बसंत में झड़ सकते हैं भाजपा के पुराने पत्ते

सुमित सारस्वत
सुमित सारस्वत

बसंत के साथ मौसम में आए बदलाव का असर भाजपा में भी दिखाई देने लगा है। जब से पार्टी प्रदेशाध्यक्ष की कुर्सी पर पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे आसीन हुई हैं, तब से विपक्षी खेमे के नेताओं का पारा ठंडा पढ़ गया है। वहीं राजे गुट से जुड़े नेताओं में गर्माहट महसूस होने लगी है। परंपरानुसार किसी भी पार्टी का प्रमुख बदलता है, तो वह अपने समर्थकों को लाभ पहुंचाता है। राजे के प्रदेशाध्यक्ष बनने के बाद भाजपा खेमे में भी बदलाव की बयार साफ दिखाई दे रही है। कुछ दिनों पूर्व इसके संकेत भी मिले हैं।
माना जा रहा है कि प्रदेश के कुछ जिलाध्यक्षों को बदला जाएगा। अजमेर देहात जिलाध्यक्ष की कुर्सी भी खतरे में पड़ सकती है। पतझड़ वर्तमान में इस सीट पर मसूदा के नवीन शर्मा आसीन हैं, लेकिन पार्टी में होने वाले बदलाव के बाद अब शर्मा का पद छीन सकता है। बसंत के मौसम में पतझड़ की पूरी संभावना है। गलियारे में चर्चा है कि राजे के सिरमौर बनने के बाद अब अजमेर जिले में पूर्व मंत्री सांवरलाल जाट की चवन्नी चलेगी। जाट वर्तमान में भाजपा किसान मोर्चा के प्रदेशाध्यक्ष हैं। अगर ऐसा होता है तो अजमेर देहात जिलाध्यक्ष पद पर पवन अजमेरा या पुखराज पहाडिय़ा में से किसी नेता की नियुक्ति हो सकती है। यह दोनों नेता जाट के बेहद करीबी माने जाते हैं। पहाडिय़ा पूर्व जिला प्रमुख होने के साथ ही अरुण चतुर्वेदी से भी अच्छे ताल्लुक रखते हैं। वहीं अजमेरा पूर्व जिला प्रमुख सरिता गैना के कार्यकाल में उप जिला प्रमुख थे। वर्तमान में किसान मोर्चा जिलाध्यक्ष का दायित्व संभाल रहे हैं। देहात जिलाध्यक्ष की कुर्सी पर मण्डरा रहे खतरे से ब्यावर भाजपा से जुड़े स्थानीय नेताओं की धड़कन भी कुछ बढ़ी हुई है। कुछ प्रकोष्ठ और मोर्चा के पदाधिकारियों के दिलों में भी पद से हाथ धोने की दहशत है। ऐसे में देहात भाजपा व मंडल पर भी बादलों का असर दिख रहा है। राजे के प्रदेशाध्यक्ष पद की शपथ लेने के बाद चतुर्वेदी खेमे से जुड़े नेता अपने दड़बों में घुस गए हैं। वहीं राजे समर्थक अपनी मांद से बाहर निकलकर चुनावी जाजम जमाने लगे हैं। अब सभी को भाजपा की शतरंज पर राजे की सियासी चाल का इंतजार है।
-सुमित सारस्वत, पत्रकार

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