संघ की दूसरी चालः पहले मोदी, अब शाह

amit_shahअमित शाह की बीजेपी अध्यक्ष के रूप में ताजपोशी के मायने एक खाली पद को भरने से कहीं ज्यादा हैं। दरअसल शाह को अध्यक्ष बनाने में संघ की भूमिका अहम रही है। जानिए क्या हैं शाह के बीजेपी अध्यक्ष बनने के मायने…
अमित शाह की ताजपोशी दरअसल राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की पिछले साल जून में बीजेपी के अंदर शुरू किए गए ‘प्रयोग’ का ही एक हिस्सा है। तब संघ बीजेपी के पीएम कैंडिडेट पर वरिष्ठ लालकृष्ण आडवाणी को पीछे कर मोदी के साथ खड़ा नजर आया था। संघ की यह इंजिनियरिंग हिट रही। मोदी पीएम की कुर्सी तक पहुंचने में कामयाब रहे और यूपी में अमित शाह बीजेपी के सबसे बड़े रणनीतिकार साबित हुए।
सरकार और पार्टी में रहेगा बेहतर तालमेल 
सूत्रों के मुताबिक आरएसएस का मानना है कि मोदी को उनकी पसंद का अध्यक्ष देने से पार्टी और सरकार के बीच तालमेल बेहतर रहेगा। शाह न सिर्फ मोदी के विश्वस्त हैं, बल्कि गुजरात में मोदी के मुख्यमंत्री रहते वह गृहमंत्री के तौर पर उनके साथ काम भी कर चुके हैं।
सत्ता के दो केंद्रों से बचने का उपाय 
सूत्रों के मुताबिक पार्टी और सरकार के टॉप पद एक ही राज्य (गुजरात) को देने को लेकर बीजेपी और आरएसएस में असमंजस था, लेकिन यूपीए सरकार में सत्ता के दो केंद्रों के उभरने वाली गलती से बचने के लिए इस पर समझौता किया गया। यूपीए सरकार में पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के रूप में सत्ता के दो केंद्र उभरने से कई बार सरकार की फजीहत हुई थी।
विधानसभा चुनाव पर नजर
शाह को पार्टी अध्यक्ष बनाने की एक और वजह आगामी विधानसभा चुनाव भी हैं। अगले कुछ महीनों में महाराष्ट्र, हरियाणा समेत कुछ अन्य राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं और अगले साल बिहार में चुनाव होगा। झारखंड और दिल्ली में कभी भी चुनाव की स्थिति है। पार्टी और संघ इन राज्यों में पैठ मजबूत करना चाहते हैं, इसलिए भी शाह को इस पद की जिम्मेदारी दी गई है।

error: Content is protected !!