अजमेर में भाजपा के दमदार दावेदार डॉ दीपक भाकर

लोकसभा चुनाव नजदीक हैं। अजमेर में भी चुनावी सरगरमी आरंभ हो चुकी है। दोनों पार्टियों के दावेदारों के नाम पर चर्चा हो रही है। स्थानीय दावेदारों की सूची लंबी है। साथ ही यह भी कयास है कि इस बार दिग्गजों को चुनाव लडाया जाएगा। इस बीच कथित रूप से दमदार दावेदार डॉ दीपक भाकर का नाम भी राजनीतिक गैलेरी में चर्चित है। आइये, समझें कि उनकी दावेदारी का आधार क्या है?
लोकसभा चुनाव की सरगरमी के बीच अजमेर में डॉ दीपक भाकर का नाम भाजपा दावेदार के रूप में उभर कर आ रहा है। सर्वविदित है कि अजमेर संसदीय क्षेत्र में तकरीबन ढाई लाख से अधिक मतदाता है। डॉ भाकर की दावेदारी का प्रमुख आधार यही है। चूंकि उनका चेहरा आम जनता में जाना पहचाना नहीं है, इस कारण कुछ लोग उनकी दावेदारी पर सवाल खडा करते हैं, मगर धरातल का सच यह है कि लोकसभा चुनाव में मतदान पार्टी और जाति के आधार पर होता है। प्रत्याषी की निजी जमीनी पकड का फैक्टर अधिक प्रभावी नहीं होता। देखिए, जब कांग्रेस ने डॉ प्रभा ठाकुर को टिकट दिया गया तो वे कोई जाना पहचाना चेहरा नहीं थीं, फिर भी जीत गईं। जब किषन मोटवानी को टिकट दिया गया तो उनकी पकड पूरे संसदीय क्षेत्र में नहीं थी। इसी प्रकार जगदीप धनखड, हाजी हबीबुर्रहमान जैसे बाहरी नेताओं पर भी दाव खेला जा चुका है, जिनकी परफोरमेंस कोई कमजोर नहीं थी। बाहरी नेताओं में सचिन पायलट व श्रीमती किरण माहेष्वरी भी षामिल थे, जिनका स्थानीय नेटवर्क नहीं था, मगर दिग्गज नेता होने के नाते उनको चुनाव लडाया गया। इन तथ्यों की रोषनी में डॉ भाकर की दावेदारी में सुपरिचित चेहरा न होने की बाधा मानना बेमानी है। उलटे कई बार सुपरिचित प्रत्याषी के साथ पूर्वाग्रह नुकसानदेह होता है, जबकि फ्रेष प्रत्याषी के प्रति पूर्वाग्रह होता ही नहीं है।
दावेदारी की प्रबलता को कैसे परिभाषित किया जाए, उसका क्या आधार माना जाए, इसको लेकर मतभिन्नता हो सकती है, मगर मीडिया जरूर उन्हें प्रबल दावेदार मान रहा है।
बेषक आम आदमी को डॉ भाकर के बारे में जानकारी नहीं है, मगर जयपुर-दिल्ली दरबार में बहुत प्रभावषाली षख्सियत हैं। योग्यता के लिहाज से भी दमदार प्रोफाइल के मालिक हैं।
उनका जन्म अजमेर में 21 दिसंबर 1969 को श्री लक्ष्मण सिंह भाकर के घर में हुआ। उन्होंने एमबीबीएस एमडी की डिग्रियां हासिल की है। कई सरकारी व गैर सरकारी पदों पर काम कर चुके हैं और कर रहे हैं।
वैसे, आपको बता दें कि डॉ भाकर ने पिछले चुनाव में भी खुद को प्रोजेक्ट करने की कोषिष की थी। उन्होंने होर्डिंग्स-बैनर ऐसे लगाए थे, मानो चुनाव प्रचार कर रहे हों। इस बार वे दावेदारी के प्रति अधिक गंभीर हैं। इसी क्रम में न्यूज चैनल में बतौर पेनलिस्ट दिखाई दे रहे हैं। स्थानीय भाजपा का एक प्रभावी समूह उनका साथ दे रहा है।

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