महान सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह के खादिम व वरिष्ठ भाजपा नेता अब्दुल बारी चिश्ती अपने किस्म के अनूठे नेता थे। अत्यंत विनम्र जनाब बारी साहब गिनती की उन शख्सियतों शुमार थे, जिन्होंने परंपरा के विरूद्ध जा कर भाजपा से नाता जोडा। बावजूद इसके उनकी शख्सियत ऐसी थी कि पूरे खादिम समाज, मुस्लिमों व राजनीतिक कार्यकर्ताओं में लोकप्रिय रहे। उन्होंने भाजपा की अनेक हस्तियों को दरगाह जियारत करवाई। उन्होंने साबित कर दिया कि खुद्दाम हजरात भले ही किसी भी राजनीतिक विचारधारा से जुडे हों, मगर उनके लिए ख्वाजा साहब के प्रति अकीदत अहम है। वे ख्वाजा साहब को चाहने वालों में कोई भेदभाव नहीं किया करते। उनका गत गुरुवार, 2 अक्टूबर 2025 को इलाज के दौरान इंतकाल हो गया। 77 वर्षीय चिश्ती भारत सरकार द्वारा गठित दरगाह कमेटी के उपाध्यक्ष रहे और लंबे समय तक गेगल पंचायत के सरपंच भी रहे। जनसंघ के समय से उनका भाजपा से जुड़ाव रहा। वे भाजपा अल्संख्यक मोर्चे के राष्ट्रीय पदाधिकारी भी रहे। उन्हें गंज स्थित चिल्ले पर सुपुर्दे खाक किया गया। उनकी सोयम की फतेहा शनिवार दोपहर 2 बजे दरगाह शरीफ के अहाता ए नूर में होगी।
