नई दिल्ली(प्रैसवार्ता)। भाजपा द्वारा किरण बेदी को पैराशूट से उतारकर वरिष्ठ भाजपाई दिग्गजों को दरकिनार कर सीएम उम्मीदवार की घोषणा ने भाजपा को एक अग्रि परीक्षा में उतरने पर मजबूर कर दिया है। देश की पूरी भाजपा, राष्ट्रीय सेवक संघ ने दिल्ली में डेरा डाला हुआ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा के राष्ट्रीय प्रधान अमित शाह, भाजपाई केंद्रीय मंत्री, मुख्यमंत्री, मंत्री, सांसद व विधायक हिचकौले खा रही भाजपाई नैया को पार लगाने के लिए ऐडी चोटी का जोर लगाए हुए है। इतना कुछ होने के बावजूद भी भाजपा को डेरा सच्चा सौदा का समर्थन लेना संकेत देता है कि भाजपा की चुनावी जमीन खिसक रही है। भाजपा को डेरा सच्चा सौदा का समर्थन फायदा पहुंचाएगा या नुकसान को लेकर क्यास लगाए जाने लग गए है। दिल्ली में सिख मतदाताओं में एमएसजी फिल्म को लेकर पहले ही रोष पाया जा रहा था कि भाजपा ने डेरा समर्थन को लेकर उनके जख्मों पर नमक छिड़क दिया है। सिख बाहुल्य क्षेत्रों में भाजपाई नैया डगमगाने लग गई है, जिसमें आम आदमी पार्टी (आप) का पलड़ा भारी हो रहा है। अकाली दल भाजपा का आपसी तालमेल है, मगर डेरा सच्चा सौदा समर्थन को ताल और मेल अलग-अलग राह पकड़ता दिखाई देने लगा है। किरण बेदी को लेकर भाजपा, जहां अंदरूणी कलह की चपेट में है, वहीं किरण बेदी सिखों पर ज्यादतियों के लिए विवादित रही है। किरण बेदी भले ही 40 वर्ष की सेवा का राग अलापती रहे, मगर लोग किरण बेदी की पुलिसिया सेवा से वाकिफ है। मुस्लिम मतदाता, दलित मतदाता पहले ही झाडू की तरफ रूझान बनाए हुए है और डेरा समर्थन भी सिख मतदाताओं का रूझान झाडू की तरफ मोड़ सकता है। हिचकौले खा रही भाजपा के दिल्ली मानचित्र से अकाली दल भी उत्साहित है, क्योंकि भाजपाई उन्हें आंखें दिखाने लग गए थे। दिल्ली चुनाव में मोदी लहर कहीं नजर नहीं आती, बल्कि किरण बेदी को लेकर भाजपा ने घाटे का सौदा किया है। पैराशूट से उतरी किरण बेदी से नाराज बॉलीवुड सितारे हेमा मालिनी, विनोद खन्ना व शत्रुध्न सिन्हा ने दिल्ली चुनाव से न सिर्फ स्वयं को दूर रखा है, बल्कि शत्रुधन सिन्हा ने तो केजरीवाल को बेहतर और योग्य बताकर अपनी नाराजगी भाजपा नेतृत्व तक पहुंचा दी है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा का शुरूआती तथा अंतिम निर्णय भाजपा पर भारी पड़ सकता है, क्योकि मतदाता किरण बेदी को लेकर पहले ही असमजंस की स्थिति बनाए हुए थे, अब डेरा समर्थन ने उन्हें सोच बदलने पर लाकर खड़ा कर दिया है। दिल्ली के जागरूक मतदाता क्या निर्णय लेंगे, ये पता तो 10 फरवरी को चलेगा, मगर डेरा समर्थन को राजनीतिक पंडित फायदा का सौदा नहीं मानकर चल रहे है।
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