लगभग हर एग्जिट पोल एक ही दिशा में इशारा कर रहा है, ऐसे में यह अंदाजा हो सकता है कि ये कमोबेश सही ही साबित होंगे। लोकनीति-सीएसडीएस-सीएनएन आईबीएन पोस्ट पोल में एनडीए को 16वीं लोकसभा में 270-282 सीटें दी गई हैं। आज तक-सिसेरो पोल एनडीए की झोली में 261-283 सीटें डाल रहा है, जबकि इंडिया टीवी-सी वोटर 289 सीटें। यहां तक कि 180 लोकसभा सीटों पर पांच लाख से ज्यादा वोटरों का बड़ा सैम्पल साइज रखने वाला टाइम्स नाउ-ओआरजी पोल ने एनडीए को सबसे कम सीट दीं, तो 249 दीं। एबीपी न्यूज-नील्सन पोल के मुताबिक एनडीए को 281 सीट का स्पष्ट बहुमत मिलेगा और उसे चुनाव बाद किसी गठबंधन की जरूरत नहीं होगी। अनुमान देखें, तो साफ हो जाता है कि हम 16 मई को कुछ और कर सकते हैं, क्योंकि नतीजे तो हमें पता ही हैं। लेकिन जरा रुकिए।
दरअसल, फर्स्टफोस्ट ने लिखा है कि 16 मई का दिन एग्जिट पोल की तुलना में कहीं ज्यादा दिलचस्प और चौंकाने वाला हो सकता है। एग्जिट पोल के साथ दिक्कत यह है कि वो भले एक दिशा में इशारा कर रहे हों, लेकिन एक गड़बड़ भी है।
यह नहीं बताया गया कि इन सभी पोल ने अलग-अलग राज्यों की सीटों का बंटवारा राजनीतिक दलों के बीच कैसे किया गया है। तमाम पोल में टाइम्स नाउ-ओआरजी सबसे ज्यादा चौंकाता है।
इसका एक नमूना यह रहा। इसमें दिखाया गया है कि बिहार में जेडीयू का प्रदर्शन आरजेडी-कांग्रेस से बेहतर रहेगा। नीतीश कुमार के हिस्से दस और लालू की झोली में दो सीट दी गई हैं। शेष 28 सीट भाजपा-लोजपा को दी गई हैं। इसी पोल में उड़ीसा में भाजपा वोट शेयर के मामले में दूसरे नंबर पर पहुंचती बताई गई है, लेकिन 21 में से सिर्फ एक सीट उसे दी गई है। कांग्रेस को कम वोट शेयर के बावजूद ज्यादा सीट दी गई हैं। एक और चौंकाने वाली बात यह है कि कर्नाटक में भाजपा का प्रदर्शन कांग्रेस से बेहतर बताया गया है, जबकि राजस्थान में कांग्रेस के भाजपा से आगे निकलने की बात कही गई। साथ ही वो मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में उतना अच्छा प्रदर्शन नहीं कर रही, जितना उम्मीद की जा रही है।
जाहिर है, इन तीनों स्थिति की संभावना काफी कम है। लोकनीति-सीएसडीएस-सीएनएनआईबीएन के पोस्ट पोल में इन सभी राज्यों में पूरी तरह अलग नतीजे दिखाए गए हैं। दूसरे पोल में राज्यों के स्तर पर सीटों के मामले में काफी अंतर दिखाया है। सवाल यह है कि अगर राष्ट्रीय स्तर पर सीटों की संख्या को लेकर एक राय है और राज्य स्तर पर काफी अंतर है, तो 16 मई को वाकई सरप्राइज सामने आ सकते हैं।
2004 याद कर लीजिए, जब आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु के मामले में पोल के नतीजे और असल नतीजे पूरी तरह उलट गए थे। महाराष्ट्र या आंध्र प्रदेश या फिर उत्तर प्रदेश जैसे किसी बडे़ राज्य में अगर एनडीए के साथ ऐसा हुआ, तो क्या होगा।
दरअसल, अगर वाकई एनडीए को इन राज्यों में उम्मीदों की तुलना में कम या बेहद कम सीटें मिलती हैं, तो अंतिम नतीजा पूरी तरह अलग हो सकता है। ऐसे में नरेंद्र मोदी को दिक्कत हो सकती है।
दूसरी बात यह है कि एग्जिट पोल, ओपिनियन की तुलना में ज्यादा सटीक माने जाते हैं, लेकिन इस बात की गुंजाइश रह जाती है कि वो पूरा ट्रेंड आंकने में नाकाम साबित हों।
दरअसल, जब किसी राज्य में एक ट्रेंड दिखता है, तो सीटों के अनुमान में किसी एक पार्टी को भारी फायदा होने की उम्मीद जताई जा सकती है। लेकिन नतीजे आते हैं, तो पता चलता है कि मामला क्लीन स्वीप से काफी पीछे रह गया। अंतिम पलों में सीटें बढ़ने से समाजवादी पार्टी उत्तर प्रदेश में सत्ता तक पहुंच गई थी, जबकि बसपा के साथ उसका वोट अंतर केवल चार फीसदी था। इसलिए यह समझ लेना चाहिए कि नतीजे 16 मई के मायने रखते हैं, 12 मई के नहीं!
1 thought on “क्या चुनाव परिणाम चौंकाने वाले होंगे?”
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बिलकुल सही कहा आपने फैसला तो १६ मई को ही होगा पर इतना चौंकाने वाला भी नहीं जितना कुछ चैनल दिखा रहे है या बुरा भी नहीं जैसा टाइम्स दिखा रहा है