विनीता को हटाने के साथ खत्म हुई जंग

vinita shrivastavअजमेर नगर निगम के मेयर कमल बाकोलिया व पार्षदों और सीईओ विनीता श्रीवास्तव के बीच चल रही जंग आखिर विनीता के तबादले पर जा कर समाप्त हुई। अपुन ने पहले ही लिख दिया था कि अगर सरकार बाकोलिया पर अंकुश लगाने का मानस रखती होगी तो विनीता को यहीं पर तैनात रखेगी, वरना कहीं और रुखसत कर देगी। विनीता को हटाने का सीधा सा अर्थ है कि सरकार चुनावी साल में अपने जनप्रतिनिधियों को नाराज नहीं करना चाहती। यूं विनीता भी ताजा विवाद के बाद यहां नहीं रहना चाहती थीं और आरएएस तबादलों के लिए बन रही सूची में अपना नाम शुमार करवा लिया। बाकोलिया भी राजी, विनीता भी राजी। अगर सरकार विनीता से नाराज होती तो कहीं दूर फैंकती, मगर उन्हें अजमेर में ही नगर सुधार न्यास का सचिव बना दिया गया है। ये बात अलग है कि यूआईटी भी नगर निगम की तरह काजल की कोठरी है। निगम में तो फिर भी मेयर सहित सारे पार्षदों से तालमेल बैठाना पड़ता था, जबकि न्यास में केवल अध्यक्ष को ही पटा कर रखना होगा। ज्ञातव्य है न्यास में विवादित होने के बाद सचिव पुष्पा सत्यानी को हटा दिया गया था और तभी से कार्यवाहक सचिव के तौर पर निशु अग्निहोत्री काम कर रहे थे, जो लैंड फोर लैंड प्रकरण में आरोपों के चलते हाल ही में प्रतापगढ़ स्थानांतरित कर दिए गए हैं। हाल ही लगाए गए टीकमचंद बोहरा की तो हिम्मत ही नहीं हुई कि भ्रष्टाचार के कारण बदनाम हुई यूआई में ज्वाइन करें, आखिरकार उन्हें आवासन मंडल जयपुर में मुख्य संपादा अधिकारी के रूप में लगाया गया है।
आपको याद होगा कि हाल ही विनीता का बाकोलिया से टकराव हो गया था। वजह ये थी कि बाकोलिया ने सीईओ को धारा 49 का हवाला देते हुए निगम में आयुक्तों के कार्य के बंटवारे के आदेश को निरस्त करने के निर्देश दिये थे, इस पर सीईओ ने इस निर्देश को मानने से साफ इंकार करते हुए अपने फैसले को यथावत रखा। सीईओ ने साफ कह दिया कि मेयर ने बंटवारे को निरस्त करने के लिए कहा था, लेकिन आदेश नियमानुसार जारी किए गए हैं। इस वजह से निरस्त नहीं किए गए। एक्ट के अनुसार प्रशासनिक अधिकार सीईओ के पास हैं। जाहिर सी बात है कि इससे बाकोलिया की बड़ी फजीहत हुई। उन्होंने सवाल खड़ा किया स्वायत्तशासी संस्था में अधिकारी अगर जनप्रतिनिधियों की शिकायतों का निवारण नहीं करेंगे, तो जनता को जवाब कौन देगा? निगम में नेता प्रतिपक्ष नरेश सत्यावना ने तो खुल कर हमला ही बोल दिया। उन्होंने निगम प्रशासन के कुछ अधिकारियों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए और कहा कि महज रिश्वत के कारण अवैध भवनों का नियमन किया जा रहा है, जबकि जनप्रतिनिधियों की क्षेत्रीय समस्याओं की ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा, जिससे नागरिकों में जनप्रनिधियों के खिलाफ आक्रोश बढ़ गया है। समझा जा सकता है कि उन्होंने यह आरोप किस के इशारे पर लगाया है। यानि कि निगम में अधिकारियों और पार्षदों व मेयर के बीच जंग और तेज होने वाली थी, मगर सरकार ने मौके की नजाकत तो देखते हुए विनीता को ही हटा दिया।
-तेजवानी गिरधर

error: Content is protected !!