नगर निकाय चुनाव में भी रहेगा पलाड़ा का दखल?

युवा नेता व समाजसेवी भंवर सिंह पलाड़ा ने कांग्रेस के सहयोग से जिस प्रकार भाजपा को पटखनी खिला कर अपनी धर्मपत्नी श्रीमती सुशील कंवर पलाड़ा को जिला प्रमुख बनवा लिया, उसे देखते हुए राजनीतिक हलकों में यह सवाल कुलबुला रहा है कि क्या वे अपने बढ़ते वर्चस्व का दायरा बढ़ाते हुए अजमेर, किशनगढ़ व केकड़ी के नगर निकाय चुनाव में भी दखल देंगे? हालांकि उन्होंने फिलवक्त कांग्रेस में शामिल होने के कयास पर विराम लगा दिया है, मगर भाजपा से दूरी और कांग्रेस से नजदीकी के चलते विशेष रूप से कांग्रेस खेमे में यह सुगबुगाहट है कि वे अपनी पसंद के दावेदारों को टिकट दिलवाने की कोशिश कर सकते हैं। जहां तक कांग्रेस हाईकमान का सवाल है, वह भी यह जरूर चाहेगा कि उनसे नजदीकी और बढ़ाई जाए और निकाय चुनाव में उनकी ताकत का इस्तेमाल किया जाए।
हालांकि उनकी धर्मपत्नी श्रीमती पलाड़ा ने पिछले जिला प्रमुख कार्यकाल व मसूदा विधायक रहते हुए ग्रामीण राजनीति में अपना डंका बजाया है, लेकिन अजमेर शहर में भी उनकी अच्छी फेन फॉलोइंग है। उनकी शहरी टीम निकाय चुनाव में काफी उलटफेर करने का माद्दा रखती है। ऐसे में यह समझा जा रहा है कि वे इस मौके को नहीं चूकना चाहेंगे। जाहिर सी बात है कि स्थानीय राजनीति में दखल बढऩे का फायदा उन्हें आगामी विधानसभा व लोकसभा चुनाव में भी मिलेगा। हालांकि अभी यह दूर की कोड़ी है कि आगामी विधानसभा चुनाव में वे क्या रणनीति अपनाएंगे, मगर कांग्रेसियों को ऐसा लगता है कि वे अजमेर उत्तर के प्रबल दावेदार बन कर उभरेंगे। अगर ऐसा होता है तो यह वरिष्ठ कांग्रेस नेता डॉ. श्रीगोपाल बाहेती व महेन्द्र सिंह रलावता के लिए मुश्किलात पैदा करेगा। विशेष रूप से कांग्रेस से नजदीकी रखने वाले दमदार राजपूत नेता के रूप में पलाड़ा की मौजूदगी रलावता के लिए प्रतिद्वंद्विता खड़ी कर देगी।
ऐसा नहीं कि वे अकेले कांग्रेस की राजनीति में दखल दे सकते हैं, अपितु अपने समर्थकों के दम पर भाजपा में भी सेंध मार सकते हैं। खैर, जो कुछ होगा, वह बहुत दिलचस्प होगा। उल्लेखनीय बात ये है कि अपने दम पर जिस प्रकार अजमेर की राजनीति पर हावी हुए हैं, उसने राजनीतिक पंडितों को भी चकित कर दिया है।
-तेजवानी गिरधर
7742067000

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