इसलिए कायम है अजमेर का सांप्रदायिक सौहार्द्र

महान सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह पूरी दुनिया में सांप्रदायिक सौहार्द्र की मिसाल है। जाहिर तौर पर उसमें ख्वाजा साहब की शिक्षाओं की भूमिका है। साथ ही हिंदुओं की उदारता, कि वे अपने धर्म के प्रति कट्टर नहीं और अन्य धर्मों के प्रति भी पूरा सम्मान भाव रखते हैं। ऐसे में यह संदेश जाना स्वाभाविक है कि यह मरकज सांप्रदायिक सौहार्द्र का समंदर है। इसका प्रत्यक्ष उदाहरण ये है कि जब जब भी देश भर में किसी वजह से सांप्रदायिक सौहार्द्र बिगड़ा और दंगे हुए, अजमेर शांत ही बना रहा। असल में सुकून की बड़ी वजह है, सभी धर्मों व वर्गों के लोगों का हित साधन। पुश्कर मेले व उर्स मेले में आने वाले लाखों जायरीन व तीर्थयात्री यहां के अर्थ तंत्र की धुरि हैं। इसकी पुश्टि हाल ही दैनिक भास्कर की एक विस्तृत रिपोर्ट से होती है, जिसमें बताया गया है कि उर्स मेले में जायरीन के जरिए तीन सौ करोड रूपये की आय होती है। इसी प्रकार पुश्कर मेले से इस बार पांच सौ करोड रूपये की आय होने का अनुमान है। वैवाहिक सीजन के दौरान अजमेर-पुश्कर में तकरीबन तीन सौ षादियों के लिए 15 बडे होटल-रिजॉर्ट, पचास सामान्य रिजॉर्ट और दौ सौ समारोह स्थलों की बुकिंग रहने वाली है। इससे करीब पांच सौ करोड रूपये का कारोबार होने का अनुमान है।

 

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