*प्रभारी और उपमुख्यमंत्री दिया कुमारी ने पेयजल समस्या को गर्मी की बताकर बैठक में चर्चा तक नहीं की,जनप्रतिनिधि भी रहे खामोश*
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*कांग्रेस राज में घटिया सड़कें बनाने वाले अधिकारियों-इंजीनियरों पर कार्यवाही क्यों नहीं*
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*■ओम माथुर■*
*मशहूर हास्य कवि संपत सरल की एक चर्चित कविता है। जिसमें वह केंद्र की भाजपा सरकार को निशाना बनाते हुए कहते हैं कि,डीजल -पेट्रोल हमारे हाथ में नहीं है। रुपया अंतरराष्ट्रीय कारणों से गिर गया। महंगाई -भ्रष्टाचार के लिए कांग्रेस जिम्मेदार है। बाकी सभी समस्याएं नेहरू छोड़ गए। फिर भी कोई दिक्कत हो तो पाकिस्तान चले जाओ।*
*क्या ही अच्छा होता कि दिया कुमारी कांग्रेस सरकार पर ठीकरा फोड़ने के साथ ही ये ब्यौरा भी देती कि दिसम्बर में राजस्थान में भाजपा का शासन आने के बाद जिन सड़कों का निर्माण किया गया,वह अभी बरसात में भी सही-सलामत है। तब तै उनकी बात में दम लगता। लेकिन शायद वे ये भूल गई कि बरसात में सड़कों का टूटना और तालाब बन जाना राजस्थान में कोई आज की समस्या नहीं है। जब भाजपा का पहले राज था,तब भी हालात ऐसे ही थे। अजमेर में तो 21 साल से भाजपा के विधायक वासुदेव देवनानी और अनिता भदेल ही हैं। यहां के लोगों को पता है वह बरसात में किस तरह गड्ढों भरी सड़कों पर जान जोखिम में डालकर चलते हैं। इस दरम्यान दो बार तो भाजपा की सरकार भी रही है। दोनों विधायक मंत्री भी रहे हैं। लेकिन तब भी बरसात में तो सड़कें गड्ढों में ही बदली नजर आती थी। अपनी जिम्मेदारी से बचने के लिए दूसरे पर ठीकरा फोड़ने से पहले क्या खुद के गिरेंबा में नहीं झांकना चाहिए।हकीकत ये है कि राजनेताओं, अधिकारियों इंजीनियरों और ठेकेदारों के बीच का गठजोड़ हर सरकार में हावी रहता है और हर बार ऐसी ही सड़कों का निर्माण होता है, जो बरसात में फूट-फूट जाती है।*
*लेकिन इससे भी पीड़ादायक उप मुख्यमंत्री का अजमेर की पेयजल समस्या को लेकर दिया बयान है। मीडिया के सवाल पर उन्होंने साफ कहा कि पेयजल समस्या से ज्यादा बारिश में जल भराव और सड़कों की टूट-फूट की समस्या महत्वपूर्ण है। अभी इन पर फोकस हैऋ पानी की समस्या गर्मी में ज्यादा होती है। इस बयान से साफ है कि उपमुख्यमंत्री को यह पता ही नहीं है कि अजमेर में पानी की समस्या गर्मी में नहीं, पूरे साल ही रहती है। अभी भी हालत यह है कि कई इलाकों में पानी पांच-पांच दिन बाद आ रहा है। जिसका भी ना समय तय है और ना ही प्रेशर से आता है। ऐसा लगता है कि प्रभारी मंत्री के नाते दिया कुमारी को या तो अधिकारियों ने मुद्दों की ठीक से बिफिंग नहीं की या फिर खुद दिया कुमारी की इसमें रुचि नहीं थी कि वह शहर और जिले की मुख्य समस्या पर चर्चा करके उसके समाधान का रास्ता निकालती। अधिकारी तो अपनी गर्दन बचाने के लिए अपनी कमियां छिपाएंगे,लेकिन समीक्षा बैठक में मौजूद एकीकृत अजमेर जिले के विधायक क्यों खामोश रहे? जबकि अजमेर सहित पूरे जिले में जल संकट बड़ी समस्या है। खुद विधानसभा अध्यक्ष देवनानी विधानसभा में आसन पर बैठे हुए जलदाय मंत्री को कह चुके हैं कि अजमेर में तीन-तीन- चार-चार दिन पानी आ रहा है। समस्या का जल्दी समाधान कीजिए। लेकिन उसके बावजूद प्रभारी मंत्री और जिले के विधायकों ने इस पर चर्चा तक नहीं की,बल्कि इसे गर्मी की समस्या बता दिया। बैठक में पुष्कर के विधायक मंत्री सुरेश सिंह रावत, अजमेर की विधायक अनीता भदेल सहित केकड़ी के विधायक शत्रुघ्न गौतम, ब्यावर के विधायक शंकर सिंह रावत,मसूदा के विधायक वीरेंद्र कानावत मौजूद थे। कहीं ऐसा तो नहीं मूलरूप से अजमेर के लिए बनी बीसलपुर योजना से जयपुर को ज्यादा और नियमित पानी देने का विरोध करने की हिम्मत हमारे विधायकों में नहीं है? अगर थी तो फिर प्रभारी मंत्री के सामने क्यों नहीं जलदाय विभाग और इंजीनियरों की बखिया उधेड़ दी। उन्हें बताते कि इससे बदनामी किसी और की नहीं, भाजपा सरकार की ही हो रही है। अजमेर के लिए आखिर ऐसी समीक्षा बैठक का औचित्य ही क्या था,जिसमें शहर और जिले की सबसे प्रमुख समस्या पर ही चर्चा ना हो और खुद प्रभारी मंत्री भी उसे गंभीरता से ना लें।*
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