सैलानी नहीं जाते मोदी के गुजरात में

amitabh_and_modiजिन दिनों गुजरात सरकार ने अमिताभ बच्चन को गुजरात टूरिज्म का ब्रांड एम्बेसडर बनाने का निर्णय लिया था उन दिनों खूब हंगामा हुआ था कि आखिर अमिताभ बच्चन नरेन्द्र मोदी की सरकार के लिए प्रचार अभियान कैसे चला सकते हैं? लेकिन विरोधों के बावजूद अमिताभ बच्चन ने देश विदेश में गुजरात टूरिज्म के लिए खूब प्रचार किया। और अब खुद टीवी पर आ रहे विज्ञापनों में बताया जा रहा है कि कैसे पूरी दुनिया को उमड़कर गुजरात आ रही है। लेकिन मोदी के प्रचार के लिए बनाये गये गुजरात सरकार के ये विज्ञापन एक और झूठ का प्रचार कर रहे हैं। राज्यसभा में प्रस्तुत केन्द्रीय पर्यटन मंत्रालय के ताजा आंकड़े बताते हैं कि देश में विदेशी सैलानी सबसे ज्यादा गुजरात नहीं बल्कि महाराष्ट्र में आते हैं।

पर्यटन मंत्रालय द्वारा जारी किये गये ताजा आंकड़ों के मुताबिक देश में विदेशी सैलानियों की सबसे ज्यादा संख्या महाराष्ट्र जाती है। 2010, 2011 और 2012 के लिए जारी आंकड़ों में बताया गया है इन तीन सालों में विदेशी सैलानियों के लिहाज से पूरे देश में महाराष्ट्र सबसे आगे है। देश में आनेवाले कुल सैलानी के आधे के करीब सैलानी महाराष्ट्र जाते हैं। 2010 में भारत में 1 करोड़ 70 लाख 91 हजार विदेशी सैलानी आये जिसमें से 50.83 लाख सैलानी महाराष्ट्र गये। इसी तरह 2011 में भारत में 1 करोड़ 90 लाख 50 हजार विदेशी सैलानी भारत आये जिसमें से 48.15 लाख सैलानी महाराष्ट्र गये। 2012 के अस्थाई आंकड़े भी बताते हैं कि देश में आनेवाले दो करोड़ सैलनियों में से 51.20 लाख सैलानी महाराष्ट्र गये।

निश्चित ही विदेशी सैलानियों के मामले में महाराष्ट्र अव्वल है। लेकिन महाराष्ट्र के बाद विदेशी सैलानियों के मामले में भी दूसरे नंबर पर गुजरात नहीं बल्कि तमिलनाडु आता है जहां साल 2012 में कुल विदेशी सैलानियों के 35.62 लाख सैलानी पहुंचे। तमिलनाडु के बाद देश की राजधानी दिल्ली का स्थान आता है जहां क्रमश: इन तीन सालों में 18.94 लाख, 21.60 लाख और 23.46 लाख विदेशी सैलानी आये। दिल्ली के बाद उत्तर प्रदेश का नंबर आता है जहां साल 2012 में 19.94 लाख सैलानी पहुंचे। उत्तर प्रदेश के बाद राजस्थान का स्थान है जहां साल 2012 में 14.51 लाख विदेशी सैलानी पहुंचे थे। राजस्थान के बाद पश्चिम बंगाल का नंबर आता है जहां 2012 में कुल विदेशी सैलानियों में 12.20 लाख सैलानी पहुंचे। पश्चिम बंगाल के बाद बिहार का नंबर आता है जहां 2012 में कुल विदेशी सैलानियों में 10.97 लाख सैलानी बिहार पहुंचे। तो फिर गुजरात कहां है जिसका मोदी के विज्ञापनों में प्रचार किया जा रहा है? असल में लाख प्रचार और चर्चा के बाद बीते तीन सालों में विदेशी सैलानियों ने गुजरात का रुख आज तक नहीं किया है। विदेशी सैलानियों के मामले में केरल, कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश और हरियाणा भी बहुत आगे हैं। अगर विदेशी सैलानियों के मामले में गुजरात का आंकड़ा देंखे तो 2010 से 2012 के बीच क्रमश: 1.31, 1.66 और 1.74 लाख विदेशी सैलानी ही गुजरात देखने पहुंचे।

हालांकि विदेशी सैलानियों के मुकाबले देशी सैलानियों के मामले में गुजरात की हालत बेहतर है लेकिन यहां भी वह टॉप फाइव राज्यों में शामिल नहीं है। विदेशी पर्यटकों के मामले में (2.93 लाख) आंकड़े के साथ आंध्र प्रदेश भी गुजरात से आगे तो है ही लेकिन देशी पर्यटकों के मामले में वह अव्वल है। 2012 के आंकड़ों के अनुसार देशी पर्यटक सबसे ज्यादा आंध्र प्रदेश गये, उसके बाद तमिलनाडु दूसरे नंबर पर है। तमिलनाडु के बाद तीसरे नंबर पर उत्तर प्रदेश है। उत्तर प्रदेश के बाद चौथे नंबर कर्नाटक है और पांचवे नंबर पर महाराष्ट्र है। देशी पर्यटन के मामले में भी गुजरात भाजपा शासित राज्य मध्य प्रदेश से भी पीछे है जहां इसी साल में गुजरात से दोगुने देशी पर्यटक पहुंचे। अमिताभ बच्चन ने भले ही एक बार गुजरात आने की कितनी भी गुजारिश की हो लेकिन देशी पर्यटकों ने भी मोदी का गुजरात देखने में कोई खास उत्साह नहीं दिखाया है।

निश्चित रूप से मोदी का प्रचारतंत्र कोई भी प्रचार कर ले लेकिन ये आंकड़े मोदी राज के वाइब्रंट गुजरात की पोल भी खोलते हैं। दुनियाभर में सैलानी किसी देश या राज्य में अमन चैन को नापनेवाले ऐसे पैरामीटर होते हैं जो वहीं अधिक जाते हैं जहां आकर्षण होता है। इस लिहाज से पर्यटन मंत्रालय के ये आंकड़े मोदी के गुजरात की चमक फीकी करते हैं।
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