत कई बार उच्च अधिकारीयों से की गई, परन्तु बेचारे उच्च अधिकारी खुद भी गाहेबगाहे इसी बीमारी ग्रसित हैं और उनमें कोई कार्यवाही करने क्षमता नहीं है इसलिये वो सुनकर भी अनसुना कर देते हैं, हालात तो यहां तक बिगड़े कि एक सिपाही ने अस्पताल में जग्गूराम के समर्थन में अपना सिर दीवार से फोड़ने की कोशिश की उसको बड़ी मुश्किल से पकड़ा गया।
आने वाले भविष्य के लिये इस प्रकार की घटनाएं बहुत दुखद हैं और चिन्ता का विषय हैं। जातीय आधारों पर चुनावों में टिकिट तो दिये जा सकते हैं, सरकारें बचाने के लिये राजनीतिज्ञों के कहने से ट्रान्सफर पोस्टिंग भी किये जा सकते है पर अगर ट्रेनिंग और प्रशिक्षण में यह ज़हर घुल गया तो भगवान ही मालिक है, आगे-आगे देखिये होता है क्या ? क्यों कि टैटू शो में अपनी जान की बाजी लगाकर स्टण्ट मैन अपने कर्तब दिखाते हैं, घुड़सवार घोड़े दौड़ाते हैं, पुलिस बैंड अपनी सुरीली धुनों से जनता का मनोरंजन करता है और पुलिस के जवानों का मनोबल उंचा उठाता है, इन तीनों विभागों में तो रिश्वत भ्रष्टाचार की संभावना ना के बराबर है अगर फिर भी यहां जातिवाद होता है तो बड़ा दुखद है।
पूर्व में ही राजस्थान पुलिस का बहुत बड़ा नुकसान ए.पी. और सी.पी. को मिलाकर किया जा चुका है जिससे ना तो लाईनों में परेड ठीक हो रही है और ना ही पुलिस थानों में पुलिसिंग ठीक हो रही है। ए.पी. के लोग पुलिस थानों में लगने हेतु लालायित हैं ना तो उन्हें पुलिसिंग आती है और ना ही कानून व्यवस्था को संभाल पाते हैं। इसी प्रकार लाईन में ना तो परेड, पी.टी. ठीक हो रही है क्यों कि सी.पी. के लोगों को लाईन में लगा दिया जाता है जो अपना समय निकालते हैं और पुलिस थानों में लगने की 24 घण्टे कोशिश करते रहते हैं। जातिवाद के इस ज़हर से सरकार को पुलिस को बचाना होगा, जातीय आधार पर पोस्टिंग करना और एम.एल.ए./एम.पी. की डिजा़यर पर पुलिस अधिकारी लगाना बन्द करना होगा, नहीं तो ‘‘एक ही उल्लू काफी था बरबादे गुलिस्तां करने को, यहां तो हर शाख पर उल्लू बैठा है, अन्जामे गुलिस्तां क्या होगा?

राजेश टंडन, वकील, अजमेर।

error: Content is protected !!