अजमेर के पत्रकार जागरूक व तेज तर्रार रहे हैं। कई मामलों में ज्वलंत विषयों पर खोजपूर्ण पत्रकारिता इनकी पहचान रही है। लंबी फेहरिश्त है। अजमेर दुनिया में सांप्रदायिक सौहार्द्र की मिसाल है। यहां आए दिन दरगाह शरीफ व तीर्थराज पुष्कर में वीवीआई का आगमन होता है। उसका कवरेज पूरी गंभीरता से करते हैं। एक बार तत्कालीन प्रधानमंत्री पी वी नरसिंहराव का अजमेर आगमन हुआ। उनका दरगाह जियारत का कार्यक्रम था। पत्रकार चाहते थे कि उनसे बातचीत हो जाए, मगर एसपीजी सुरक्षा कारणों से इसके लिए तैयार नहीं थी। यहां तक कि पत्रकारों को कवरेज के लिए दरगाह में प्रवेश नहीं दिया गया। इससे पत्रकार नाराज हो गए और राव से मिलने को अड गए। दरगाह के सामने वाला रोड देहली गेट तक खाली करवा लिया गया था। सारे पत्रकार ईगल स्टूडियो में जा कर बैठ गए। योजना बनी कि विरोध स्वरूप राव को काले झंडे दिखाए जाएं। जैसे ही प्रशासन को पता लगा, वह हरकत में आ गया। कलेक्टर एसपी के तो हाथ पांव फूल गए। व्यवस्था ये दी गई कि हेलीपेड पर बात करवा दी जाएगी। सारे पत्रकार हेलीपेड पहुंच गए। राव जब वहां पहुंचे तो सब अलर्ट हो गए कि अब बात हो जाएगी। तय यही हुआ कि सभी लाइन से खडे हो जाएं, एक एक से बात करवाई जाएगी। राव आए। धीरे धीरे चलते गए। पत्रकारों ने सवाल दागना शुरू कर दिए। मौनी बाबा राव मुस्कराते हुए आगे बढते गए। सवाल सुने, मगर एक का भी जवाब नहीं दिया। पत्रकारों को बडी निराशा हुई, मगर क्या किया जा सकता था। प्रशासन ने तो अपना मिलवाने का वादा निभा दिया, मगर जवाब देने वाला जवाब न देना चाहे तो उसका कोई उपाय नहीं।