आपत्तियों के निर्णय बिना ही भूमि आवंटन आदेश और अब कब्जा भी दे डाला

अरुण पाराशर
आम जनता के द्वारा विरोध में प्रस्तुत की गई आपत्तियों का निस्तारण कर परिणाम बताएं बिना ही आपत्तियों को रद्दी की टोकरी में डालकर , नगर पालिका में जनता के वोटों से चुने गए दोनो ही दलों के,ईमान और जमीर बेच देने वाले महान जनप्रतिनिधियों द्वारा अपने निजी तुच्छ लाभ और स्वार्थ की खातिर साजिश कर्ताओं द्वारा रची गई दुर्भी प्रलोभन संधि के जाल में फंसकर, पुष्कर तीर्थ के अस्तित्व और पवित्रता एवम जनता के व्यापक हितों को पलीता लगाकर ,नवीन चिकित्सालय भूमि का कब्जा ,आदेश का काला फरमान जारी करवा, पुष्कर की जनता जनार्दन को 10जून तक अंधेरे में रखकर जितने निचले स्तर पर जा सकते थे, जाकर, जनता का अपमान ,मजाक का दंश देकर, बेवकूफ,मूर्ख समझकर, तानाशाही, दबाव की राजनीति के ओछे हथकंडों का इस्तेमाल होकर ,षड्यंत्रकारी साजिश कर्ता भूमाफियाओं के चरणो में साष्टांग दंडवत देकर ,उनके निजी अनैतिक हितों का पोषण कर सफेद पन्नों पर पाप की काली स्याही से पुष्कर तीर्थ की प्रतिष्ठा और पुष्कर की सम्मानित जनता जनार्दन के स्वाभिमान पर आज कालिख पोत डाली गई है।वैसे भी पुष्कर की राजनीति के इतिहास को देखेंगे तो यहां के नकारा स्वार्थी,सफेदपोश जनप्रतिनिधियों की सिद्धांत और विचारों की बलि चढ़ाकर बिकने की एवम पीठ में छुरा घोपने के कई किस्से और लंबी फेरियस्त रही है।मगर दोनो ही दलों के पार्षदों का ऐसा अचंभित कर देने वाला आनन फानन में रचा गया गठजोड़ ,जहां नए बोर्ड गठन के बाद से ही इन्हीं के मध्य एक दूसरे को निपटाने का सड़क, सरकार, ओर उच्च न्यायालयों तक में मारकाट का खेला चल रहा था, अचानक बुलेट ट्रेन की रफ्तार से यह नया खेला कहां से आया कि खेल के सारे खिलाड़ियों ने अपनी अपनी गोटियां समेटकर, अपनी शह मात की चालों को भूलकर नया खेल खेलने लगे, कहीं इन्हें हाल ही में प्रकट हुए,नए खेल के शातिर खिलाड़ी बहेड़िए द्वारा बिछाए जाल में, प्रलोभनों के एक नहीं 56प्रकार के स्वादिष्ट ,लच्छेदार सपनो के चंगुल में फंसा कर जिसकी ,जितनी औकात है उसी मुताबिक अलग अलग को अलग से उनकी रेट और पद का झांसा,वादा परोसकर ,पुष्कर की राजनीति में नई जमीन तलाश कर अपनी बादशाहत स्थापित करने का दांव फेंककर बड़ा खेला तो नही खेला जा रहा है?शतरंज के नए बादशाह ने, जी हुजूरी दारों को अपनी चाल से किसी को उसकी, जमी जमाई कुर्सी बची रहेगी का लॉलीपॉप देकर, तो किसी को यह पुलाव देकर की यह कुर्सी जल्दी ही तुमारी होगी, तो किसी को ढाई घर के घोड़े की चाल चलाकर की अरे यह कुर्सी तो सदा ही आपके इर्द गिर्द ही रही है।इसे अब आपकी ही होना है।यह जी हजूरे, अपनी तुच्छ आकांक्षा के वसीभूत ,कुर्सी के मोह रूपी जाल में क्या फंसे,दोनो दल के स्वार्थी जनप्रतिनिधियों ने जनता के विश्वास मत और सम्मान को इस कदर अपमानित करके,पुष्कर के इतिहास के पन्नों में , जनप्रतिनिधियों के नाम को कलंकित करवा ,खुद ही अपनी पहचान को मिट्टी में मिलवा बैठे।याद रखना धोखा किसी का सगा नही हुआ है। कहते है पुष्कर राज ठंडी आग है। हालत यह होगी की ना बिसाले यार मिला ना बिसाले सनम।
पुष्कर वासियों सच्चाई की एक दिन जीत होकर रहेगी। जगत पिता श्री ब्रह्म देव एवम पुष्कर राज महाराज, षड्यंत्र कारियों का सारा खेला तमाम करने के लिए , सुदर्शन चक्र और ब्रह्मास्त्र चलाकर पुष्कर की जनता के साथ विश्वासघात और अपमान का बदला लेकर रहेंगे।जनता की जीत होगी और चिर सम्मान कायम रहेगा।
दुखी मन से,एवम उन चार पार्षदों को नमन करते हुए ,जिन्होंने पुष्कर तीर्थ के साथ विश्वासघात का सौदा कर अपना ईमान और जमीर नही बेचा ।

अरुण पाराशर, तीर्थ पुरोहित,
समाजिक कार्यकर्ता।

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