धर्मेश जैन को भुला दिया शिवशंकर हेडा ने

धर्मेश जैन
धर्मेश जैन
राजनीति में आदमी कितनी संकीर्ण मानसिकता तक जा सकता है, इसका उदाहरण पेश किया है अजमेर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष शिवशंकर हेडा ने। उन्होंने अजमेर में महाराणा प्रताप स्मारक की परिकल्पना करने और उसका शिलान्यास करवाने वाले अपनी ही पार्टी के पूर्व नगर सुधार अध्यक्ष धर्मेश जैन को महाराणा प्रताप जयंती पर होने वाले कार्यक्रम से पूरी तरह से अलग-थलग करने की कोशिश की है। सच तो ये है कि उन्होंने शिलान्यास से लेकर पिछले साल तक हर वर्ष जयंती मनाने वाली समिति पर ही कब्जा कर लिया है। इतना सामान्य शिष्टाचार तक नहीं रखा कि जैन को जयंती समारोह मनाने के लिए एडीए में आयोजित बैठक में बुला लेते।
ज्ञातव्य है कि जैन पुष्कर घाटी में नौसर माता मंदिर के पास स्थापित महाराणा प्रताप स्मारक पर हर साल जयंती मनाते हैं। इसके लिए एक समारोह समिति भी बनी हुई है। मगर मूर्ति की स्थापना के बाद पहली बार आ रही जयंती के मौके पर होने वाले समारोह को एडीए ने अपने कब्जे में ले लिया है। हेडा चाहते तो अपने पद की गरिमा रखते हुए उसी समिति को जयंती समारोह मनाने में सहयोग करते, मगर निहित उद्देश्य को लेकर उन्होंने अपनी अध्यक्षता में एडीए में बैठक आयोजित की और तय किया कि महाराणा प्रताप जयंती के मौके पर पूर्व संध्या पर 27 मई को सांस्कृतिक कार्यक्रम व जयंती के दिन 28 मई को वाहन रैली व कवि सम्मेलन आयोजित किया जाएगा। इसके लिए नई समिति की गठन भी किया गया है, जिसमें आनन्द सिंह राजावत, डॉ. अरविन्द शर्मा गिरधर, रासबिहारी गौड़, कंवल प्रकाश, सोमरत्न आर्य, नरेन्द्र सिंह शेखावत, विजय दिवाकर, संदीप भार्गव, रमेश मेघवाल, रामकिशन प्रजापति, प्रियशील हाड़ा, डॉ. सुभाष माहेश्वरी, सी.पी. गुप्ता, देवेन्द्र सिंह शेखावत, रमेश चन्द शर्मा, भगवती बारहठ व संजीव नागर को शामिल किया गया है।
जानकारी के अनुसार गत 6 मई को जैन ने एडीए को पत्र लिख कर जयंती समारोह आयोजित करने की अनुमति देने व हर साल ही तरह सहयोग करने का आग्रह किया है, मगर समझा जाता है कि उस पत्र को रद्दी की टोकरी दिखा दी गई है।
कुल मिला कर यह स्पष्ट है कि हेडा इस स्मारक में जैन के योगदान को पूरी तरह से भुला देना चाहते हैं। इतना तक कि शिलान्यास के वक्त जो शिलापट्ट रखा गया था, उसे भी वहां से हटा दिया गया है, ताकि किसी को यह जानकारी न हो कि इसका शिलान्यास जैन के कार्यकाल में हुआ। राजनीति में अगर एक दल दूसरे दल के साथ ऐसा करे तो भी उसे सदाशयता के विपरीत माना जाता है, मगर एक ही पार्टी के नेता एक दूसरे के साथ ऐसा करें तो अटपटा लगना स्वाभाविक है।
समझा जाता है कि यह मामला यूं ही समाप्त नहीं होगा। जैन इसे पार्टी हाईकमान तक जरूर ले जाएंगे कि किस प्रकार हेडा निहित उद्देश्य के तहत उन्हें नजरअंदाज करने की कोशिश कर रहे हैं, जिससे आमजन में पार्टी के बारे में गलत संदेश जाएगा।
जानकारों का मानना है कि हेडा का साइलेंट एजेंडा आगामी विधानसभा चुनाव में अजमेर उत्तर से भाजपा का टिकट हासिल करना है। और उसी के तहत सारा काम कर रहे हैं। संभव है आगे चल कर गैर सिंधीवाद को लामबंद करने की भी कोशिश करें।

shiv shankar hedaयहां यह बताना प्रासंगिक रहेगा कि पृथ्वीराज चौहान स्मारक और सिंधुपति महाराजा दाहरसेन पर जयंती व पुण्यतिथि पर आयोजित होने वाले कार्यक्रमों के लिए भी समितियां बनी हुई हैं। ये दोनों स्मारक वरिष्ठ भाजपा नेता औंकार सिंह लखावत ने अपने न्यास अध्यक्षीय कार्यकाल में बनवाए। दोनों की समारोह समितियां लखावत की देखरेख में ही कार्य करती हैं, जिसमें एडीए का योगदान रहता है। मगर चूंकि राजनीतिक रिश्ते में लखावत हेडा के पिताजी लगते हैं, इस कारण उन समितियों के छेड़छाड़ तो बहुत दूर, उलटा सहयोग करने को मजबूर हैं। चूंकि जैन का पाया अभी कुछ कमजोर है, इस कारण उनको नजरअंदाज करने की हिमाकत की जा रही है। वैसे एक बात है, ऐसा करके हेडा अपने करीब एक ऐसा दुश्मन पैदा कर रहे हैं, जो उनकी हर गतिविधि पर नजर रखेगा और मौका पड़ते ही वार करेगा।
-तेजवानी गिरधर
7742067000

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