भीलवाड़ा जिला मुख्यालय से महज़ 17 किलोमीटर की दूरी पर स्थित देवली गाँव
के दलित पीढियों से अन्याय ,अत्याचार और भेदभाव सहन करते आ रहे है ,गाँव
में बहुतायत में जाट समुदाय के लोग निवास करते है ,जिन्हें दलितों का सिर
उठा कर चलना पसंद नहीं है ,उन्हें दलित युवाओं का आधुनिक रहन सहन भी
बर्दाश्त नहीं होता है ,ना ही उन्हें यह अच्छा लगता है कि दलित समुदाय के
लोग प्रगति करें और आगे बढे ,इसलिए दबंग जाट दलित बलाई जाति के लोगों पर
तरह तरह के अत्याचार करते है और दलितों को दबाये रखने का कोई भी मौका
नहीं छोड़ना चाहते है .
25 अक्टूबर 2014 की शाम 7 बजे की बात है कि सुवालाल बलाई का 19 वर्षीय
लड़का राजेन्द्र उर्फ़ राजू अपने पिता के साथ खेत से मूंगफली की फसल लाने
के बाद नहाने की साबुन लेने शंकर जाट की दुकान पर चला गया ,राजू ने
केफ्री पहनी हुयी थी ,जो कि गाँव में काम करते वक़्त युवाओं द्वारा आजकल
पहना जाने वाला लोकप्रिय पहनावा है .जब केफ्री पहने हुए दलित युवक राजू
बलाई को देवली गाँव के ही गोपाल जाट ,नाना जाट ,गेहरू जाट और रामचरण जाट
ने देखा तो उन्हें अखरा कि एक दलित की यह बिसात कि वह गाँव के बीच केफ्री
पहन कर आये ,सो उन्होंने हमसलाह हो कर राजू को पकड़ लिया और दुकान से
खींच कर नीचे गिरा दिया और उसके साथ मारपीट करते हुए गला दबा कर मारने की
कोशिश की ,इसी के साथ जाति सूचक अपमानकारक गालियाँ देते हुए कहा कि – ‘
तुम नीच जात ,तुम्हारी हम जाटों के सामने क्या औकात ? आज के बाद केफ्री
पहन कर गाँव में आया तो जिन्दा नहीं छोड़ेंगे ‘.
मारपीट ,धमकी और जातिय प्रताड़ना का शिकार राजू बलाई किसी तरह भागकर अपने
घर पंहुचा और अपने पिता सुवालाल को जानकारी दी ,इस दरिंदगी से नाराज कुछ
दलित युवा सुवालाल के साथ गाँव में गए तो मारपीट और जातिगत अपमान करने
वाले सभी लोग भेरूजी के स्थान पर बैठे मिल गए ,जब दलित युवा राजू के पिता
सुवा लाल ने उनसे पूंछा कि मेरे बच्चे की क्या गलती थी जो उसे पीटा गया ?
इस सवाल से जाट समुदाय के उक्त लोग नाराज़ हो गए और उन्होंने सुवा लाल
बलाई के साथ भी मारपीट करना शुरू कर दिया ,जब अन्य दलितों ने बीच बचाव
किया तो उनके साथ भी अभद्रता की गयी और कहा कि – ‘ तुम बलाटों अपनी औकात
में रहो वरना गाँव में निकलना बंद कर देंगे ,आज के बाद किसी दलित को
केफ्री पहने देखा तो बीच बाज़ार में काट देंगे .वहां मौजूद दलितों ने
सुवा लाल तथा उसके पुत्र राजू को छुड़ाया और घर पर पंहुचाया .
पीड़ित दलितों के मुताबिक केफ्री पहनने की वजह से मारपीट और जातिगत अपमान
की यह तीसरी घटना है जो इस साल घटी है ,अन्याय और छुआछूत के अन्य तरीकों
की दुखद घटनाएँ तो यहाँ आम बात है ,शहर के इतने नज़दीक स्थित इस गाँव के
दलितों की नियति है चुपचाप अत्याचार को सहना ,लेकिन इस बार दलित युवाओं
ने इस भेदभाव के खिलाफ़ आवाज़ उठाने की हिम्मत की और भीलवाड़ा जिले के
पुर थाने में उपरोक्त घटना की प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करवाई ,हालाँकि
मामला दर्ज होने के दो दिन बाद पुलिस उपाधीक्षक राम सिंह चौधरी घटना स्थल
पर पंहुचे और मौका पर्चा बनाया और पीड़ितों के बयान लिये .जाँच अधिकारी
की गाँव में मौजूदगी के दौरान ही राम लाल जाट नामक व्यक्ति ने दलितों के
पक्ष में गवाही दे रहे मुकेश छीपा को साफ तौर पर चेतावनी दी कि वह दलितों
के पक्ष में गवाही नहीं दें वरना गंभीर नतीजे भुगतने को तैयार रहे .गवाह
मुकेश ने अपने मोबाइल में इस धमकी को रिकॉर्ड कर लिया और पुलिस उपाधीक्षक
को सुनाया ,मगर पुलिस की और से साक्षी की सुरक्षा के लिए कोई भी इंतजाम
नहीं किये गए ,ना ही पुलिस ने किसी प्रकार की निरोधात्मक कार्यवाही की है
,इससे आरोपियों के हौंसले बुलंद है .उन्होंने गाँव में खांप पंचायत की
भांति गाँव पंचायत की और पीड़ित एवं गवाह पक्ष को पेश होने का निर्देश
दिया ,हालाँकि दलितों ने इस तरह की असंवैधानिक पञ्च पंचायत में जाने से
साफ इंकार कर दिया मगर गवाह मुकेश के परिवार को बुला कर कहा गया है कि
अगर मुकेश अपनी गवाही वापस नहीं लेगा तो उन लोगों को गाँव छोड़ना पड़ेगा
.इसके बाद से ही गवाह मुकेश छीपा का परिवार दशहत के साये में जी रहा है
,उनका अंदेशा है कि कभी भी उनके साथ कोई भी संगीन वारदात की जा सकती है
,वहीँ पीड़ित दलित का साथ दे रहे अन्य दलित युवा भी गाँव के दबंग जाटों
के निशाने पर आ गए है ,उनको भी मारने के लिए पीछा किया जा रहा है.गाँव के
दलित भय के माहौल में जीने को विवश है .कहीं सुनवाई नहीं हो रही है
,पीड़ित समुदाय के एक युवा मंडल ने पुलिस अधीक्षक को ज्ञापन भी दिया
बताया है और इस समाज के कतिपय नेताओं ने आला अधिकारीयों से भी बातचीत की
है ,मगर अब तक कोई कार्यवाही नहीं हो पाई है ,आरोपी खुलेआम घूम रहे है
तथा न्याय के लिए संघर्ष कर रहे दलितों को धमका रहे है .
वैसे इस गाँव में कमजोर दलितों पर अत्याचार करना दबंग जाट अपना
विशेषाधिकार समझते है ,गत वर्ष अक्टूबर में भी भेरुलाल तथा राजू बलाई के
साथ गाँव के भेरू जी के स्थान के पास हजारी जाट तथा गोपाल जाट और उनके
चार पांच साथियों ने यह कहते हुए मारपीट की कि – बलाटों तुम्हारे आजकल
भाव बहुत बढ़ गए है .दोनों युवा भाग कर घर आये तथा अपने बुजुर्गों को
बताया मगर घर वालों ने कहा कि इन जाटों के 200 परिवार गाँव में है ,हम
इनसे नहीं लड़ सकते है ,इसलिए चुप बैठना पड़ा ,गत साल दिसम्बर माह में
तोताराम बलाई ,राजू बलाई जब मुकेश छीपा की दुकान से सिगरेट खरीद कर
फेक्ट्री जा रहे थे तो गोपाल और अम्बा जाट आदि ने उनके साथ मारपीट की और
कहा कि तुम बलाटों ने बहुत प्रोग्रेस कर ली.तुम सिगरेट पियोगे तो हम क्या
पियेंगे ?गाँव में आज के बाद सिगरेट पीते नज़र आये तो मंहगा पड़ेगा .वर्ष
2012 में भी अतिक्रमण हटाने के नाम पर सिर्फ दलित बलाईयों के ही बाड़े
हटाये गए जबकि जाट समुदाय के लोगों ने गाँव में भारी मात्रा में जमीनों
पर आज तक अतिक्रमण कर रखा है .उन्हें नहीं हटाया गया .बलाई समाज के
आराध्यदेव रामदेव पीर के बेवान के बाद भी हेमेन्द्र बलाई के साथ मारपीट
की गयी ,गाँव के पनघट पर बैठ कर गंदे फिकरे कसने पर आपत्ति करने पर गेहरु
,अम्बा ,गोपाल और रामचरण जाट आदि ने रतन बलाई और गोपाल बलाई के साथ
मारपीट की ,हाल ही मैं गाँव के एकमात्र दलित कर्मचारी मिठुलाल बलाई के
बाड़े में भी इन्हीं तत्वों ने आग लगा कर सारा चारा जला दिया ,पुलिस ने
अफ आई आर तक दर्ज नहीं की .
कुल मिला कर देवली के दलितों को हर तरह से परेशान करके उन्हें नारकीय
जीवन जीने को मजबूर किया जा रहा है ,अब जबकि उन्होंने अन्याय के खिलाफ उठ
खड़े होने की पहल की है तो उन पर चोरी और लड़कियां छेड़ने तथा शराब पी कर
गाँव में आवारागर्दी करने जैसे झूठे आरोप लगाये जा रहे है ,विडम्बना
देखिये कि यहाँ पर विधायक से लेकर जाँच अधिकारी तक सब उसी जाट समुदाय से
है जो इन दलितों का जीना हराम किये हुए है ,जिले के आला अधिकारी दलितों
के लिए काला पानी की सज़ा बनते जा रहे इस गाँव में निरंतर घट रही दलित
उत्पीडन की वारदातों को सामान्य ले रहे है ,जबकि जिले में दलितों के घर
जलाने से लेकर उन्हें जान से मार देने की संगीन वारदातें जारी है
.भीलवाड़ा के दलित मिस्टर प्राइम मिनिस्टर के कथित अच्छे दिन झेल ही नहीं
पा रहे है .उन्हें अच्छे दिनों की उम्मीद तो थी मगर इतने अच्छे दिन इतनी
जल्दी आ जायेंगे शायद यह उम्मीद नहीं थी .
-भंवर मेघवंशी
(लेखक राजस्थान में दलित ,आदिवासी एवं घुमन्तु वर्गों के प्रश्नों पर कार्यरत है )