आम आदमी पार्टी की संस्थापक सदस्य और पार्टी की वरिष्ठ नेता शाजिया इल्मी के इस्तीफे ने एक तरफ जहां पार्टी नेताओं को सकते में डाल दिया है, वहीं पार्टी की कार्यप्रणाली पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। इस्तीफे की टाइमिंग सबसे अहम है, क्योंकि शाजिया ने यह कदम ऐसे वक्त उठाया है, जब पार्टी के सबसे बड़े लीडर अरविंद केजरीवाल तिहाड़ जेल में बंद है, लोकसभा चुनावों में पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा है और दिल्ली में विधानसभा चुनाव सिर पर हैं। ऐसे में शाजिया के इस कदम ने कांग्रेस और बीजेपी को भी आम आदमी पार्टी पर हमला बोलने का एक बड़ा मौका दे दिया है। चूंकि शाजिया इस वक्त पार्टी का एकमात्र बड़ा महिला और मुस्लिम चेहरा थीं और मुस्लिम वोटरों को पार्टी के पक्ष में लाने में काफी अहम भूमिका भी निभा रहीं थीं, ऐसे में उनके जाने से पार्टी के मुस्लिम वोट बैंक को भी झटका लग सकता है।

शाजिया ने अभी क्यों दिया इस्तीफा?
एनबीटी से बातचीत में दिल्ली में पार्टी के कुछ विधायकों ने भी यह माना है कि पार्टी में कम्यूनिकेशन गैप है, जिसके चलते कई लोग अपनी बात पार्टी नेतृत्व तक नहीं पहुंचा पाते हैं। इसके अलावा सबको विश्वास में लेकर और आपसी सहमति से फैसले लेने का चलन भी कम होता जा रहा है। विधायकों का सुझाव था कि पार्टी को जल्द से जल्द इस व्यवस्था में सुधार करना चाहिए। शुक्रवार की रात को जब ऐसी खबरें आईं कि शाजिया पार्टी की सदस्यता से इस्तीफा दे सकती हैं, तो शनिवार की सुबह उन्हें मनाने की कोशिशें भी की गईं। हालांकि ये कोशिशें पार्टी के स्तर पर कम और व्यक्तिगत स्तर पर ज्यादा की गई थीं।