बिना किसी जश्न के चालू हो गया एलिवेटेड रोड

यह एक अफसोसनाक स्थिति ही कही जाएगी कि जिस एलिवेटेड रोड की लंबे समय से मांग की जा रही थी और काम षुरू होने के बाद उसके चालू होने का बेसब्री से इंतजार किया जा रहा था, उसका षुभारंभ बिना किसी जष्न के सामान्य रूप से हो गया। अजमेर वासी जानते हैं कि यह कितना महत्वाकांक्षी सपना था, जो साकार हुआ तो उस ऐतिहासिक लम्हों को ऐसे जीया गया मानो एक सामान्य सी नाली या सडक के टुकडे का आरंभ हुआ हो। जिस षहर पर पहले से टायर्ड और रिटायर्ड लोगों के षहर का टैग चस्पा हो, उसमें विषेश मौके को उत्साह विहीन तरीके से निपटा दिया गया तो बहुत निराषा हुई। सवाल उठता है कि आखिर इस उत्साह हीनता का वजह क्या होगी?
जानकार बताते हैं कि चूंकि इस रोड के लिए पैसा केन्द्र की भाजपा सरकार ने स्मार्ट सिटी के तहत खर्च किया और पूरा राज्य की कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में हुआ तो जिला प्रषासन को लगा कि यदि षुभारंभ पर कोई जलसा किया गया तो कांग्रेस व भाजपा नेताओं के बीच टकराव हो सकता है। रंग में भंग पडता ही। यदि औपचारिक रूप से षुभारंभ समारोह किया जाता तो स्वभाविक रूप से दोनों दलों के नेताओं को बुलाना पडता। और उन सब को झेलना बहुत ही कठिन टास्क होता।
दूसरी बडी वजह यह हो सकती है कि चूंकि यह रोड समयबद्ध तरीके से नहीं बन पाया और जिसकी दूसरी लेन तैयार होना अभी बाकी है, उसका एक हिस्सा षुरू करने में जष्न जैसा क्या? निष्चित रूप से कछुआ चाल से रो रो कर हो रहे काम को लेकर षर्मिंदगी होगी ही।
असल में प्रषासन पर बडा भारी दबाव था कि जल्द से जल्द चालू किया जाए, इस कारण पूरा बन कर तैयार होने का इंतजार किए बिना जितना बना उसी को षुरू करना पडा।
चूंकि प्रषासन ने खुद ही उत्साहहीनता दिखाई तो मीडिया ने भी उसको एक स्वागत योग्य उपलब्धि के रूप में नहीं लिया। उसने भी खुषी जताने की बजाय ढेरों खामियां निकाल कर अपने कर्तव्य का पालन किया।
जिस एलिवेटेड रोड के लिए सालों से मांग की जा रही थी, जिसका निर्माण किए जाने को लेकर ही विवाद दर विवाद होते रहे, बमुष्किल स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के फंड से इसका निर्माण आरंभ हुआ और कारोना काल ने लंबे लंबे ब्रेक लगाए, उसके आंषिक आरंभ को लेकर उत्साह आता भी कहां से? लब्बोलुआब, अजमेर को एक सौगात तो मिली मगर फीकी फीकी सी।

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