
हाल ही एक पोस्ट आपसे साझा की थी। जिसमें बताया गया था कि मोहित मल्होत्रा ने याद ताजा कर दी शैलेन्द्र अग्रवाल की। इस पर कुछ मित्रों ने प्रतिक्रिया देते हुए बताया कि आपने अग्रवाल को इतनी बडी क्रेडिट कैसे दे दी? उनकी राजनीतिक यात्रा के अन्य पहलु भी हैं। उनका जिक्र क्यों नहीं किया? उनका सवाल ठीक है। तस्वीर का दूसरा पहलु उजागर करने का आग्रह है। इस पर मैने कहा कि यह न्यूज आइटम कोई शैलेन्द्र अग्रवाल को क्रेडिट देने के लिए नहीं बनाया गया था। वह तो केवल इस पर फोकस्ड था कि एक जमाने में अग्रवाल ने नेतृत्व में सेवादल मुख्य कांग्रेस संगठन से भी अधिक सक्रिय था। वह एक सच्चाई है, जिसे कोई नहीं नकार सकता। अगर उससे अग्रवाल को क्रेडिट मिलती है तो क्या किया जा सकता है। बाद में अग्रवाल ने क्या किया, यह उस न्यूज आइटम का विशय ही नहीं था। और अगर उनकी पूरी राजनीतिक यात्रा का शब्द चित्र बनाया गया तो, उनसे भी बडे नेताओं का जिक्र पहले करना पडेगा। ऐसे नेताओं की राजनीतिक यात्रा के उतार चढाव की जानकारी पब्लिक डोमेन में पहले से है। नाम लिखने की जरूरत नहीं है। और सबसे बडी बात यह कि भाजपा में भी त्रुटि करने वालों को फिर से अंगीकार किया गया है। इन संगठनों को पता है कि कौन नेता उपयोगी है। वफादारी से कहीं अधिक महत्ता है उपयोगिता की। यह संगठनों का अपना अधिकार क्षेत्र है कि वे किस नेता को कितना तवज्जो दें।