अजमेर जिले के सलेमाबाद में स्थित निम्बार्क पीठ के आचार्य श्री श्रीजी महाराज मकर संक्रांति के दिन शनिवार को सुबह नौ बजे पार्थिव देह त्याग कर ब्रह्मलीन हो गए।
किशनगढ़ के पास सलेमाबाद में स्थित श्री निम्बार्काचार्य पीठ के वर्तमान आचार्य श्री राधासर्वेश्वरशरण देवाचार्य जी महाराज का जन्म 10 मई 1929 को निम्कार्क तीर्थ निवासी गौड़ विप्र वंश में हुआ। माता का नाम स्वर्णलता(श्री सोनी बाई) व पिता का नाम श्री रामनाथ शर्मा गौड़ इंदोरिया था। महाराजश्री का बाल्यकालीन नाम रतनलाल था। 7 जुलाई 1940 में उन्होंने पीठाधिपति श्री श्रीजी बालकृष्ण शरण देवाचार्य महाराज से दीक्षा ली। उन्होंने मात्र 14 साल की उम्र में ही कुरुक्षेत्र में अखिल भारतीय साधु सम्मेलन की अध्यक्षता की। सन् 1970 में उन्होंने लगभग तीस हजार भक्तों के साथ श्रीब्रज चौरासी कोसीय पद यात्रा की। विक्रम संवत 2031 में उन्होंने अखिल भारतीय सनातन धर्म सम्मेलन किया। इसके बाद विक्रम संवत 2050 में आचार्यपीठाभिषेक के अद्र्धशताब्दी पाटोत्सव स्वर्ण जयंती के मौके पर अखिल भारतीय सनातन धर्म सम्मेलन आयोजित किया। आचार्यश्री के प्रयासों से ही सर्वेश्वर संस्कृत महाविद्यालय, श्रीनिम्बार्क दर्शन विद्यालय व वेद विद्यालय का संचालन होता रहा है। पीठ से श्री सर्वेश्वर मासिक पत्र व श्री निम्बार्क पाक्षिक पत्र का नियमित प्रकाशन हो रहा है। आचार्यश्री ने हिंदी ब्रज भाषा में 35 से अधिक ग्रंथों की रचना की। वे संस्कृत, हिंदी, बंगला व राजस्थानी भाषा के विद्वान तो हैं ही, आयुर्वेद व संगीत कला के भी मर्मज्ञ थे।
