*सावधान! अजमेर में जगह-जगह यमदूत हैं*

-कहीं सड़कों से सटे नालों के मुहाने क्षतिग्रस्त हैं, कहीं सीवरेज के खुले मेनहॉल सड़क पर सीना ताने खड़े हैं
-जगह-जगह सड़कें क्षतिग्रस्त होने से गड्ढों की भरमार है, कचहरी रोड ’’मौत का रास्ता’’ बना हुआ है
-विक्षिप्त युवक के नाले में गिरकर मरने के बाद भी कोई सबक नगर निगम और जिला प्रशासन ने नहीं सीखा
-शहरवासियों अपनी हिफाजत आप खुद करो, अफसरों का बाल भी बांका नहीं हो सकता

प्रेम आनंदकर
👉बेटा या बेटी चाहे किसी गरीब की हो, खानाबदोश की हो, अमीर की हो या राजा-महाराजा की हो, चाहे किसी नेता की हो। भगवान ना करे, किसी पर ऐसी कोई विपदा पड़े, जैसी अजमेर के सबसे व्यस्तम रहने वाले कचहरी रोड स्थित नाले में डूबने से एक विक्षिप्त युवक की मौत होने से उसके परिवार पर पड़ी है। नाला भी कोई इतना ज्यादा गहरा नहीं था, जिससे कोई डूब कर मर जाए, लेकिन पानी का फ्लो ज्यादा होने के कारण यह विक्षिप्त युवक बह गया और उसने दम तोड़ दिया। वह नाले में कूद कर पानी से खेल रहा था, जिसे एक बार व्यापारियों ने धमका कर भगा दिया था, लेकिन फिर से नाले में चला गया। सवाल यह नहीं है कि मरने वाला युवक विक्षिप्त था, खानाबदोश था और वह नाले में क्यों गया। सवाल यह है कि अति व्यस्तम रहने वाले मार्ग पर इस नाले को कवर क्यों नहीं किया गया। सड़क से सटे इस नाले में तो चलो, विक्षिप्त युवक खुद कूदा, लेकिन यदि बरसात के इस मौसम में कोई पैदल चलने वाला या वाहन चालक इस नाले में गिर कर मर जाए, तो इसकी जिम्मेदारी किसकी होगी। शहर के टूटे नाले-नालियों को ठीक कराने की जिम्मेदारी नगर निगम की है। अधिकांश नाले-नालियां टूटी-फूटी हैं, जिनकी कोई सुध नहीं ली गई है। शहर नालों को अभी तक पूरी तरह साफ नहीं कराया गया है, जबकि मानसून शुरू हो चुका है। ’’खाओ-कमाओ’’ योजना के तहत नालों की सफाई का काम कुछ दिन पहले ही शुरू कराया गया है। नाले साफ नहीं होने के कारण बरसात के मौसम में गंदा पानी निचली और कच्ची बस्तियों के घरों में भरेगा। गांधी भवन से लेकर इंडिया मोटर सर्किल होते हुए राजस्थान लोक सेवा आयोग के पुराने भवन तक पूरा कचहरी रोड क्षतिग्रस्त है। पहले एलिवेटेड रोड के कारण इस रोड की हालत गांव की कच्ची सड़क जैसी कर दी गई थी। अजमेर उत्तर के विधायक व राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष वासुदेव देवनानी द्वारा हड़काने के बाद अफसरों ने सड़क की मरम्मत तो कराई, लेकिन आधी-अधूरी। इसके बाद इंडिया मोटर सर्किल से लेकर एलआईसी तक नया नाला बनाने के नाम पर पुराने नाले को खोद कर पटक दिया गया है। आधी से ज्यादा सड़क खोद दी गई है। पिछले दिनों देवनानी ने इस कार्य का निरीक्षण कर जल्द से जल्द इसे पूरा करने के निर्देश दिए थे, लेकिन मक्कार अफसरों ने देवनानी के सामने गर्दन हिलाने के सिवाय कुछ नहीं किया। यह तो अजमेर की सड़कों, गड्ढों की एक बानगी है। इसके अलावा जगह-जगह सीवरेज के मेनहॉल खुले पड़े हैं, कई जगह ढक्कन उखड़ कर सड़क पर सीना ताने खड़े हैं। बरसात में पानी भर जाने से गड्ढे दिखते नहीं हैं, तो अनेक वाहन चालक चोटिल होते हैं। किंतु आंखों पर काला चश्मा चढ़ाए एयरकंडीशनर कार में चलने वाले अफसरों को यह सब दिखाई नहीं देता है। अभी तो नाले में गिरकर विक्षिप्त युवक मरा है। यदि सीवरेज के किसी खुले मेनहॉल, गड्ढे और सड़कों से सटे नालों के मुहाने क्षतिग्रस्त होने के कारण भविष्य में कोई अन्य व्यक्ति काल-कलवित हो जाए, तो कोई अचरज की बात नहीं होगी। इन अफसरों का तो कुछ भी नहीं बिगड़ेगा और ना ही उन्हें किसी की मौत का रंजो-गम होता है, क्योंकि उनकी तो जिंदगी ऐश से कट रही है। सरकार ने ऐशो-आराम की सभी सुविधाएं उन्हें उपलब्ध करा रखी है। यदि सरकार इन अफसरों को पैदल या बाइक या स्कूटी पर पांच-सात किलोमीटर चलाया जाए, तब उन्हें शहर की असली तस्वीर दिखेगी। किंतु ऐसा कदापि नहीं होगा, क्योंकि सरकार तो अफसरों की खैरख्वाह बनी हुई है। ना नगर निगम के अधिकारियों का कुछ बिगड़ सकता है और ना ही जिला प्रशासन के अधिकारियों का। इस शहर की जनता इसी तरह यातनाएं और पीड़ाएं सहती रहेगी। शहरवासियों अपनी हिफाजत आप खुद करो। अफसरों को तो केवल एयरकंडीशनर कमरों में बैठकर कागज रंगने और कोरी बैठकें करने की तनख्वाह मिलती है। इसलिए उनका बाल भी बांका नहीं हो सकता है।
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✍️प्रेम आनन्दकर, अजमेर।
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