अजमेर में पर्यटक आते हैं, एक दिन में ही लौट जाते हैं, तो आखिर क्यों?

क्यो यहां की ऐतिहासिक और प्राचीन धरोहरों को सहेजा नही जा रहा , सबसे ज्यादा प्राचीन धरोहरों का मार्ग मुख्य फॉयसागर रोड से जाता है, जिसकी हालत आज किसी से छुपी नही है,

●● फायसागर झील जो अंग्रेजो के वक्त की इतनी बड़ी झील है, उसकी बेकद्री क्यो की जा रही है, जबकि इस झील में गंदे नालो का नही, अपितु शुद्ध बरसात का जल आता है, तत्कालीन समय मे बनाया गया पार्क आज भी बेहद सुंदर लगता है, यहां बड़े बड़े विशाल पेड़ है, कुदरती रूप से लगे कोकोनट ट्री है, मगर सुभाष उद्यान की तर्ज पर इसका जीर्णोद्धार न जाने क्यों नही किया जाता ? पीने के पानी तक कि भी यहां व्यवस्था नही,

●● इससे थोड़ा पहले सम्राट पृथ्वीराज काल के समय कुलदेवी मां चामुंडा का मंदिर है, जहां वर्ष भर हजारो लोग आते हैं, मगर अधिकांशतः स्थानीय ही होते हैं, पर्यटकों की दृष्टि से ये स्थान अजमेर में एक नया आयाम स्थापित कर सकता है, जरूरत इस स्थान को बड़े स्तर पर हाईलाइट करने की, और यहां संसाधन जुटाने की है,

●● फायसागर के बाद 5 किलोमीटर दूर अजयपाल बाबा का स्थान ‘– अजमेर के संस्थापक चौहान वंशी राजा अजयपाल। ऐतिहासिक ।। अजयपाल जी के प्रातः कालीन रूप चरवाहे के रूप में दोपहर को संत के रूप में और सांय काल में राजा के रूप में के अदभुत दर्शन।

अजमेर महारानी सोमलदेवी ने अपने जीवन में कई बार नई मुद्राए जारी की इसीलिए इन्हें क्वीन ऑफ़ कोइन्स भी कहा जाता है।।।

उल्लेखनीय है की महाराजा अजयसिंह जी के नाम से अजयसर और महारानी सोमलदेवी के नाम से सोमलपुर बसा है।।।

ये ऐतिहासिक स्थान सरंक्षण के अभाव में जीर्ण शीर्ण हो रहा है।। जिसकी उचित देखभाल की जरूरत है।

◆◆◆ साथ ही मेरा मानना है कि मुख्य #फायसागर रोड जो इन स्थानों तक जाती है, उसे हल्की मररम्मत करने के बजाय #शानदार रोड #4 लेन बनाई जाए तो इस क्षेत्र की दशा ही बदल सकती है, मुझे यकीन है इन स्थानों पर सरकार द्वारा जितना व्यय जीर्णोद्धार और सड़क निर्माण पर किया जाएगा, उससे कई ज्यादा का राजस्व यहां प्राप्त हो सकता है, जैसे अभी सुभाष उद्यान, आनासागर,लवकुश गार्डन दे रहा है, साथ ही पर्यटक भी बढ़ेंगे, लोगो को नए रोजगार भी मिलेंगे।।

✍ रावत राजेश सिंह

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