रामसेतु को लेकर सोशल मीडिया को राम राम

दोस्तो, नमस्कार। सोषल मीडिया में बहुत कमियां हैं। खासकर फर्जी व फेक सूचनाओं पर आपत्ति की जाती है। मर्यादा की कोई सीमा नहीं है। वह आरोप वाजिब है। मगर यह कितना प्रभावषाली है, इसका सबूत हाल ही राम सेतु की एक भुजा के बरसात में क्षतिग्रस्त होने पर मिला। जैसे ही यह जानकारी मिली कि एक भुजा की सडक पर गड्ढा हो गया है, जमीन थोडी धंस गई है, सारे न्यूज चैनल के संवाददाता व यूट्यूबर्स सक्रिय हो गए। मौके पर पहुंच कर बहुत बारीकी से पडताल कर जनता को मसले से रूबरू कराया। सोषल मीडिया के सारे प्लेटफार्म्स पर यह खबर वायरल होने लगी। आम जन की प्रतिक्रिया भी खुल कर सामने आई। जनमत भी त्वरित रूप से हिलोरें लेने लगा। राजनीति भी गरमाने लगी। हल्ला मचने पर जिला प्रषासन भी हरकत में आया। उसने त्वरित कार्यवाही करते हुए यातायात रोक कर क्षतिग्रस्त हिस्से की मरम्मत करवाई। ऐसा नहीं कि जिन दिनों सोषल मीडिया नहीं था, तब कार्यवाही नहीं होती थी। होती थी, मगर इतनी त्वरित नहीं। अव्वल तो जनता को दूसरे दिन अखबार पढ कर पता लगता था। दूसरा, जनमत का पता ही नहीं लगता था। प्रषासन पर इतना दबाव नहीं पडता था, जितना आज रामसेतु को लेकर हुआ। जनता की समस्याओं को लेकर सोषल मीडिया की जागरूकता वाकई सराहनीय है। साधुवाद। राम राम।

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