अजमेर में ब्लॉगिंग का इतिहास बनाम ब्लॉगरों की जन्मकुंडली

हाल ही जाने-माने पत्रकार, गजलकार श्री सुरेन्द्र चतुर्वेदी का अलंकारयुक्त भाषा-शैली में चुटीला ब्लॉग सामने आया। उन्होंने अपने चिरपरिचित अतिविशिष्ट अंदाज में ब्लॉग लिखने की अभिरुचि को कीड़े की संज्ञा दी है। जब उनका कीड़ा प्रस्फुटित हुआ तो अपना भी वही कीड़ा बाहर आने को कुलबुलाने लगा। मुझे लगा कि अजमेर के ब्लॉगरों के बारे में लिखे गए इस पहले ब्लॉग में दी गई जानकारी के समुद्र में अंजुलि मात्र मेरी जानकारी भी सुधिजन को शेयर की जाए।

तेजवानी गिरधर
अपनी बात आरंभ करने से पहले यह स्पष्ट कर दूं कि ब्लॉग की परिभाषा ये है कि उसमें लेखक किसी विषय पर अपना नजरिया पेश करता है अथवा किसी मुद्दे को अपनी ओर से एक नई दिशा प्रदान करता है। देश-विदेश के विदेश के ब्लॉगरों को पढ़ेंगे तो यह बात ठीक से समझ आएगी। मगर अजमेर में एक नया प्रयोग हुआ है। वो ये कि यहां ब्लॉग में खबरों ने भी घुसपैठ कर ली है। इसके अतिरिक्त यह एक हथियार की शक्ल भी अख्तियार कर चुका है। उसकी अपनी एक वजह है, जिसका खुलासा बाद में कभी करूंगा। दरअसल वह एक यात्रा है, जो नए मुकाम दर मुकाम तय कर रही है।
एक बात और, वो यह कि लिखना मुझे यही था कि आपको ब्लॉगर्स से ठीक परिचय करवाऊं, मगर जरूरत से ज्यादा डूबने की आदत के चलते या यूं कहिये कि रास्ते से गुजरते हुए नजर आ रही हर उपयोगी वस्तु को अपने झोले में डाल लेने की प्रवृत्ति की वजह से यह आलेख कुछ अधिक विस्तार पा गया और इसमें ब्लॉगरों के अतिरिक्त वे भी जगह पा गए, जो कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्र विधा में हाथ आजमा रहे हैं। मूलत: पत्रकारिता से पैदा हुए हैं, और सूचना संप्रेषण के नए आयामों में विचरण करते हुए यू-ट्यूब तक पहुंच गए हैं। लिहाजा इस आलेख में मैं ब्लॉगर्स के साथ अजमेर की न्यूज वेब साइट्स व यू ट्यूब चैनल पर भी तनिक नजर डालने की कोशिश करूंगा। आखिरकार वे भी मेरे भाई हैं। यदि किसी का जिक्र होने से रह जाए तो पहले से क्षमा मांग लेता हूं। अगर मेरी जानकारी में लाया गया तो मैं तुरंत संशोधन भी कर लूंगा। कुछ नए लेखक ऐसे भी हैं, जो कि पेशे से पत्रकार तो नहीं और न ही उन्होंने ब्लॉग बनाया है, मगर श्री एस पी मित्तल की स्टाइल पर अपने न्यूज आइटम को वे सीधे वाट्स ऐप व फेसबुक पर फ्री स्टाइल में परोसने लगे हैं।
खैर, बात आरंभ करता हूं। यूं तो श्री चतुर्वेदी स्वयं सटायर लिखने वालों की पहली पंक्ति में शुमार रहे हैं, जिनमें श्री नरेन्द्र चौहान, श्री श्याम शर्मा, महावीर सिंह चौहान, डॉ. रमेश अग्रवाल, श्री ओम माथुर व श्री शिव शर्मा की गिनती होती है। इनमें कॉलमिस्ट को भी जोड़ दिया जाए तो वरिष्ठ पत्रकार अशोक शर्मा व गोविंद मनवानी अव्वल रहे हैं, जो नियमित फिल्म व दूरदर्शन समीक्षा करते थे। इन सभी लेखकों के सटायर व कॉलम अखबारों में प्रकाशित हुआ करते थे। तब इंटरनेट की जानकारी चंद लोगों को ही हुआ करती थी। उस जमाने में कदाचित श्री विजय शर्मा ऐसे पहले पत्रकार थे, जो इंटरनेट फ्रेंडली हुए। वे ईमेल के माध्यम से श्री चतुर्वेदी के सटायर देश भर के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं को भेजा करते थे। मैं समझता हूं कि श्री चतुर्वेदी जितना अजमेर में छपे, उससे कई गुना देशभर में छपे। तब इंटरनेट पर ब्लॉग लेखन के बारे में कम बुद्धिजीवियों को ही जानकारी थी। इंटरनेट पर काम आने वाले यूनिकोड की भी किसी को समझ नहीं थी। चाणक्य व कृतिदेव को यूनीकोड या मंगल फॉंट में कन्वर्ट करने का फार्मूला तक किसी की जाननकारी में नहीं था। मेरी नजर में संभवत: डॉ. राजेन्द्र तेला पहले लेखक थे, जिन्होंने अपनी कविताओं के प्रकाशन के लिए ब्लॉग बनाया था। यदि किसी और ने भी ब्लॉग बनाया हो तो मुझे उसकी जानकारी नहीं।
बात अगर न्यूज बेस्ड आइटम्स की करें तो मेरा दावा है कि मैने सबसे पहले अजमेरनामा व तीसरी आंख के नाम से ब्लॉग बनाया। इसमें मेरी तकनीकी मदद एनडीटीवी के अजमेर ब्यूरो जनाब मोईन कादरी ने की। ब्लॉग की साज-सज्जा में मेरा सहयोग किया मेरे दोनों पुत्रों हेमंत तेजवानी व कमल तेजवानी ने। बाद में उसी को आगे बढ़ाते हुए मैने अजमेरनामा के नाम से न्यूज पोर्टल भी शुरू किया। इसकी संरचना में स्वामी न्यूज चैनल के सीएमडी श्री कंवल प्रकाश किशनानी, जनाब मुबारक व जनाब कादरी ने अहम भूमिका रही। बाद में इसे व्यवस्थित रूप दिया श्री आनंद शर्मा ने। मेरे से तकरीबन 15 दिन पहले पत्रकार मुजफ्फर अली व स्वर्गीय सुमित कलसी की टीम ने न्यूज-व्यू के नाम से पोर्टल आरंभ किया था। वह अजमेर का पहला पोर्टल कहा जा सकता है। मुजफ्फर अली आज भी ताजा विषयों पर स्वतंत्र लेखन करते हैं।
ब्लॉग लेखन के क्षेत्र में दूसरा बड़ा कदम रखा वरिष्ठ पत्रकार श्री एस पी मित्तल ने। प्रिंट व इलैक्ट्रॉनिक मीडिया में खूब काम करने के बाद श्री मित्तल ने अपनी पूरी पत्रकारिता ही ब्लॉग के नाम समर्पित कर दी है। अजमेर में केबल नेटवर्क पर व्यवस्थित व नियमित न्यूज चैनल चलाने वाले वे पहले पत्रकार हैं। हालांकि उनसे भी पहले श्री नानक भाटिया ने यूनाइटेड न्यूज चैनल आरंभ किया, मगर वह कुछ समय तक ही चल पाया। श्री मित्तल ने अपनी वेब साइट भी आरंभ की, मगर चूंकि उन्हें बेहतर यही लगा कि अपने ब्लॉग सीधे वाट्स ऐप व फेसबुक पर पोस्ट करें, जिसने उन्हें शीघ्र ही चर्चित कर दिया। वे प्रतिदिन तीन या चार ब्लॉग लिखते हैं। उनमे टिप्पणीयुक्त ताजा समाचार तो होते ही हैं और विभिन्न विषयों पर स्वतंत्र विचार भी होते हैं। कई लोग उनके ब्लॉग का इंतजार करते है, ताकि वे घटनाओं से अपडेट रहें।
इसी क्रम में नवोदित पत्रकार नरेश राघानी ने जल्द ही पकड़ बना ली। चूंकि उनका काफी टाइम राजनीति में बर्बाद हुआ और लोगों को उनकी लेखन क्षमता का भान नहीं था, इस कारण किसी को यकीन ही नहीं होता था कि वे खुद लिख सकते हैं। शुरुआती दिनों में उन्होंने वरिष्ठ पत्रकार ओम माथुर पर कटाक्ष करते हुए जो बहुत टाइट ब्लॉग लिखा तो आम धारणा यही थी कि वह मैने लिखा है, जबकि सच्चाई यही है कि मेरी उसमें कोई भूमिका नहीं थी। भाषा-शैली के लिहाज से उन्होंने अभिव्यक्ति के विभिन्न प्रयोग किए हैं। वे भी लगभग नियमित ब्लॉग लिखते हैं, मगर नियमितता के मामले में श्री मित्तल का कोइ सानी नहीं। राघानी वेब साइट के अतिरिक्त यूट्यूब पर भी हाथ आजमा रहे हैं। युवा पत्रकार नवीन वैष्णव ने भी सोशल मीडिया के क्षेत्र में अपनी पहचान बनाई है, मगर आमतौर पर उनका जोर न्यूज कंटेंट पर रहता है। नि:संदेह वे सधी हुई खबर लिखते हैं। सोशल मीडिया में यूट्यब के माध्यम से एमटीटीवी के सुशील पाल ने भी धूम मचा रखी है। स्टिंग ऑपरेशन से लेकर ताजा आर्य प्रकरण में खासी चर्चा हासिल की है। अरे, श्री विजय शर्मा को तो मैं भूल ही गया। अजमेर में वे सोशल मीडिया किंग हैं। उन्होंने विविध आयामीय प्रयोग किए हैं। प्रिंट से लेकर सोशल व इलैक्ट्रॉनिक मीडिया में न जाने क्या-क्या किया है।
एक और बड़ा नाम है श्री विजय मौर्य का, जिन्होंने राजस्थान पत्रिका में लंबे समय तक काम किया व ई-पत्रिका का काम संभाला। मेरी समझ में गूगल, वेब साइट व यूट्यूब के बारे में बारीक जानकारी के मामले में वे टॉप हैं। वे सबगुरू के नाम से एक बड़ा न्यूज पोर्टल चला रहे हैं और व्यावसायिक दृष्टि से अव्वल हैं। न्यूज पोर्टल, यूट्यूब चैनल व ब्लॉग के क्षेत्र में अब काफी साथी आ गए हैं, जिनमें मुझे चंद नाम याद आ रहे हैं, वे हैं श्री विजय पाराशर, श्री तीर्थदास गोरानी, श्री विजय कुमार हंसराजानी, श्री अशोक बंदवाल।
कॉलमिस्ट के रूप में एक और नाम का जिक्र भी जरूरी है। वो हैं दैनिक भास्कर के वरिष्ठ पत्रकार प्रताप सनकत का। वे श्री चतुर्वेदी की ही बेबाक शैली में प्याज के छिलके की तरह खबरों के छिलके उतारा करते थे। वर्तमान में यदाकदा फेसबुक पर अवतरित होते हैं। इसी क्रम में श्री अरविंद कौशिक का नाम लेना जरूरी है। वे न्याय में एक कॉलम लिखा करते थे, जिसकी खासियत ये थी कि उसमें उर्दू के शब्दों का प्रयोग बहुतायत में होता था। यही उनकी लेखनी की खूबसूरती थी।
बात ताजा दौर की। पेश से वकील व आदत से राजनीतिक पंडित राजेश टंडन का ब्लॉग तो मैने नहीं देखा, मगर वाट्स ऐप व फेसबुक पर वे सारे हथियार यथा तीर-कमान व थाली-चिमटा लिए फ्री स्टाइल शाब्दिक कुश्ती खेलते हैं। यूं तो पुलिस महकमे की दाई हैं, मगर राजनीति व प्रशासनिक हलके में जम कर लाठी भांजते हैं। वे हमारी तरह यूं ही कलमघसीट नहीं, बल्कि प्रयोजनार्थ लिखा करते हैं।
ब्लॉग की कैटेगिरी के फेसबुकिया लेखक भी अब सामने आने लगे हैं। इनमें वरिष्ठ पत्रकार श्री प्रेम आनंदकर, वरिष्ठ वकील सत्य किशोर सक्सेना, वरिष्ठ बैंक अधिकारी रहे वेद माथुर व सामाजिक कार्यकर्ता श्रीमती कीर्ति पाठक के नाम उल्लेखनीय हैं। इनमें ताजा नाम पार्षद चंद्रेश सांखला का है। हालांकि उन्होंने फिलहाल नगर निगम में व्याप्त विसंगतियों को निशाना बनाया है। इसी क्रम में त्रिवेन्द्र पाठक का भी नाम लिया जा सकता है। जिन साथियों के नाम मुझ से छूट गए हैं, वे मेहरबानी करके मेरे वाट्स ऐप नंबर 8094767000 पर सूचित करने की कृपा करें, ताकि उनको भी सुशोभित किया जा सके।
-तेजवानी गिरधर
7742067000

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