*अब ब्यावर के एक प्रतिष्ठित व्योपारी का वीडियो जो वायरल हुआ। उसने सभी को झकझोर दिया हे।* आज मै भी उसे देख दंग रह गया। ये वीडियो आम व्यापारी की पीड़ा हे। क्या अपनी बपौती भूमि पर निर्माण कराना जुल्म हे? वो आवासीय भी हो सकता हे और व्यवसायिक भी। *शहर में अनेको ऐसी सरकारी भूमि हे जिन पर भूमाफियो के नाजायज कब्जे हे। कई ऐसी संस्थाओं की जमीने हे जहां बड़े बड़े व्यवसायिक काम्प्लेक्स खड़े हो गये। तब ये राजनेता अधिकारी तथाकथित शहररक्षक और भी ना जाने कौन कौन…! सब के सब कहा छुप गये थे?* ब्यावर में इन दिनों देखा जा रहा हे। जहा कही भी निर्माण कार्य चालू होता हे। ये समाजसेवक मधुमख्खियों जेसे टूट पड़ते हे। जेसे कि वो भूमि मालिक बहुत बड़ा गुनाह करने जा रहा हो। *नगर परिषद उसका नक्शा पास करती हे। सही हे कि नही ये केवल और केवल उसी पार्षद की ड्यूटी हे जो उस क्षेत्र से चुना गया हे।*
नियम विरुद्ध हे तो पार्षद को अपने वीटो का इस्तेमाल करना चाहिए। अगर यह सब ईमानदारी से होता हे तो आयुक्त-सभापति की भी क्या मजाल हे कि वे कोई नक्शा नियम विरुद्ध पास कर दे? लेकिन दुःख होता हे कि इस सब भ्रष्ट व्यवस्था के शिकार ही आम शहरी हो रहे हे। *आज बी एल टावर के मालिक को सड़क पर खड़े होकर जिस तरह अपनी पीड़ा को प्रदर्शित करने को बाध्य होना पड़ा हे। उससे पूरा शहर शर्मसार हुआ हे।* इससे पता चलता हे कि इस नागरिक को पग पग पर कितना प्रताड़ित होना पड़ रहा होगा। इससे ज्यादा दुर्दशा एक व्योपारी की भला और क्या होगी…? जबकि शहर की सकड़ी गलियों तक में नियम विरुद्ध काम्प्लेक्स की भरमार हो रही हे। वो इन राजनेताओं अधिकारियों समाजसेवको को नही दिख रही हे। *इन मामलो में मोटी सेटिंगो ने इन सब को सूरदास बना दिया हे।*
बेशक…वीडियो में जेसा कि ये बता रहे हे। इन्होने भी सरकारी व राजनितिक स्तर पर *इंधन* की आपूर्ति की होगी। लेकिन कमी कहा रह गई…! यह तो वो ही जाने। यह मामला इसलिए भी गम्भीर हो जाता हे कि स्वयं विधायक तक ने इसे पहले कलेक्टर व फिर मंत्री के दरबार में उठाया हे। *दूसरी ओर इनकी ही नामित सभापति ने बी एल को क्लीन चिट दी हे।* इसलिए होना तो यह चाहिए कि इस मामले की ईमानदारी से निष्पक्ष जांच हो। जिससे कि आम निवेशक को बार बार इस कदर जलील नही होना पड़े।
*सिद्धार्थ जैन पत्रकार, ब्यावर (राजस्थान)*
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