आइए मोदी जी, आपसे अजमेर को बहुत उम्मीदें हैं

-स्मार्टसिटी प्रोजेक्ट का अधिकांश पैसा डकारने वालों की खिंचाई कर डालिए
-अजमेर में कोई बड़ा उद्योग लगाने की घोषणा कर जाइए
-आप अगर पूरे शहर में घूम जाएं तो अच्छा होगा, अजमेर के दिन फिर जाएंगे
-वैसे अफसर हाथ-पर-हाथ धरे बैठे रहते हैं, जब कोई वीवीआईपी आते हैं, तो दौड़ते फिरते हैं
-आपकी पार्टी भाजपा के लोगों को विपक्ष की बेहतर तरीके से भूमिका निभाने का तरीका भी सिखा जाइए

✍️प्रेम आनन्दकर, अजमेर।
👉प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने कार्यकाल के नौ साल पूरे होने का जश्न मनाने के लिए अजमेर आ रहे हैं। यह अजमेर ही नहीं, राजस्थान के लिए गर्व की बात है कि मोदी इस खास दिन को अजमेर में मना रहे हैं। भले ही हम किसी भी राजनीतिक पार्टी या विचारधारा से जुड़े हों, लेकिन अजमेर, प्रदेश और देश के नागरिक होने के नाते अजमेर की पावन धरती पर मोदी का स्वागत करना ही चाहिए। प्रधानमंत्री किसी एक राजनीतिक दल का नहीं, पूरे देश का होता है। चूंकि मोदी भाजपा के बैनर से चुनाव जीतकर संसद में पहुंचे, तो भाजपाइयों का खुश और उत्साहित होना लाजिमी है। आइए मोदी जी, आपसे अजमेर को बहुत उम्मीदें हैं। और हो भी क्यों नहीं। मोदी चाहते तो इस दिन को कहीं और भी मना सकते थे, लेकिन उन्होंने अजमेर को चुना। वैसे तो मोदी की इस यात्रा के अनेक सियासी मायने हैं और मायने निकाले भी जा रहे हैं। कांग्रेस अपने नजरिए से देख रही है तो भाजपा अपने नजरिए से। लेकिन यहां हम राजनीतिक बात नहीं करेंगे। अजमेर का नागरिक होने के नाते उनसे उम्मीदें लगाना स्वाभाविक है। उम्मीद की जानी चाहिए कि मोदी नौ साल के जश्न पर अजमेर जिले को कोई ऐसी सौगात देकर जाएंगे, जिससे अजमेर के साथ-साथ आसपास के अनेक जिलों के लोगों को लाभ मिले। यदि कोई सौगात नहीं देते हैं तो अजमेर के लोगों को निराशा हाथ लगेगी। वे अजमेर जिले में कोई बड़ा ऐसा उद्योग लगाने की घोषणा कर जाएं, जिससे हजारों हाथों को काम मिल सके, तो यह अजमेर के लोगों के लिए बहुत बड़ी सौगात और उपलब्धि होगी। मोदी जी, राजनीतिक भाषण तो बहुत सुन लिए और सुन लेते हैं, लेकिन इस बार अजमेर की जनता आपसे उम्मीदें लगाए हुए हैं। हां, आपकी सरकार ने अजमेर को स्मार्टसिटी की सौगात दी थी। हालांकि इसमें कुछ हिस्सा राजस्थान सरकार का भी है, लेकिन अधिकांश धन केंद्र सरकार से ही आया है। अजमेर का स्मार्टसिटी प्रोजेक्ट में अब तक कायाकल्प हो जाना चाहिए था, लेकिन करोड़ों-अरबों रूपए खर्च होने के बाद भी कहीं से ऐसा नहीं लगता है कि अजमेर की शक्ल-सूरत में कोई अंतर आया हो। भले ही एलिवेटेड रोड बन गया है, लेकिन अधिकारियों की मक्कारी, अपनी जेबें भरने और यहां के जनप्रतिनिधियों व जनता की अनदेखी के कारण एलिवेटेड रोड का सत्यानाश कर दिया गया है।

प्रेम आनंदकर
इसके मूल नक्शे के चिथड़े बिखेर कर मनमर्जी से इसकी भुजाएं बनाई गई हैं। उम्मीद कर रहे थे कि एलिवेटेड रोड बनने के बाद अजमेर की यातायात व्यवस्था में सुधार होगा, लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है। सड़कें पहले की तरह उधेड़ी हुई हैं। पेयजल व्यवस्था में आत तक कोई सुधार नहीं हुआ है। सेवन वंडर्स के नाम पर आनासागर के किनारे सात ताबूत खड़े कर दिए गए हैं। आनासागर आज भी अपनी दुर्दशा पर रो रहा है। इसका पानी पूरी तरह बदबूदार होकर लोगों को परेशान कर रहा है। आनासागर का कैचमेंट एरिया अधिकारियों की मक्कारी के कारण दिनों-दिन कम होता जा रहा है। आनासागर की रक्षा करने की बजाय उसके परकोटे में ही सेवन वंडर्स बनाए गए हैं। कुल मिलाकर स्मार्टसिटी प्रोजेक्ट से शहर का कोई भला नहीं हुआ है। हां, अधिकारियों की जेबें जरूर जरूरत से ज्यादा गर्म हो गई हैं। अब चूंकि स्मार्टसिटी प्रोजेक्ट केंद्र सरकार का दिया हुआ है, तो मोदी जी, आपसे विनती है कि अजमेर के मक्कार अफसरों से इस प्रोजेक्ट की पाई-पाई का हिसाब जरूर पूछ लीजिए। हां, जनता से ऑडिट कराइए। इसमें विभिन्न क्षेत्रों के पांच ऐसे ख्यातनाम लोगों की टीम बनाइए, जो जानकार और दमदार हों। यदि एक पाई की गड़बड़ी भी निकले, तो कमीशनखोरों की खाल खींच डालिए। आप ही तो कहते हो, ’’ना खाऊंगा, ना खाने दूंगा’’, तो फिर देर किस बात की। जब आप भाषण दें, तो हिसाब मांगना मत भूलना। यह भी कह जाएं कि यदि हिसाब किताब में रत्तीभर भी लोचा मिला तो एक-एक पाई हलक से निकाल ली जाएगी। और हां, यह भी चर्चा है कि सेवन वंडर्स की फाइल गायब हो गई है। यदि यह बात सही है, तो पूछिए फाइल किसलिए गायब हुई। जब भी अफसरों की खाऊ प्रवृत्ति और मक्कारी पर आंच आती है, तो फाइलें गायब हो जाती हैं। मोदी जी, यदि आप अचानक से शहर घूमने का प्रोग्राम बना लेते हैं, तो मां कसम, यहां के अफसरों के हाथ-पांव फूल जाएंगे। आपको पता चल जाएगा कि जिस शहर को आप स्मार्टसिटी बनाना चाहते हैं, वह किस तरह अपनी आंखों से आंसू छलका रहा है। और कुछ नहीं, आप तो केवल इतना कहलवा दीजिए कि आप रोड शो करेंगे, तो दावे से कहा जा सकता है कि अमूमन तौर पर कामों के लिए धन नहीं होने का रोना रोने और टेंडर होने के बाद काम शुरू करने का बहाना बनाने वाले अफसर रातों-रात सड़कें बनवाने, नाले-नालियां व पुलियाएं ठीक कराने के लिए खुद जुत जाएंगे। वैसे तो यह अफसर हाथ-पर-हाथ धरे बैठे रहते हैं, एसी कमरों से गाहे-बगाहे बाहर निकलते हैं, एसी कारों के शीशे चढ़ाकर चलते हैं। उन्हें पता थोड़े ही होता है कि जब जनता सड़कों पर चलती है, तो उसे कितनी परेशानियां होती हैं। मोदी जी जब कोई वीवीआईपी अजमेर आते हैं, तो बरसों से ठीक होने का इंतजार कर रही सड़क रातों-रात बन जाती है। पता नहीं, इन अफसरों के तब पंख क्यों व कैसे लग जाते हैं। पिछले दिनों राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अजमेर आए, तो अफसरों ने उनके हाथों एलिवेटेड रोड की दूसरी भुजा का लोकार्पण कराया। जिन रास्तों से गहलोत एलिवेटेड रोड पर गए और उतरे, उन रास्तों को अफसरों ने ठीक करा दिया। गहलोत ने भी केवल वही देखा, जो अफसरों ने दिखाया। यदि गहलोत एलिवेटेड रोड पर चढ़ते और उतरते वक्त कुछ पहले रूक कर एलिवेटेड के नीचे और आसपास के हालात देख लेते, तो उन्हें अफसरों की मक्कारी के साक्षात दर्शन हो जाते। तो मोदी जी, अजमेर शहर अनेक विपरीत हालात से जूझ रहा है। ऐसा लगता है, इसका कोई धणी-धोरी नहीं है। और हां, आपकी पार्टी के लोग भी विपक्ष की भूमिका सही से नहीं निभा पा रहे हैं। उनकी ऐसी कौनसी मजबूरी है, यह तो आप ही उनसे पूछ सकते हैं। यदि आप भाजपा के लोगों को सशक्त विपक्ष की भूमिका निभाने का तरीका सिखा जाएं, तो अच्छा होगा। हो सकता है, भाजपाई जाग जाएं, सड़कों पर उतर जाएं, चैन से नहीं बैठें, तो अजमेर की जनता का कुछ भला हो जाए। यह कहने में कोई हिचक नहीं है कि अजमेर के अधिकांश भाजपा नेता केवल कागजी शूरवीर हैं। प्रदेश में कांग्रेस की सरकार होने के कारण कांग्रेसियों के मुंह पर ताले लटके होने की बात तो समझ में आती है लेकिन भाजपाइयों के गूंगे, बहरे और धृतराष्ट्र बने रहने का कारण आज तक समझ नहीं आया। इसे मोदी जी, आप ही समझ और समझा सकते हैं।

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