क्या ख्वाजा साहब का कासा अब भी मौजूद है?

महान सूफी संत हजरत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिष्ती के बारे में चमत्कारों की अनेक किंवदंतियां हैं। उनमें से एक है आनासागर झील के पूरे पानी को उन्होंने एक पात्र कासा में भर लिया था। बताया जाता है कि वह कासा अब भी मौजूद है, मगर उसका कोई पुख्ता प्रमाण नहीं है। कासे से जुडी किंवदंती क्या है और कासे की मौजूदगी है अथवा नहीं, उसका किस्सा इस प्रकार है। ख्वाजा साहब 1191 ईस्वी में अजमेर आए। सबसे पहले आनासागर के पास एक छोटी सी पहाडी पर ठहरे और वहां इबादत की। इसको चिल्ला के नाम से जाना जाता है। बताते हैं कि अपने जीवन के अधिकतर चमत्कार उन्होंने यहीं पर दिखाए। अजयपाल जोगी से विवाद भी इसी स्थान पर हुआ, जिसके अनेक किस्से चर्चित है। एक किस्सा ये है कि ख्वाजा साहब अपने खादिमो के साथ आनासागर झील पर पहुंचे। वहां उनका विरोध हुआ। इस पर ख्वाजा साहब ने एक खादिम को कासा लाने को कहा। जैसे ही उसे आनासागर में डाला तो झील का पूरा पानी उसमें समा गया। बाद में राजा के सैनिकों ने माफी मांगी तो कासे का सारा पानी फिर से झील में डाल दिया। वह कासा कहां है? क्या अब भी वह मौजूद है? वह मौजूद हो या न हो, मगर चिल्ले पर लगे एक नोटिस से यह स्पश्ट होता है कि जरूर किसी के पास वह कासा मौजूद है, या ऐसा जता रहा है कि उसके पास कासा है, और उसे आय का जरिया बनाए हुए हैं। हो सकता है वह नकली कासा हो। नोटिस में लिखा है कि चिल्ले के इलाके में कोई कासा मौजूद नहीं है। यदि कोई यह दावा करता है कि कासा मौजूद है, तो वह सरासर झूठ है। लिहाजा किसी के बहकावे में न आएं।

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