कौन होगा एडीए अध्यक्ष?

राजस्थान में विधानसभा उपचुनाव में सफलता से उत्साहित भाजपा में सरकारी राजनीतिक नियुक्तियों की कवायद आरंभ हो गई है। कुछ नियुक्तियां बजट सत्र से पहले हो सकती हैं। कानाफूसी है कि अजमेर विकास प्राधिकरण में अध्यक्ष के लिए दावेदारों ने एक्सरसाइज तेज कर दी है। समझा जाता है कि अजमेर में अनुसूचित जाति की एक विधायक श्रीमती अनिता भदेल व सिंधी समुदाय से दूसरे विधायक वासुदेव देवनानी के रहते सामान्य वर्ग के वेश्य, ब्राह्मण व राजपूत का तरजीह मिलेगी। वणिक वर्ग में पूर्व जिला प्रमुख पुखराज पहाडिया का नाम सबसे उपर है। उन्होंने नागौर जिले के खींवसर विधानसभा क्षेत्र में उन्होंने पूरी गंभीरता से एडी चोटी का जोर लगा दिया। सफलता के श्रेय उनके खाते में भी दर्ज हो गया है। उन्हें लंबे समय से राजनीतिक लाभ नहीं मिल पाया है, इस कारण इस बार मौका मिल सकता है। वे साधन संपन्न भी हैं, जिसकी प्राधिकरण अध्यक्ष बनने में बहुत जरूरी है। दूसरे हैं पूर्व संघ महानगर प्रमुख सुनिल दत्त जैन। तीसरे हैं, प्रवीण जैन, जिन पर केन्द्रीय राज्य मंत्री भागीरथ चौधरी का वरद हस्त है। कुछ लोग अजमेर नगर सुधार न्यास के पूर्व अध्यक्ष धर्मेश जैन का नाम भी ले रहे हैं। पिछला अधूरा कार्यकाल उन्हें आज तक सालता है। आरएसएस पदाधिकारियों से उनके अच्छे संबंध हैं। विकल्प के रूप में वे अपने पुत्र अमित जैन का नाम आगे कर सकते हैं। इसी प्रकार नगर निगम के पूर्व मेयर धमेन्द्र गहलोत भी प्रबल दावेदार है, मगर देवनानी से ताजा नाइत्तफाकी बाधा बन सकती है।
राजपूत वर्ग में अजमेर नगर परिषद के पूर्व सभापति सुरेन्द्र सिंह शेखावत का नाम चल रहा है, जो ताजा बदले समीकरण में विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी के नजदीक जा चुके हैं। ब्राह्मण समुदाय में भाजपा छोड चुके पार्षद ज्ञान सारस्वत की गिनती है, मगर पिछले विधानसभा चुनाव में बगावत करने के कारण बडी बाधा बनी हुई है। संघ का एक धडा आगामी निगम चुनाव से पहले उनकी पार्टी में दमदार वापसी चाहता है। केन्द्रीय मंत्री भूपेन्द्र यादव के करीबी जे के शर्मा भी लाइन में हैं, मगर वे पार्टी से निलंबित हैं। आरएसएस पृष्ठभूमि के वकील जगदीश राणा के नाम पर भी विचार चल रहा है। हालांकि किसी सिंधी के प्राधिकरण का अध्यक्ष बनने की बहुत कम संभावना है, मगर कोई साधन संपन्नता के दम पर बाजी मार भी सकता है। अजमेर शहर भाजपा अध्यक्ष रमेश सोनी की लॉटरी लग सकती है। महिलाओं में डॉ कमला गोखरू व भारती श्रीवास्तव के नाम हैं। जो भी बने, मगर उसमें देवनानी की स्वीकृति जरूर ली जाएगी।

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