क्या राजनीति इतनी गंदी हो गई है?

मनोज आहुजा

राजनीति का चेहरा कितना विद्रूप हो गया है कि सच बोलने वाला सियासत में हिस्सा लेना ही नहीं चाहता। चेहरा क्या, संपूर्ण राजनीति ही ऐसा दलदल हो गई है कि कोई सज्जन व्यक्ति उसमें फंसना नहीं चाहता। राजनीति में सच्चाई कम, आडंबर ज्यादा है। यानि राजनीति झूठ की बुनियाद पर टिकी है। इसका इशारा किया है केकडी बार ऐसोसिएशन के अध्यक्ष लोकप्रिय एडवोकेट मनोज आहुजा ने। उन्होंने अपनी फेसबुक वाल पर इसका तफसील से खुलासा किया है। उनकी पोस्ट हूबहू प्रस्तुत हैः-
नमस्कार मित्रों, कल कहीं सांत्वना देने पहुंचने पर उपस्थित मित्रों व अन्य ग्रामीणों ने कहा कि मैं भिनाय का विधायक बनने के लिए प्रयासरत हूं। इस पर मैंने उन्हें कहा कि मेरा राजनीति में कोई इंट्रेस्ट नहीं है, न ही मैं अपने आपको इसके लिए फिट मानता हूं, लेकिन वो माने नहीं।
दोस्तों, मेरा नेचर भगवान ने ऐसा बनाया है कि मैं गलत बात और गलत इंसान को स्वीकार ही नहीं कर पाता हूं, इसलिये मैं अपने आपको राजनीतिक फील्ड के योग्य मानता ही नहीं हूं। वहां आप अगर गलत को गलत कह दो तो बवाल हो जाए। वहां जीतने का पैरामीटर ही गलत और गलत लोग होते हैं। अभी हाल ही में मुझे मेरे साथियों ने बार अध्यक्ष का चुनाव लड़वाया। मैंने उन्हें वेरी फर्स्ट डे ही बोल दिया था कि 13 लोगों के पास मैं नहीं जाऊंगा, नहीं गया लास्ट तक… क्योंकि मुझे राजनीति करना आता ही नहीं है। चेहरे पर झूठी मुस्कान और नफरत के समय मुस्कान लाना न तो आया और न ही लाना चाहता हूं। इसलिये मित्रों मैं आप सभी को बता दूं कि मैं न तो किसी राजनीतिक दल का सदस्य हूं, न ही भविष्य में मैं विधायक का चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहा हूं। मेरा नेचर है लोगों के सुःख दुःख में शामिल होने का, वो सदैव रहेगा। मुझे वकालात और पत्रकारिता में मजा आता है मैं वो जीवन पर्यन्त करूंगा ही और रिलेशन निभाना,सुःख दुःख में शामिल होना मेरा नेचर है, जिसे मैं इसलिये चैंज नहीं कर सकता कि चार लोग ये और वो सोच रहे हैं।
श्री आहूजा अपनी जगह ठीक प्रतीत होते हैं, मगर सवाल यह उठता है कि सच बोलने वाले या सज्जन राजनीति में नहीं आएंगे तो राजनीति का क्या हाल होगा? तब तो राजनीति में शुचिता की उम्मीद करना बेकार है। बेशक श्री आहूजा अपनी ओर से राजनीति में नहीं आना चाहते, मगर कल यह भी तो हो सकता है कि बार चुनाव की तरह विधानसभा चुनाव में भी कुछ लोग उन्हें चुनाव लडवा दें। रहा सवाल लोगों की धारणा का तो, वह भी ठीक है, क्योंकि जो भी सोसायटी में सक्रिय होता है तो यही माना जाता है कि चुनाव की तैयारी कर रहा है। वे न केवल सफलता पूर्वक वकालत कर रहे हैं और जरूरतमंद की मदद को तत्पर रहते हैं, अपितु सामाजिक सरोकार के लिए भी सतत सक्रिय रहते हैं। वे जिले के चंद जागरूक व ऊर्जा न लोगों में गिने जाते हैं। ऐसे में अगर कोई ऐसा सोचता है कि वे चुनाव लड सकते हैं, तो वह अपनी जगह ठीक है।
बहरहाल, जब श्री आहूजा से सवाल किया गया कि आपने भिनाय का जिक्र क्यों किया है, जबकि वह तो मसूदा विधानसभा क्षेत्र में है, तो उन्होंने बताया कि ऐसा अनुमान है कि परिसीमन के बाद भिनाय फिर से विधानसभा क्षेत्र हो जाएगा। ऐसा सोच कर ही मित्र अनुमान लगा रहे हैं कि वे वहां से चुनाव लडने का मानस बना रहे हैं।

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