यानि अंग्रेज हमसे ज्यादा ईमानदार थे

हाल ही राम सेतु की एक भुजा पर सडक पर तेज बारिश के कारण गड्ढा हो गया तो सोशल मीडिया पर कडी प्रतिक्रिया सामने आई। राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप आरंभ हो गए। कांग्रेसी भाजपा को तो भाजपाई कांग्रेस को दोष दे रहे हैं। कोई राजनीतिक व्यवस्था को कोस रहा है तो कोई प्रशासनिक स्तर हुई लापरवाही पर तंज कस रहा है। बेशक घोटाले में राजनीतिक हिस्सेदारी होती है, मगर उसके रास्ते अफसरशाही ही निकालती है। और जैसे ही राजनीतिक खींचतान होती है, प्रशासनिक तंत्र सुकून में आ जाता है। कि आपस में झगडने से हम पर से ध्यान हट जाएगा। बस यहीं चूक हो जाती है। एक प्रतिक्रिया यह भी आई कि हमने जो ब्रिज बनाया, वह मात्र दो साल में क्षतिग्रस्त हो गया, जबकि अंग्रेजों के जमाने में एक सौ साल से भी ज्यादा पहले बने मार्टिंडल ब्रिज का कुछ नहीं बिगडा। इस प्रतिक्रिया के गहरे अर्थ हैं। इस टिप्पणी से यह सवाल उठता है कि क्या अंग्रेज हमारे से अधिक ईमानदार थे? बेशक ब्रितानी हुकूमत ने स्वाधीनता आंदोलन को कुचलने के लिए स्वतंत्रता सेनानियों को अनेक यातनाएं दीं, जो पीडादायक है, मगर ब्रिटिश सिस्टम में घोटाले नहीं होते थे। उस जमाने के अनेक निर्माण आज भी वजूद में हैं। सच तो यह है कि दरगाह और पुष्कर को छोड़ कर अगर अजमेर कुछ है तो उसमें अंग्रेज अफसरों का योगदान है।

सीपीडब्ल्यूडी, सेन्ट्रल बोर्ड ऑफ सेकंडरी एज्युकेशन, कलेक्ट्रेट बिल्डिंग, सेन्ट्रल जेल, पुलिस लाइन, टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज, लोको-केरिज कारखाने, डिविजन रेलवे कार्यालय बिल्डिंग, मार्टिन्डल ब्रिज, सर्किट हाउस, अजमेर रेलवे स्टेशन, क्लॉक टावर, गवर्नमेन्ट हाई स्कूल, सोफिया कॉलेज व स्कूल, मेयो कॉलेज बिल्डिंग, लोको ग्राउण्ड, केरिज ग्राउण्ड, मिशन गर्ल्स स्कूल, अजमेर मिलिट्री स्कूल, नसीराबाद छावनी, सिविल लाइंस, तारघर, आर.एम.एस., गांधी भवन, नगर निगम भवन, जी.पी.ओ., विक्टोरिया हॉस्पिटल, मदार सेनीटोरियम, फॉयसागर, भावंता से अजमेर की वाटर सप्लाई, पावर हाउस की स्थापना, रेलवे हॉस्पिटल, दोनों रेलवे बिसिट आदि का निर्माण ब्रिटिश सरकार के अधिकारियों के विजन का ही परिणाम था, जिससे अजमेर के विकास की बुनियाद पड़ी। वे निर्माण आज भी मजबूती के साथ खडे हैं। आज भी आप पुरानी पीढी के लोगों को यह कहते हुए सुनते होंगे कि मौजूदा राज से तो अंग्रेजों का राज अच्छा था। कुल जमा जैसे ही हमें आजादी मिली, स्वतंत्रता मिली, हमें बेईमानी करने की, घोटाले करने की छूट मिल गई। नतीजा सामने है।

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