दिल्ली पर अमित शाह ही चुप्पी पर सवाल

amit_shahक्या दिल्ली में बीजेपी सरकार बनाने जा रही है या फिर वह चुनाव टालने की कोशिश में है? यह सवाल इसलिए खड़ा हुआ है, क्योंकि राजधानी में शनिवार को हुई पार्टी की राष्ट्रीय परिषद की बैठक में विधानसभा चुनाव का मसला आया तो चार राज्यों का तो जिक्र हुआ, लेकिन पार्टी अध्यक्ष ने दिल्ली पर चुप्पी साधे रखी। लिहाजा अब सवाल उठ रहा है कि आखिर दिल्ली को लेकर पार्टी क्या चाहती है?  पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने अपने भाषण में पार्टी वर्करों से कहा कि अब आने वाले चार राज्यों के विधानसभा चुनाव में जीत के लिए ताकत झोंकनी है। उन्होंने बाकायदा जम्मू-कश्मीर, झारखंड, हरियाणा और महाराष्ट्र का जिक्र किया, लेकिन दिल्ली को लेकर एक शब्द भी नहीं कहा। दिल्ली में विधानसभा निलंबित है और सरकार बनने के आसार नजर नहीं आ रहे हैं। जाहिर है कि यदि सरकार नहीं बन रही है, तो बीजेपी को भी दिल्ली में चुनाव की तैयारियों में जुटना चाहिए। लेकिन शाह की चुप्पी को लेकर पार्टी के नेताओं में ही भ्रम पैदा हो गया है।
पार्टी सूत्रों का कहना है कि यदि शाह के भाषण को देखा जाए तो उसका अर्थ यह है कि पार्टी दिल्ली में चुनाव नहीं चाहती। जाहिर है कि खुद पार्टी के नेता भी नहीं समझ पा रहे कि आलाकमान के दिल में क्या है? कायदे से ऐसी स्थिति में खुद पार्टी को इस बैठक में ही दिल्ली के वर्करों को चुनाव के लिए तैयार रहने का आह्वान करना चाहिए था। लेकिन ऐसा कुछ कहा ही नहीं गया। यहां तक की दिल्ली को लेकर किसी दिग्गज नेता ने टिप्पणी तक नहीं की। अब पार्टी में कयास लगाए जा रहे हैं कि संभवत: आलाकमान दिल्ली को लेकर पत्ते नहीं खोलना चाहता।  जेपी सूत्रों का कहना है कि अभी दिल्ली में हालात अनुकूल नहीं होने से ही बीजेपी चुनाव नहीं चाहती। लेकिन सरकार के लिए उसके पास नंबर भी नहीं हैं। ऐसे में पार्टी की रणनीति है कि जब तक चार राज्यों के चुनाव की तारीखों का ऐलान नहीं हो जाता, तब तक चुप्पी साधे रखी जाए। वहां चुनाव संपन्न होने के बाद जोड़-तोड़ करके सरकार बननी संभव हो तो बनाई जाए, वरना चुनाव का ऐलान कर दिया जाए। ऐसे हालात में जनवरी या फरवरी में ही चुनाव हो पाएंगे और तब तक दिल्ली में हालात भी पार्टी के अनुकूल हो जाएंगे।

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