अजमेर जिले का मनोरम हिल स्टेशन टाॅडगढ

b l samra
अजमेर जिले के अंतिम छोर पर स्थित टॉडगढ़ कस्बे का 201 वा स्थापना दिवस पिछले दिनों पूर्व समारोह पूर्वक मनाया गया । वर्ष 1821 म इस कस्बे का नामकरण टाॅडगढ़ किया गया , इससे पहले यह बरसावाड़ा के नाम से जाना जाता था । उन दिनों इस राष्ट्रीय अभ्यारण क्षेत्र में कुछ उपद्रव अशांति का माहौल था चूंकि यह क्षेत्र अजमेर मेरवाड़ा के अन्तर्गत था और मेवाड़ की सीमा से लगता हुआ था ,अतः मेवाड़ के तत्कालीन महाराणा ने अजमेर मेरवाडा के कमिश्नर को इस क्षेत्र में शांति स्थापना के लिए आग्रह किया । इस पर नसीराबाद छावनी से कर्नल टॉड को यहां भेजा गया और उन्होंने यहां शांति स्थापित की ।इस बात से प्रसन्न होकर मेवाड़ महाराणा भीम सिंह जी ने इस कस्बे का नामकरण कर्नल टॉड के नाम पर टॉडगढ़ रखने की सिफारिश की ।उनकी अनुरोध पर इस कस्बे का नामकरण टाॅडगढ किया गया । भारत सरकार ने भी इस क्षेत्र को राष्ट्रीय अभयारण्य घोषित किया है ,जो टॉडगढ़ रावली के नाम से जाना जाता है । यह स्थान अजमेर जिले का माउंट आबू के रूप में भी विख्यात है । मशहूर इतिहासकार कर्नल टॉड ने यही पर रह कर राजपूताना का इतिहास लिखा।यहां एक पहाड़ी की चोटी पर अपना निवास बनाया जो कालांतर में खंडहर में तब्दील हो गया और फूटा बंगला के नाम से जाना जाता था क्योंकि इस की छत टूट चुकी थी ।स्थानीय जैन समाज ने इस पहाड़ी को अधिगृहित कर इसको प्रज्ञा शिखर का नाम देकर इस वीरान क्षेत्र में प्राण संचरण किया और इसे विकसित किया तथा यहां का कायाकल्प किया। यहां यहां हमारे पूर्व राष्ट्रपति ए पी जेअबुल कलाम भी आ चुके हैं और अब यह अनेक सांस्कृतिक गतिविधियों का केंद्र है । टाॅडगढ स्थापना दिवस के अवसर पर विरासत सेवा संस्थान एवं प्रज्ञा शिखर ट्रस्ट के संयुक्त तत्वावधान पर यहां एक भव्य प्रदर्शनी का आयोजन किया गया जिसमें क्षेत्र के ग्रामीणों सहित अनेक गणमान्य व्यक्तियों ने भाग लेकर समारोह को शानदार बनाया । राज्यपाल के सलाहकार डॉ देव कोठारी इतिहास संकलन परिषद के क्षेत्रीय संगठन मंत्री छगन लाल बोहरा विरासत सेवा संस्थान के मुख्य ट्रस्टी और संस्थापक अध्यक्ष बी एल सामरा इस समारोह में विशेष रूप से आमंत्रित थे । इस अवसर पर प्रज्ञाशिखर ट्रस्ट की ओर से विरासत संस्थान के अध्यक्ष सामरा का मेवाड़ी पगड़ी और शाल ओढ़ाकर तुलसी तीर्थ के स्मृति चिन्ह के साथ करतल ध्वनि के बीच भाव भीना अभिनंदन किया गया । विरासत संस्थान की ओर से इस अवसर पर स्थानीय विद्यालय की मैधावी बालिकाओं को प्रोत्साहन राशि और स्कूल ड्रेस के वितरण के साथ सभी आगंतुकों को अल्पाहार की व्यवस्था की गई । साहित्य संस्थान के संस्थापक अध्यक्ष श्री भीकम चंद कोठारी, स्थानीय उपखंड अधिकारी, थाना अधिकारी ,चिकित्सा अधिकारी एवं पूर्व प्राचार्य रोशनलाल पितलिया ब्यावर से गणपत सिंह मुगधेश ,नारायण सिंह पंवार उपस्थित रहे ।
राजस्थान अजमेर जि‍ले के अंन्‍ति‍म छोर में अरावली पर्वत श्रृंखला में मन मोहक दर्शनीय पर्यटक स्‍थल टॉडगढ़ बसा हुआ हैं ,जहाँ राजसमंद, भीलवाड़ा, पाली और अजमेर चारों जिले की सीमा आसपास ही लगती हैं, जि‍सके चारों और एवं आस पास सुगंन्‍धि‍त मनोहारी हरि‍याली समेटे हुए ऊँचीं विशाल पहाड़ियां एवं वन अभ्‍यारण्य हैं। इस क्षेत्र का कुल क्षेत्रफल 7902 हैक्‍टेयर है, जि‍नमें वन क्षेत्र 3534 हैक्‍टेयर, पहाड़ियां 2153 हैक्‍टेयर, काश्‍त योग्‍य 640 हैक्‍टेयर हैं। टॉडगढ़ को राजस्‍थान का मि‍नी माउण्‍ट आबू भी कहते हैं, क्‍योंकि‍ यहां की जलवायु माउण्‍ट आबू से काफी मि‍लती है व यह स्थान माउण्‍ट आबू से मात्र 5 मीटर समुद्र तल से नीचा हैं। टॉडगढ़ का पुराना नाम बरसा वाडा था। जि‍से बरसा नाम के गुर्जर जाति‍ के व्‍यक्‍ति‍ ने बसाया था। बरसा गुर्जर ने तहसील भवन के पीछे देव नारायण मंदि‍र की स्‍थापना की जो आज भी स्‍थि‍त हैं।
यहां आस पास के लोग बहादुर थें एवं अंग्रेजी शासन काल में कि‍सी के वश में नही आ रहे थे, तब ई.स. 1821 में नसीराबाद छावनी से कर्नल जेम्‍स टॉड पोलि‍टि‍कल ऐजेन्‍ट ( अंग्रेज सरकार ) हाथि‍यों पर तोपे लाद कर इन लोगो को नि‍यंत्रण करने हेतु आये। यह कि‍सी भी राजा या राणा के अधीन नही रहा कि‍न्‍तु मेवाड़ के महाराणा भीम सि‍ह ने इसका नाम कर्नल टॉड के नाम पर टॉडगढ़ रख दि‍या तथा भीम जो वर्तमान में राजसमंद जि‍ले में हैं टॉडगढ़ से 14-कि‍मी दूर उत्‍तर पूर्व में स्‍थि‍त है, का पुराना नाम मडला था जि‍सका नाम भीम रख दि‍या। 1857 ई.स. में भारत की आजादी के लि‍ये हुए आंदोलन के दौरान ईग्‍लेण्‍ड स्‍थि‍त ब्रि‍टिश सरकार ने भारतीय सेना में कार्यरत सैनि‍को को धर्म परि‍वर्तित करने एवं ईसाई बनाने हेतु इग्‍लेण्‍ड से ईसाई पादरि‍यो का एक दल जि‍समें डॉक्‍टर, नर्स, आदि‍ थें ये दल जल मार्ग से बम्‍बई उतरकर माउण्‍ट आबू होता हुआ ब्‍यावर तथा टॉडगढ़ आया। धर्म परि‍वर्तन के वि‍रोध में टॉडगढ़ तथा ब्‍यावर में भारी वि‍रोध हुआ जि‍ससे दल वि‍भाजि‍त होकर ब्‍यावर नसीराबाद, तथा टॉडगढ़ में अलग अलग वि‍भक्‍त हो गया।
टॉडगढ़ में इस दल ने वि‍लि‍यम रॉब नाम ईसाई पादरी के नेतृत्‍व में ईसाई धर्म प्रचार करना प्रारम्‍भ कि‍या। शाम सुबह नजदीक की बस्‍ति‍यो में धर्म परि‍वर्तन के लि‍ये जाते तथा दि‍न को चर्च एवं पादरी हाउस/टॉड बंगला का निर्माण कार्य करवाया । सन् 1863 में राजस्‍थान का दूसरा चर्च ग्राम टॉडगढ़ की पहाड़ी पर गि‍रजा घर बनाया और दक्षि‍ण की और स्‍थि‍त दूसरी पहाड़ी पर अपने रहने के लि‍ये बंगला बनाया जि‍समें गि‍रजा घर के लि‍ये राज्‍य सरकार द्वारा राशि‍ स्‍वीकृत की है। पश्‍चि‍म में पाली जि‍ला की सीमा प्रारम्‍भ, समाप्‍त पूर्व उत्‍तर व दक्षि‍ण में राजसमंद जि‍ला समाप्‍ति‍ के छोर से आच्‍छादि‍त पहाडि‍यां प्राकृति‍क दृश्‍य सब सुन्‍दरता अपने आप में समेटे हुए है।
प्रथम वि‍श्‍वयुद्ध के दौरान टॉडगढ़ क्षेत्र से 2600 लोग (सैनि‍क) लड़ने के लि‍ये गये , उनमें से 124 लोग (सैनि‍क) शहीद हो गये , जि‍नकी याद में ब्रि‍टि‍श शासन द्वारा पेंशनर की पेंशन के सहयोग से एक ईमारत बनवाई “फतेह जंग अजीम” जि‍से वि‍क्‍ट्री मेमोरि‍यल धर्मशाला कहा जाता हैं। (जि‍समें लगे शि‍लालेख में इसका हवाला हैं।) प्राचीन स्‍थि‍ति‍ में कुम्‍भा की कला व मींरा की भक्‍ति‍ का केन्‍द्र मंगरा मेवाड़ रण रावत राजपुत बांकुरे राठौड़ो का मरूस्‍थलीय मारवाड। मेवाड़ और मारवाड़ के मध्‍य अरावली की दुर्गम उपत्‍यकाओं में हरीति‍मायुक्‍त अजमेर- मेरवाड़ा के संबोधन से प्रख्‍यात नवसर (नरवर) से दि‍वेर के बीच अजमेर जि‍ले का शि‍रोमणी कस्‍बा हैं। कर्मभूमि‍ बाबा मेषसनाथ व भाउनाथ की तपोभूमि‍ क्रान्‍ति‍कारी वीर रावत राजूसिंह चौहान, वि‍जय सि‍ह पथि‍क, व
राव गोपाल सिंह खरवा के गौरव का प्रतीक, पवि‍त्र दुधालेश्‍वर महादेव की उपासनीय पृष्ठभूमि । यही नही बहुत कुछ छुपा हुआ है , टॉडगढ़ के अंचल में ।
वर्तमान में यहाँ प्रज्ञा शिखर पर आचार्य तुलसी की स्मृति में विशाल शिलालेख की स्थापना की गई । यह स्थल तुलसी तीर्थ के रुप में प्रसिद्ध हो रहा है ।जहां शिक्षा संस्कार और साहित्य की त्रिवेणी प्रवाहित होने से अनेक सामाजिक और धार्मिक गतिविधियों का केन्द्र बन चुका है ।प्रति वर्ष आचार्य तुलसी के महा प्रयाण दिवस के अवसर पर उनको श्रद्धान्जलि स्वरुप धम्म जागरण कार्यक्रम का भव्य आयोजन किया जाता है ।

आलेख प्रस्तुति
*बी एल सामरा नीलम*
संयोजक मेवाड़ गौरव केन्द्र एवं
संस्थापक अध्यक्ष और प्रमुख मैनेजिंग ट्रस्टी
*विरासत सेवा संस्थान अजमेर*

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