क्या मतदाता को अफसोस नहीं होता ऐसे पार्षद को चुनने पर……..

प्रताप यादव
1. जो वोट मांगने आए, तब आपको हाथ जोड़े, आपके पैर छुए, और हर तरह की सुख सुविधा वार्ड में उपलब्ध कराने का वायदा करें।
2. चुनाव जीतने के बाद वह सब काम इसके विपरीत करें ।यहां तक कि आपके यहां सफाई जैसा आवश्यक काम भी नही करवा सके । सफाई हेतु नियुक्त आधे कर्मचारी भी नही लगावे ।सड़क व गलियों में रोशनी हेतु वल्ब तक भी नहीं बदलवा सके।
3. जिससे मिलना भी दुश्वार हो जाए ,आप उसके घर पर जाएं तो अंदर होते हुए भी आप से नहीं मिले व यह कह दिया जाए की पार्षद महोदय घर में नहीं है ।तब आपको कैसा लगा होगा ।
4. पुराने पार्षद द्वारा मंजूर की गई राशि से शौचालय ,पेशाब घर व सड़कें -नालियां बनवा कर अपने द्वारा बनवाई गई बतावे ।
5. उसे चिट्ठी पत्री लिखना नहीं आवे । आप कोई समस्या लेकर जाओ तो कहे कि लिखकर लेकर आओ । जब हम ही लिख कर देंगे तो हमने उसे पार्षद क्यों बनाया था ।
6. जब कोई समस्या लेकर उनके पास जाओ तो कहे 25-30 आदमी औरतें इखट्टे होकर आओ। अरे भाई हमने वोट देकर आपको पार्षद क्या इसलिए बनाया था कि हम आपके साथ ऑफिसों में धक्के खाए । जब यही करना था तो हमने आपको वोट ही क्यों दिया।
7. अगर आप मकान बना रहे हैं या मकान की मरम्मत का काम चला रहे हैं तो आपके यहां जमादार व अन्य दलालों को भेज देगा । यहां तक कि खुद ही आ जाएगा और सुविधा शुल्क बेशर्मी के साथ मांगेगा और यह कहेगा कि मैंने भी तो नोट देकर वोट लिए हैं ।
क्या हमने अपना अपमान कराने के लिए और परेशान होने व जेब कटवाने के लिए वोट दिए थे ।
8. जब आपका पार्षद आपके समस्याओं के लिए अपने हाथ से एक लेटर नहीं लिख सके। आपकी समस्याओं के लिए अकेला जाकर अधिकारियों से जुंझ ही ना सके । तो मन में संदेह होता है कि क्या उसकी डिग्री व सर्टिफिकेट फर्जी तो नहीं?
9. हद तो तब हो गई जब पार्षद के साथ उसे दिन रात मेहनत करके जिताने वाले कार्यकर्ताओं से ही वह जब मकान बनावे या मरम्मत करावें तो उनसे ही रिश्वत मांग ले । यहां तक कि अगर कोई अंडरग्राउंड पानी का टैंक बनाए तो उससे भी रुपए ले लें और पार्टी के कार्यकर्ता को भी बिना रिश्वत के मकान नहीं बनवाने दे । अगर ऐसा हुआ होगा तो उन्हें कैसा लगा होगा ।
10. अगर वार्ड में कोई हादसा हो जाए मकान गिर जाए ,उसमें डाब कर लोग मर जावें ।पहाड़ी गिर जाए ,रास्ता अवरुद्ध हो जाए ।तब भी वह मौके पर जाकर मदद की बात तो दूर सूरत दिखाने भी नहीं पहुंचे, तब आपको व वार्ड वालों को कैसा लगा होगा ।
11. आदमी वही जो संकट की घड़ी व दुख की घड़ी में मौके पर खड़ा रहकर काम कराएं चाहे अवरूद्ध रास्ता चालू कराना ,हो चाहे बिजली पानी के संकट को दूर करना हो । या आवागमन पुनः चालू करने हो ।
12. 1- 2 महीने में हराम की कमाई से कुछ लोगों को दारू व मीट रोटी की पार्टी दे देने से वार्ड के हजारों नागरिकों को कोई लाभ नहीं पहुंचता। लेकिन आपनी जय जय कार्य करने वाले अपने जैसे ही कुछ लोग तैयार हो लेता हैं । यह अलग बात है की ऐसी छोटी छोटी पार्टियों में शामिल होने वाले लोगों को भी नहीं मालूम होता कि यह हराम की कमाई से आयोजित की गई है ।
13. चुनाव जीतने के बाद पार्षद किसी पार्टी व जाति धर्म का नहीं रहता वह सबका होता है लेकिन आप काम कराते समय राजनीतिक भेदभाव करें, धर्म विशेष के लोगों का काम नहीं करावे तो ऐसा पार्षद अपनी संवैधानिक जिम्मेदारियों का निर्वहन नहीं करता ।
यह एक सामान्य विचार है किसी को इंगित कर कर नहीं लिखे गए हैं लेकिन कहीं ना कहीं अगर इसे पढ़ते समय आपको यह आभास हो कि ऐसा कोई पार्षद हमारे आसपास भी हो सकता है तो भविष्य में पार्षद चुनते समय ठोक बजाकर जांच लें ।
क्योंकि अगर हम 50 रुपये का मटका भी खरीद कर लाते हैं तो उसे भी ठोक बजाकर जांच कर ही खरीदते हैं यह तो 5 साल का सवाल होता है ।
अभी चुनाव में 10 महीने बाकी है लेकिन आप अपने पार्षद को अभी से जांचे परखे व चुनाव पूर्व उसमें हो रहे परिवर्तनों को पहचान कर सावधान रहें व अगर ऐसा पार्षद खुद के यहां असफल होने के चलते, अगर अड़ोस पड़ोस के नए बनाए गए वार्डों में डोरे डाल रहा है ,घर घर धक्के खा रहा है,तो वहां के लोगों को भी ऐसे व्यक्ति से सावचेत रहना चाहिए ।
बिना किसी को इंगित किए सावधान करने वाला लेख आपके सेवा में समर्पित है ।

प्रताप यादव

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