क्या गिदवानी को कहीं से कोई इशारा मिला है?

समाजसेवी हरीष गिदवानी पिछले कुछ समय से बहुत अधिक सक्रिय हैं। माना यह जा रहा है कि वे आगामी विधानसभा चुनाव में अजमेर उत्तर में भाजपा टिकट के लिए दावेदारी करेंगे। सवाल उठता है कि क्या लगातार चार बार जीत चुके पूर्व षिक्षा राज्य मंत्री वासुदेव देवनानी का टिकट काट कर उन्हें दिया जा सकता है? आइये, देखते हैं कि समीकरण क्या कहते हैंः-
हरीष पेन वाला के नाम से सुपरिचित समाजसेवी श्री हरीष गिदवानी पिछले कुछ समय से लगातार गतिविधियां कर रहे हैं। षायद ही कोई ऐसा फील्ड होगा, जिसमें उन्होंने अपनी भागीदारी न निभाई हो। चाहे समाज सेवा हो, चाहे राजनीति, चाहे व्यापारिक संगठनों का मसला हो चाहे जन समस्याओं का मुद्दा, हर जगह वे अग्रणी नजर आ रहे हैं। दान करने का भी वे कोई मौका नहीं छोडते। सांस्कृतिक गतिविधियों में बढ चढ कर हिस्सा ले रहे हैं। कोरोना काल में भी उन्होंने जम कर सेवा कार्य किए। हालांकि कोई भी यह मानने को तैयार नहंीं है कि चार बार विधायक रहे वासुदेव देवनानी की जगह भाजपा उन्हें टिकट देगी। और भाजपा इस तरीके से टिकट देने की आदी भी नहीं हे। वैसे भी यह सीट आरएसएस की मानी जाती है। जिस पर पक्का भरोसा हो, जो आरएसएस के निर्देष को आदेष मानता हो, वह केवल उसी को टिकट देती है, चाहे वह जनता में अपरिचित ही क्यों न हो। इसके अनेक उदाहरण मौजूद हैं। बावजूद इसके अगर गिदवानी पूरी ताकत झोंके हुए हैं तो तनिक संदेह होता है कि कहीं उन्हें उपर से कोई इषारा तो नहीं है। वे मानसिक रूप से पूरी तरह स्वस्थ हैं। पेषे से व्यापारी हैं। नफा नुकसान में अच्छी तरह से समझते हैं। न तो उन्हें चने के झाड पर चढाया जा सकता है और न ही भावना में वे बहने वाले हैं। फिर भी तन, मन, धन से समर्पित हो कर जुटे हुए हैं तो कोई तो बात होगी। रहा सवाल इषारे का तो राजनीति में ऐसे इषारे खूब मिला करते हैं। पिछली बार कांग्रेस के एक दावेदार को भी उपर से इषारा था, मगर हुआ क्या, सबको पता है। असल में अगर आप लॉलीपोप चूसने के षौकीन हैं तो लॉलीपोप चुसवाने वाले कम थोडे ही हैं। हालांकि गिदवानी लॉलीपोप चूसने वाले दिखते हैं नहीं। जरूर कहीं से गारंटी ले कर आए हैं। वैसे चुनाव से दो साल पहले गारंटी मिला नहीं करती। यदि कोई दे रहा है तो वह फर्जी है। आखिरी वक्त तक कोई गारंटी नहीं दे सकता। उपर के इषारे की छोडो, अभी तो यह तक ठीक से पता नहीं लग पाया है कि उनका स्थानीय आका कौन है? किससे गाइडेड हैं, यह रहस्य बना हुआ है। इक्का दुक्का नाम ख्याल में आते हैं, मगर खुद गिदवानी ने ऐसा कोई एक्ट नहीं किया है, जिससे कयास लगाया जा सके। वैसे वे जितनी चतुराई से अपनी लोकप्रियता बढा रहे हैं, उससे लगता है कि उनके पास प्लान टू भी होगा ही। कुल मिला कर राजनीति के जानकारों के लिए वे कौतुहल का विशय हैं। एक अबूझ पहेली से। दूसरी ओर देवनानी उनकी सक्रियता से तनिक भी चिंतित नजर नहीं आते। अगर कोई पूछ बैठे कि गिदवानी को हुआ क्या है तो कोई भी टिप्पणी करने से मना करते हुए यह कह कर बात समाप्त कर देते हैं कि कोई दावेदारी जता रहा है तो उसमें बुराई क्या है?
कुल मिला कर अजमेर के राजनीतिक इतिहास में वे अनूठे दावेदार हैं, जिनकी न जमीन का पता लग पाया है, न आसमान का।

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