अबकी बार दोगली सरकार

modi_in_Lok_Sabha_Electionइमरान रिज़वी- कभी नेहरु पर सरदार पटेल की अंत्येष्टि में शामिल ना होने का मिथ्या आरोप लगाने वाले मोदी खुद अपने काबिना मंत्री गोपीनाथ मुंडे के अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हुए।
मैं देश नहीं बिकने दूंगा … का चुनावी नारा देकर सत्ता में आने वाले ने बागडोर सम्हालते ही सौ फीसदी एफडीआई लागू करने का पिछली सरकार का छोड़ा अधूरा काम पूरा किया।
जो कभी “बहुत हुई महंगाई की मार अबकी बार मोदी सरकार” के होर्डिंग्स लगाय करते थे वो आज महंगाई बढ़ने के किए मानसून को दोष देते दिखाई पड़ रहे हैं…
चुनावी दौर के अपने ताबड़तोड़ आठ दस इंटरव्यूज़ में इन्हीं मोदी ने मुस्लिम टोपी न पहनने के सवाल पर कहा था कि “मैं टोपी नहीं पहनूंगा लेकिन उस टोपी के सम्मान पर कोई आंच आएगी तो ऐसी हरकत करने वाले को कानून सम्मत दंड मिलना चाहिए, मेरा ऐसा सोचना है।
खैर वो मौक़ा भी हालात ने उन्हें जल्द ही दे दिया। शिवसेना सांसदों की नीच हरकत और उसके बाद देश की स्टार खिलाड़ी सानिया मिर्ज़ा का अपमान किया गया पीएम साहब कुछ नहीं बोले।
संसद में और विदेश में हिंदी बोलने और हिंदी को प्राथमिकता देने का ढोंग रचाने वाले मोदी के सामने बजट भाषण अंग्रेज़ी में पढ़ा गया और अब कल ही अपनी भाषा के लिए संघर्ष कर रहे UPSC के हिंदी भाषी छात्रों को दिल्ली में पुलिस द्वारा दौड़ा दौड़ा के पीटा गया, (हम अंग्रेज़ी भाषा के नहीं लेकिन इस देसी दोगलेपन के ज़रूर खिलाफ हैं)
ज़ाहिर है कि मनमोहक लुभावने नारे देखकर वोट देने वाली जनता ठगी जा चुकी है, और उस को इस बात का एहसास भी हो चुका है, शपथ लेने के दो महीने के अंदर किसी पीएम का इतनी अधिक संख्या में पुतला आज तक नहीं फूंका गया जितना कि मोदी साहब का फूंका जा चुका है…
इतना सब होने के बाद भी अगर आप इस मोदी सरकार से कुछ अच्छा करने की उम्मीद पाले बैठे हैं तो आपको दिमागी अंधेपन के इलाज की फ़ौरन और सख्त ज़रूरत है, जितनी जल्दी हो सके नज़दीक के अस्पताल में संपर्क करें… क्योंकि यह सब देखने के बाद भी जब मैं किसी ज़ाहिरी तौर पर परिपक्व समझे जाने वाले इन्सान को मोदी समर्थन करते हुए देखता हूँ तो बस एक मिनट से भी कम समय में उसकी सोच का दायरा और बौद्धिक/मानसिक हैसियत समझ में आ जाती है।
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