जनता का सवाल
कोई भी फंक्शन होता है या कोई आर्टिस्ट आता है उसमें vvip के लिए ऐसी व्यवस्था करी जाती है कि प्रशासन जो भी पैसा खर्च कर रहा है वह इन वीवीआईपी लोगों की सुविधा के लिए खर्च कर रहा है ।जबकि आम जनता को केवल मिलते हैं धक्के आम जनता को मिलती है मिट्टी, उनको यहां तक बैठने की जगह भी नहीं मिलती है।
शायद प्रशासन जो कार्य कर रहा है वह अपने लोगों को मनोरंजन करने के लिए कर रहा है।
यह मेला vvip मेला कहलाना चाहिए।
आम जनता पूरे समय खड़े रहकर कोई आर्टिस्ट के इवेंट को देखा है यह कैसी व्यवस्था।
@कैलाश खैर नाइट
Kosinok