*लाल फाटक खत्म होने से अजमेर में यातायात संकट और बढ़ेगा*

_ना जनप्रतिनिधि कुछ बोले, ना जनता। शहर के बाकी फाटक बंद हुए बिना रेलवे को भी कोई लाभ नहीं_

ओम माथुर
रेलवे ने सम्राट पृथ्वीराज चौहान राजकीय महाविद्यालय के पास सि्थत लाल फाटक के नाम से पहचाने जाने वाले रेलवे फाटक को हमेशा के लिए बंद कर अजमेर की बदहाल यातायात व्यवस्था के कोढ़ में खाज का काम कर दिया है। इससे हजारों लोगों को रोजाना मुसीबत का सामना करना पड़ेगा। ये फाटक शहर के दो भागों को जोड़ती थी। विडम्बना ये है कि इतना बड़ा फैसला हो गया,लेकिन शहर के जनप्रतिनिधियों की विरोध में आवाज तक नहीं निकली। जनता,तो वैसे ही हर परेशानी को अपनी नियति मानकर खामोशी से सब सहती है। इसे भी सह लेगी। ये हाल तो तब है, जब अजमेर के सांसद भागीरथ चौधरी केंद्रीय मंत्री हैं। अजमेर के विधायक वासुदेव देवनानी विधानसभा अध्यक्ष हैं। पुष्कर के विधायक सुरेश रावत राज्य के कैबिनेट मंत्री हैं। ओंकार सिंह लखावत और ओमप्रकाश भडाणा आयोग के अध्यक्ष बन राज्यमंत्री का दर्जा भोग रहे हैं। राज्य में भाजपा सरकार, केंद्र में भाजपा सरकार। यानी परफेक्ट डबल इंजन की सरकार,जिसका विकास के लिए भाजपा अक्सर जिक्र करती है। लेकिन अजमेर में डबल इंजन भी फेल हो गया।
पहले समझिए यातायात व्यवस्था कैसे और बदहाल हो जाएगी। अभी रामगंज,चंद्रवरदाई नगर और उस तरफ बसे दर्जनों अन्य आवासीय इलाकों तथा केसरगंज के ऊपरी और भीतरी इलाकों में रहने वाले लोगों को अगर नसीराबाद रोड या श्रीनगर रोड जाना होता था और उधर के लोगों को इधर आना होता था,तो वह इस लाल फाटक से क्रॉस होकर निकला करते थे। यानी अलवर गेट,इसके आसपास के रिहायशी इलाकों बिहारीगंज,आदर्शनगर,गुलाबबाडी,नाकामदार आदि इलाकों में सीधा जाने के लिए लाल फाटक आसान रास्ता था। शहर के कई बड़े निजी स्कूल भी नसीराबाद रोड पर है। उपरोक्त इलाकों में रहने वाले बच्चों को लेकर आने वाले वाहन भी फाटक पार कर निकलते थे।
लेकिन लाल फाटक खत्म हो जाने के बाद इन इलाकों के लोगों को अगर मार्टिण्डल ब्रिज के
नीचे वाले इलाकों में जाना होगा,तो पहले वाहन पर ब्यावर रोड पर संत फ्रांसिस हास्पिटल के सामने से होते हुए पुराने बाटा तिराहे तक जाना होगा और वहां से मुड़कर ब्रिज की ओर आना होगा। वहां से थोड़ा आगे ही एलिवेटेड रोड का ट्रैफिक भी उतरता हैं। जबकि जो दोपहिया वाहन चालक माट्रिण्डल ब्रिज के ऊपर से आते हैं,वह भी वही उतरेंगे। ब्यावर रोड की ओर से आने वाले दोपहिया वाहन चालक भी इधर से ही ब्रिज पर चढ़ने की कोशिश करते हैं और चढ़ भी रहे हैं। यानी चाचा पान हाउस के सामने हाल और खराब हो जाएगा। यहां वैसे ही हर कुछ देर में जाम लग जाता है और वाहन दिन भर ही टकराते रहते हैं। सुबह और रात को तो चौपाहिया वाहन भी गलत दिशा से ब्रिज के ऊपर से सीधे उतर जाते हैं। ब्रिज से उतरकर जीसीए के सामने से उतरकर नहीं आते। यूं भी अभी जीसीए से लेकर मार्टिण्डल ब्रिज तक सड़क की जो दुर्दशा है, वहां से गुजरना किसी नरक से कम नहीं है।
यूं लाल फाटक पर दोपहिया चालकों के लिए पुल बनाया गया है। लेकिन वो इतना चौड़ा नहीं है कि दोनों तरफ जाने वाले वाहन आसानी से निकल सके। इसके अलावा फाटक के स्थान पर खुदाई कर दी गई है और वहां दीवार बनाई जाएगी। ऐसे में पैदल चलने वालों को भी पुल से ही आना-जाना होगा यानी कभी भी हादसे की आशंका बनी रहेगी। रेलवे ने नए पुर के निर्माण के दौरान काफी समय तक लाल फाटक बंथ रख अजमेर की जनता की सहनशीलता और नेताओं की हैसियत का अंदाजा लगा लिया था। पुल बनने के बाद कुछ लाल फाटक खोला गया। लेकिन अब हमेशा के लिए इसे हटा दिया गया है।
अब लाल फाटक बंद करने पर रेलवे का तर्क भी देख लीजिए। रेलवे के अधिकारियों को कहना है कि कॉस्ट कटिंग ( पैसे बचाने ) और भविष्य में सभी रेल लाइनों को फाटक क्रॉसिंग मुक्त करने के लिए कदम उठाया गया है। सवाल ये है कि इससे रेलवे कितने पैसे बचा लेगा?अगर लाल फाटक पर चार कर्मचारियों की ड्यूटी लगी होने से शहर के हजारों लोगों को फायदा मिलता है,तो रेलवे की आमदनी पर या खर्चे पर कितना असर पड़ने वाला था। दूसरा, तर्क है सभी क्रासिंग बंद करना। अभी भी अजमेर में लाल फाटक से आधा किलोमीटर दूर जौन्सगंज और करीब एक-डेढ़ किलोमीटर दूर तोपदड़ा में फाटक क्रॉसिंग चल रहे हैं। दोनों पर पुल बनाने की योजना का दूर-दूर तक कोई पता नहीं है। इसके अलावा अजमेर डेयरी के रेलवे क्रॉसिंग पर बन रहा पुल पिछले 8 साल में भी पूरा नहीं बना है। जो पटरियां लाल फाटक पर है,वहीं इन तीनों क्रासिंग पर भी है। जब ट्रेन आएंगी या जाएंगी, तो ये फाटक भी तो बंद होंगे। तो, क्यों नहीं भविष्य में जब सभी क्रासिंग पर पुल बनने का काम पूरा हो जाता, तो एक साथ इन सभी बंद कर दिया जाता है। लाल फाटक को भी। लेकिन सवाल वही है कि बोले कौन?

@ *ओम माथुर*

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