मुख्यमंत्री बनते ही अरविंद केजरीवाल ‘आम’ से ‘खास’ हो गए हैं। विचार से लेकर व्यवहार में भी खास हो गए हैं। उनके दावों की पोल मुख्यमंत्री बनने के पहले ही सप्ताह में खुलने लगी है। सत्ता को सेवा बताने वाले केजरीवाल ने दावा किया किया था कि उनके, मंत्री विधायक सत्ता में आने के बाद बंगले नहीं लेंगे, लाल बत्ती की सरकारी गाड़ी नहीं लेंगे। लेकिन बहुमत साबित होने के बाद ‘आप’ के रंगढंग बदल गए। बहुत साबित करने के दिन रिक्शा में विधानसभा आने वाले अब बड़ी गाड़ियों में विधानसभा आएंगे। इन लोगों को अब सरकारी वीआईपी गाड़ियों से कोई परहेज नहीं!
मुख्यमंत्री बनते ही अपने रहने के लिए जो घर केजरीवाल ने चुना वो किसी बंगले के कम नहीं है। आइए आपको उस डुप्लेक्स की खूबियां बताते हैं। केजरीवाल को अलॉट किये गए दो फ्लैट में हर एक में 5 बेडरूम और एक लॉन है। दोनों घरों को मिला दें तो यह फ्लैट लुटियंस जोन में केंद्रीय मंत्रियों और सुप्रीम कोर्ट के जजों के मिले बंगलों से बड़ा बंगला हो जाता है। अब आप ही बताई, आम आदमी की रट लगाने वाले ‘आप’ के मुख्यमंत्री कितने आम हैं और कितने खास ? इनके खाने और दिखाने के दांत अलग-अलग हैं। आम जनता और सोशल मीडिया के विरोध के बाद केजरीवाल ने डुप्लेक्स में शिफ्ट होने से मना कर दिया है, लेकिन बड़ा सवाल ये है कि क्या केजरीवाल साहब को यह एहसास पहले क्यों नहीं हुआ कि यह फ्लैट नहीं बड़ा बंगला है और वो अपने ही किये वादे से मुकर रहे हैं ?
मेरे एक दोस्त ने फेसबुक वॉल पर अपडेट किया : “APP में रात का खेल निराला है, रात भर में अरविंद जी का ह्रदय परिवर्तन हो गया। कल शाम तक डिफेंड कर रहे थे….From genuine to forced आम आदमी” (साभार: पश्यन्ती शुक्ला के वॉल से)
आम आदमी पार्टी के नेताओं के चेहरों से चार दिन में ही नकाब उतर गया है और असलियत सामने है। पार्टी बनाने से लेकर ताजपोशी तक ‘आप’ को सभी नेता और पार्टी भ्रष्ट नजर आता था। आरोपों और सबूतों की पोटली लेकर केजरीवाल एंड कंपनी घूमते थे। दिल्ली में शीला दीक्षित की कांग्रेस सरकार और एमसीडी की बीजेपी सरकार भ्रष्ट थी। कॉमनवेल्थ में हजारों करोड़ रुपयों के घोटालों के सबूत हाथों में लेकर टीवी स्टूडियो में नजर आते थे। लेकिन अब क्या हो गया ? डंके की चोट पर इन घोटालों की बात करने वाले इतने शांत क्यों हो गए हैं ? खबर आई की केजरीवाल ने यहां तक कहा कि आप सबूत लेकर आइए, फिर हम कार्रवाई जरूर करेंगे। केजरीवाल साहब आपके पास तो पूरे देश के भ्रष्ट लोगों की लिस्ट है, सबूत हैं। रॉवर्ट वाड्रा, नितिन गडकरी, मुकेश अंबानी, शीला दीक्षित सबके खिलाफ आपके पास सबूतों का भंडार था। आपने पोल खोल मुहिम चलाई थी। तो अब क्या हुआ ? अपने एक दोस्त हर्षवर्धन के फेसबुक वॉल से साभार लेकर आपको बताते हैं।
”चुनावों के दौरान APP के पास जो कांग्रेस के खिलाफ सबूतों का बैग था, वो खो गया है…जिन्हें भी मिले केजरीवाल के दफ्तर पहुंचाने का कष्ट करें।”
मुफ्त पानी देने का ‘आप’ का वादा कितना झूठा है इसका पता आपको तब चलेगा जब आप अनधिकृत कॉलोनियों और झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले लाखों लोगों के बीच जाएंगे। यहां लोग पोलिथीन में पैक पाउच का पानी पीते हैं…और पीते रहेंगे। टंकी का पानी जब इनके मुहल्ले में पहुंचता है तो पानी के लिए लड़ाइयां होती है, और अब भी हो रही है। अरविंद केजरीवाल कपिल के कॉमेडी शो की गुत्थी बनते जा रहे हैं। कितना भी सुलझाओ गुत्थी और उलझती जा रही है।
आम आदमी पार्टी के मुख्यमंत्री, मंत्री, विधायक, नेता बंगले में रहें या फ्लैट में, दिल्ली के लोगों को इससे फर्क नहीं पड़ने वाला। कम से कम आप झूठ तो न बोलें, लोगों को गुमराह तो न करें। चीफ मिनिस्टर लुटियन जोन में रहें या किसी जेजे कॉलोनी में…आम लोगों के सामने ये नाटक नौटंकी क्यों?
केजरीवाल की कथनी और करनी में इतनी जल्दी बदलाव क्यों आ रहा है ? क्या सच में केजरीवाल और कांग्रेस के बीच पर्दे के पीछे कोई गेम चल रहा है ? सवाल तो खड़े होंगे ही। आम आदमी ‘आप’ से ठगा महसूस करने लगे हैं। केजरीवाल और मोदी दोनों भावनात्मक राजनीति का गंदा खेल खेल रहे हैं। भोली भाली जनता को बेककूफ बनाना आसान है। सच कहूं….थप्पड़ से डर नहीं लगता सीएम साहब…प्यार से लगता है…. http://bhadas4media.com
रजनीश पाण्डेय, Journalist, P7 News
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