जब सचिन पायलट को हो गया था हार का आभास

दोस्तों, अजमेर से सांसद रहे सचिन पायलट को अपने दूसरे चुनाव जीतने की पूरी उम्मीद थी। होती भी क्यों नहीं? उन्होंने यहां डट कर काम करवाए थे। मगर साथ ही प्रचंड मोदी लहर का आभास भी हो गया था। चुनाव प्रचार के आखिरी दिनों में उनकी आषंका उभर कर सामने आ गई। एक सभा में उन्होंने बहुत मार्मिक अंदाज में कहा था कि अजमेर को अपनी कर्मस्थली बनाने के लिए उन्होंने खूब काम करवाए। आप इस बात को समझ लीजिए कि आपने मुझे जनहित के अनेक काम करवाने की एवज में वोट नहीं दिया तो राजनीतिज्ञों का जनसेवा पर से विष्वास उठ जाएगा। फिर कोई नेता जनता की भलाई के कामों पर ध्यान क्यों देगा। असल में आजादी के बाद वे इकलौते ऐसे नेता थे, जिन्होंने केन्द्र में मंत्री रहते हुए हाईकमान से नजदीकी के चलते अपने प्रभाव से अजमेर को बहुत कुछ दिया, इस उम्मीद में कि अगले चुनाव में भी वे जीत जाएंगे। उन्हें जीत का पूरा भरोसा था भी। सचिन के कामों को भाजपा वाले भी दबी जुबान स्वीकार करते हैं, मगर मोदी लहर में सारे काम पानी में बह गए और सचिन पायलट की पराजय हुई। उनकी हार के बाद लोगों को बडा अफसोस हुआ कि यह क्या हो गया? आज तक उनके जैसे प्रभावषाली नेता की अजमेर को दरकार है।

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