यह सारी बाते में केवल इसलिये लिख रहा हु की शायद दवा बेचने वाला इसके महत्व को कम आँक रहे होंगे इसी कारण उन्होंने हड़ताल पर जाने का क्रूर मजाक जनता के साथ किया है, दवा के अभाव में जान माल का नुकसान हो सकता है , किसी के घर का चिराग, किसी के माथे का सिंदूर, किसी के जिगर, का टुकड़ा, किसी की बहन, किसी का भाई, किसी की माँ , किसी का पिता इस दुनिया से दवा ना मिलने पर उसको जिंदगी और मौत से झूझना पड़ सकता है , ओर भगवान ना करे वो मौत के मुंह मे भी जा सकता है , और यह एक ऐसा क्रूर मजाक हो सकता है जिससे हुए नुकसान की भरपाई दवा विक्रेता ओर उनकी सात पीढियां भी नही कर सकेगी ।
*दवा विक्रेताओं को मेरा एक चेलेंज है, की आपकी हड़ताल के कारण जिस प्रकार सामान्य आम आदमी दवा के अभाव में तड़पेगा उसी प्रकार आप सभी अपने अपने इष्ट देव के सामने हाथ रख कर शपथ ले कि यदि हमारे परिवार के या रिश्तेदार के या कोई खास अजीज यदि बीमार होता है या दुर्घटना ग्रस्त होता है तो हम किसी को भी दवाई उपलब्ध नही कराएंगे, क्या यह संभव है शायद नही, यह बात निश्चित है कि अपने परिवार और मिलने वालो को वो तड़पता नही देख सकता वो उनके लिए पिछले दरवाजे से दवा की व्यवस्था करेगा ।*
तो फिर यह हड़ताल क्या केवल आम आदमी के मरने के लिए ही कि जा रही है क्या???
दवा एक आवश्यक वस्तु है जिए कर्फ्यू, हड़ताल के दौरान भी बेचने की छूट होती इसके बिना किसी की जान तक जा सकती है और हम भारतीय किसी को जीवन दान दे सकते है लेकिन किसी को मृत्यु दान नही दे सकते उसकी मोत की वजह नही बन सकते ।
में मानता हूं कि आप की माँगे जायज है जनता आपके साथ ही लेकिन जिस कारण आप हड़ताल कर रहे हो उसकी वजह केवल बिक्री से जुड़ी है और बिक्री का सम्वन्ध केवल तुच्छ मुनाफा है और उस मुनाफे से आप अपना परिवार पालते हो, लेकिन अपने परिवार का पेट पालने के लिए किसी की मौत का जिम्मेदार तो नही बन सकते ।
ईश्वर आपको सद्बुद्धि दे।
*हेमेन्द्र सोनी @ BDN जिला ब्यावर*