केकड़ी नगर पालिका प्रशासन की मनमानी

पालिका प्रशासन ने तेजा चौक के सार्वजनिक उपयोग की जमीन को भी बेचा, वर्ष 2009 में 10 दुकानें बनाकर बेची वहीं 2017 में 22 दुकानों के भूखंड बेचे गए
सुप्रीम कोर्ट व हाई कोर्ट अपने कई फैसलों में दे चुके हैं निर्णय, ट्रस्टी को जमीन बेचने का नहीं है अधिकार ! राज्य सरकार व एसीबी को मामलों की शिकायत भेजी, जांच की मांग

तिलक माथुर
केकड़ी नगर पालिका प्रशासन की मनमानियों की फेहरिस्त लम्बी है जो अधिकांशतः जगजाहिर हो चुकी है, लेकिन अब भी कुछ ऐसी मनमानी की परतें हैं जो धीरे-धीरे खुल रही है। ऐसी ही मनमानी की परत का ज़िक्र करने जा रहा हूं जिसमें पालिका प्रशासन ने धार्मिक भावनाओं से जुड़े तेजा चौक की सार्वजनिक उपयोग की जमीन को भी बेचकर अपनी मनमानी का शिकार बना दिया। नगरपालिका द्वारा गत वर्षों, वर्ष 2009 में नगरपालिका परिसर में बेची गई 10 दुकानें व उसके बाद वर्ष 2017 में बेचे गए 22 दुकानों के भूखंड जो कि तेजा चौक के सार्वजनिक उपयोग की भूमि हैं। तेजा चौक की यह भूमि केकड़ी शहर में अजमेर-कोटा स्टेट हाइवे पर स्थित है जिसका हाल खसरा न. 4168 साबिक़ ख.न.3244 है जिसका कुल क्षेत्रफल 1.02 हेक्टेयर है। पालिका ने जो दुकाने व भूखंड बेचे वे इसी तेजा चौक की भूमि में से बेचे गए हैं। यह भूमि राज्य सरकार के निर्देश पर जिला कलक्टर अजमेर द्वारा 12 मार्च 2012 को नगरपालिका को हस्तान्तरित की गई थी। अब सवाल यह है कि जब सरकार ने ही वर्ष 2012 में यह जमीन पालिका को हस्तान्तरित की थी तो पालिका प्रशासन ने इस भूमि पर तीन साल पहले ही 2009 में कैसे व किस आधार पर 10 दुकानें बनाकर बेच दी जबकि उस समय तो पालिका का उक्त जमीन पर मालिकाना हक भी नहीं था। इस तेजा चौक की सार्वजनिक उपयोग की भूमि पर आजादी से पहले 16 फरवरी 1927 ई. को तत्कालीन शामलात कमेटी व म्युनिसिपल कमेटी के मध्य जो एग्रीमेंट हुआ था उसमें म्युनिसिपल कमेटी को सिर्फ टाउनहाल के निर्माण की अनुमति ही दी गई थी और इस भूमि पर तेजा मेला बदस्तूर होते रहने तथा भूमि को बेचा नहीं जाने का स्पष्ट इकरार भी किया गया था। केकड़ी शहर के सुनियोजित विकास के लिए राज्य सरकार ने मास्टर प्लान 2011-2031 लागू किया हुआ है और स्थानीय निकाय पब्लिक प्रोपर्टी के ट्रस्टी होते हैं, जिन्हें प्रोपर्टी की देखरेख का अधिकार होता है उसे बेचकर आय का जरिया बनाने का नहीं। इस सम्बंध में सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट अपने कई फैसलों में यह आदेश दे चुके हैं कि स्थानीय निकाय के अफसर पब्लिक प्रोपर्टी के ट्रस्टी हैं, उनकी देखभाल करें उन्हें बेचे नहीं जबकि यहां इसका खुलेआम उल्लंघन किया गया है। ज्ञात रहे कि मास्टर प्लान लागू होने के पश्चात जमीनों का बेचान स्थानीय निकाय द्वारा नगर नियोजन विभाग से योजना स्वीकृत कराकर ही किया जा सकता है, जबकि नगरपालिका प्रशासन ने वर्ष 2017 में जो 22 दुकानों के भूखंड बेचे हैं इनकी कोई योजना स्वीकृत नहीं कराई तथा नगरपालिका नगरीय भूमि निष्पादन नियम 1974 का खुला उल्लंघन करते हुए तेजा चौक की सार्वजनिक उपयोग की जमीन कौड़ियों के भाव बेच दी गई। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2009 में जब नगरपालिका ने तेज चौक की भूमि पर 10 दुकानें बनाकर बेची थी उस दौरान पालिका अध्यक्ष कांग्रेस की सुशीला देवी जैन थी वहीं वर्ष 2017 में तेजा चौक की भूमि पर 22 दुकानों के भूखंड बेचे गए तब भाजपा के पालिकाध्यक्ष अनिल मित्तल थे जो वर्तमान में भी हैं। गौरतलब है कि वर्ष 2009 में बेची गई 10 दुकानों की शिकायत पहले भी हुई लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई इसके पीछे क्या कारण रहे नहीं मालूम, वहीं वर्ष 2017 में बेचे गए 22 भूखंडों का मामला जांचाधीन है। आरटीआई के जरिए इन मामलों की जानकारी मिलने पर केकड़ी नगर विकास समिति के अध्यक्ष मोडसिंह राणावत ने मामलों की जांच व कार्यवाही करने की मांग करते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, स्वायत्त शासन मंत्री शान्ति धारीवाल, क्षेत्रिय विधायक व चिकित्सा मंत्री डॉ. रघु शर्मा सहित स्वायत्त शासन विभाग के उच्चाधिकारियों तथा भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के महानिदेशक को शिकायत की है।

तिलक माथुर 9251022331

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