लोकगीत व मुहावरों में अजमेर

यह सामग्री अजमेर एट ए ग्लांस पुस्तक से ली गई है, जिसमें अजमेर के इतिहास, वर्तमान व भविष्य का विस्तार से वर्णन मौजूद है।
राजस्थान के लोकगीत व मुहावरों में अजमेर का उल्लेख कई जगह आता है। यथा प्रसिद्ध लोक कथा ढोला-मरवण की पंक्तियां देखिए, जिनमें आनासागर, पुष्कर व बीसला तालाब की जिक्र हुआ है-
ढोला कंवर जी आनासागर
पछ कयिजे बीसल्यो
पीठ पर पोखर जी हिलोला खाय
बेगातो आईजो धण का साहिबां।
इसी प्रकार राजस्थान की मौसम संबंधी एक लोकोक्ति में भी अजमेर का उल्लेख प्रसिद्ध है, जिसमें बताया गया है कि गर्मी का मौसम अजमेर में बिताने लायक है। कदाचित मुगल शासकों और ब्रिटिश हुक्मरानों को अजमेर मौसम मुफीद होने के कारण भी अजमेर उनकी गतिविधियों का केन्द्र रहा-
सियालो खाटू भलो, उन्नाळो अजमेर
नागाणो नित को भलो सावण बीकानेर
अजमेर सांप्रदायिक सौहार्द्र की एक अनूठी बात देखिए कि धर्मांतरण से मुस्लिम बने अनेक वर्गों के एक गीत में पुरातन सांगीतिक संस्कार मौजूद है-
ठंडा रहजो म्हारा पीर दरगा में
नित का चढ़ाऊं थारे सीरणी
देसूं थाने जोड़ा सूं जात
ठंडा रहीजो म्हारा पीर दरगा में
झोली भराऊं कोडिय़ां
घणी घणी करूं खैराद
ठंडा रहिजो म्हारा पीर दरगा में
साथ जिमाऊं औलिया
कोई पांच पचीस फकीर
ठंडा रहिजो म्हारा पीर दरगा में।
इन पंक्तियों में साथ जिमाऊं, ठंडा रहिजो आदि शब्द पारंपरिक राजस्थानी संस्कृति की याद दिलाते हैं। ख्वाजा साहब और मदार साहब की मान्यता कितनी रही है, इसका साक्षात प्रमाण है राजस्थानी भाषा के ही एक लोक गीत में उनका उल्लेख-
मदारजी के लेचल ओ बलमा
ख्वाजाजी के ले चल ओ बलमा
सासू तो नणदल पूछण लागी
कठा सूं ल्याई ललवा ने
मदार जी के ले चल ओ बलमा
दरगा में जोड़ा की जारत बोली
बठा सूं ल्याई ललवा ने।
यहां के इतिहास में अजयपाल जोगी का अप्रतिम स्थान है। अनेक इतिहासकार मानते हैं कि अजमेर के प्रथम शासक अजयराज ही अजयपाल जोगी थे। उनके प्रति लोगों में कितनी आस्था रही है, यह इस लोकोक्ति से जाहिर हो जाती है-
अजयपाल जोगी, काया राख निरोगी।

Leave a Comment

This site is protected by reCAPTCHA and the Google Privacy Policy and Terms of Service apply.

error: Content is protected !!