भाजपा का विरोध टकराव के संकेत तो नहीं?

bjp-logoशहर जिला कांग्रेस की ओर से शनिवार को आहूत अजमेर बंद का शहर भाजपा कड़ा विरोध कर रही है। यह एक सामान्य प्रक्रिया है। विरोधी दल को सरकार की नीतियों का विरोध करने का लोकतांत्रिक अधिकार है तो सत्तारूढ़ दल को डिफेंड करने का। मगर कांग्रेस की बंद की अपील के विरोध में भाजपा ने जो लिखित बयान जारी किया है, उससे टकराव की आशंका उत्पन्न हो गई है।
शहर भाजपा अध्यक्ष अरविंद यादव की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि वे कांग्रेस के जबरन बन्द कर विरोध करेंगे। बिलकुल जबरन बंद का विरोध करना वाजिब है। जबरन बंद होना भी नहीं चाहिए। साथ ही सच्चाई ये ही है कि किसी भी विवाद से बचने के लिए व्यापारी वर्ग अपने प्रतिष्ठान बंद कर ही लेता है, चाहे वह सहमत हो या नहीं। ऐसा पहले भी कई बार हुआ है। भाजपा की ओर से बंद में भी ऐसा ही होता रहा है। बंद कराने का भाजपा का अनुभव कांग्रेस से अधिक ही है। आमतौर पर सत्तारूढ़ दल विपक्ष के विरोध के अधिकार की रक्षा करते हुए उसमें हस्तक्षेप नहीं करता। बंद करवाने वाले शहर में निकलते हैं, मगर सत्तारूढ़ दल के कार्यकर्ता शांत बैठे रहते हैं। छिटपुट टकराव की बात अलग है, मगर सांगठनिक रूप से प्रतिकार स्वरूप मैदान में आने के उदाहरण नजर नहीं आए हैं। कदाचित ऐसा पहली बार हो रहा है कि भाजपा ने बाकायदा ऐलान किया है कि बंद के दौरान उसके पदाधिकारी व कार्यकर्ता शहरभर में घूम कर जबरन बंद कराने का विरोध करेंगे। समझा जा सकता है कि इसका परिणाम क्या होगा। बंद करवाने वालों की भीड़ वाहनों में निकलती है तो माहौल तनिक भययुक्त हो ही जाता है। ऐसे में अगर बंद का विरोध करने वाले भी मैदान में आ डटेंगे तो निश्चित ही टकराव हो सकता है। भीड़ की एक मानसिकता होती है। उस पर आम तौर पर नियंत्रण नहीं होता। पुलिस तंत्र ही उस पर अपने तरीके से काबू पाता है। इस बीच किसी असामाजिक तत्व ने अगर कोई हरकत की तो ये पता भी नहीं लगेगा कि किसकी ओर से हुई। यह स्थिति शहर की शांति व्यवस्था के लिए ठीक नहीं है। बेहतर ये होता कि सत्तारूढ़ दल भाजपा सरकारी एजेंसी पुलिस पर भरोसा करती, दुकान खुली रखने वालों की रक्षा पुलिस ही करती, मगर वह खुद ही मैदान में आने को आतुर है तो इसका मतलब ये है कि उसका पुलिस पर भरोसा नहीं है। यानि कि अगर किसी कांग्रेसी ने कानून हाथ में लेकर किसी दुकानदार पर बंद करने का दबाव बनाया तो भाजपा वाले भी कानून में हाथ में ले लेंगे। यह बहुत घातक होगा। देखना है कि प्रशासन व पुलिस किस प्रकार इस संभावित टकराव से निपटता है।

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