अब ट्विटर पर नरेन्द्र मोदी के 3.44 मिलियन फालोवर हैं। शायद ही कोई दिन ऐसा जाता हो जिस दिन मोदी ट्विटर के टॉप टेन ट्रेन्ड में शामिल न रहते हों। मोदी की इसी लोकप्रियता के सामने उनकी पार्टी झुक गई थी और उन्हें सबसे पॉपुलर नेता मानकर अपना पीएम उम्मीदवार बना दिया था। लेकिन क्या सचमुच मोदी ट्विटर पर इतने पॉपुलर हैं या उनके लिए काम करनेवाली पीआर कंपनियों ने फर्जी तरीके से उन्हें पॉपुलर बना दिया?
असल में ट्विटर पर मोदी के लिए काम करनेवाली कंपनियों ने फर्जी फालोवरों का ऐसा जखीरा खड़ा कर रखा है कि वे सोशल मीडिया के नायक नजर आने लगते हैं। बीते कुछ महीनों में इन फर्जीवाड़ों का खुलासा होता रहा है लेकिन अब ट्रुथ आफ गुजरात नाम से वेबसाइट चलानेवाले प्रतीक सिन्हा ने अपने ही बनाये एक टूल “टीडब्लूफालोवर”के सहारे नरेन्द्र मोदी के फालोवरों में 23 हजार 185 फर्जी फालोवरों का पता लगाया है। प्रतीक सिन्हा का कहना है कि फर्जी फालोवरों को पहचानने में यह टूल मदद करता है लेकिन अगर आफ भी किसी ट्विटर एकाउण्ट के स्पैम फालोवर पकड़ना चाहते हैं तो कुछ सामान्य बातों पर ध्यान देकर फर्जीवाड़े को पकड़ सकते हैं।
ट्विटर के स्पैम या फर्जी फालोवर सिर्फ किसी टार्गेटेड आब्जेक्ट को फालो करने के अलावा और कोई दूसरा काम नहीं करते। न तो कभी कोई ट्विट करते हैं, न ही किसी को फालो करते हैं और न ही उन्हें कोई फालो करता है। यहां तक कि उनके नाम भी सिर्फ रैण्डम नंबरों के जरिए बनाया जाता है। प्रोफाइल पिक्चर होने का तो सवाल ही नहीं है क्योंकि इतने फर्जी फोटो जुगाड़ने के लिए भी कोई बड़ा जुगाड़ करना पड़ता है। प्रतीक सिन्हा अपने ट्विटर टूल की मदद से पहले भी नरेन्द्र मोदी के 10 हजार फर्जी फालोवरों का पता लगा चुके हैं।
फेक फालोवरों की ही तरह नरेन्द्र मोदी को ट्विटर ट्रेन्ड बनाये रखने के लिए भी मोदी की पीआर कंपनियों द्वारा जमकर एक्सरसाइज की जाती है। इस संबंध में खुद विस्फोट न्यूज नेटवर्क ने पड़ताल की तो पाया कि नमो के नाम से बने कुछ खास एकाउण्ट अपने ट्विटर अपडेट में सिर्फ वही हैशटैग (#) हजारों लाखों की संख्या में टाइप करते रहते हैं जो उस दिन के लिए नरेन्द्र मोदी के नाम पर नियत होता है। ट्विटर पर इसी हैशटैग के जरिए ट्रेन्ड का निर्धारण होता है। जाहिर है जितनी बड़ी संख्या में एक ही हैशटैग मशीन को मिलेगा वह अपने ट्रेन्ड में उतनी ही ऊंची उसको जगह देगा।
अब ऐसे में भाजपा के प्रधानमंत्री उम्मीदवार पर बड़ा सवाल खड़ा होता है कि अगर अपने आपको प्रधानमंत्री का दावेदार बनाने के लिए मोदी इतने सारे फर्जीवाड़ों का सहारा ले रहे हैं तो क्या सचमुच उनकी बातों पर आंख मूंदकर यकीन किया जा सकता है? http://visfot.com