9 जून को दिनभर दिल्ली में जो राजनीतिक और प्रशासनिक उठापटक हुई, उसमें अरविंद केजरीवाल की सरकार को बर्खास्त किया जा सकता है। सवाल यह नहीं है कि दिल्ली में कानून मंत्री जितेन्द्र तोमर को फर्जी डिग्री के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया है, सवाल यह है कि दिल्ली की निर्वाचित सरकार और केन्द्र के मर्जीदान एलजी के अधिकारों को लेकर जो जंग चल रही है, उससे निकट भविष्य में केजरीवाल सरकार का जाना तय है। दिल्ली में विधानसभा के गठन के बाद यह पहला अवसर है, जब केन्द्र और दिल्ली में अलग-अलग राजनीतिक दल की सरकार है। इससे पहले केन्द्र में भाजपा की सरकार रही तो दिल्ली में भी भाजपा का शासन रहा। इसी प्रकार कांग्रेस के शासन में भी केन्द्र में कांग्रेस की सरकार रही। इसलिए एलजी और दिल्ली सरकार के अधिकारों का मतभेद खुलकर सामने नहीं आया। आम आदमी पार्टी के सीएम अरविंद केजरीवाल को इस बात का गुमान है कि जब जनता ने 70 में से 67 विधायक उनकी पार्टी के जिताए हैं तो फिर दिल्ली का शासन उन्हीं के इशारे पर चलेगा, जबकि केन्द्र की भाजपा सरकार का मानना है कि देश की राजधानी होने की वजह से दिल्ली का शासन उनके द्वारा नियुक्त एलजी ही करेंगे। यही वजह है कि एलजी जो आदेश जारी करते हैं उन्हें केजरीवाल मानने से इंकार कर देते हैं। एलजी ने 9 जून को केजरीवाल पर एक साथ दो मोटे हथोड़े चलाए हैं। सुबह कानून मंत्री जितेन्द्र तोमर को गिरफ्तार किया तो इसके साथ ही मुकेश मीणा को दिल्ली एसीबी का प्रमुख नियुक्त कर दिया।
वहीं केजरीवाल ने तोमर की गिरफ्तार पीएम नरेन्द्र मोदी के इशारे पर होना बताई तो मीणा को नियुक्त करने वाले गृह सचिव धर्मपाल को भी हटाने के आदेश जारी करें। यानि केजरीवाल की सरकार भी केन्द्र की भाजपा सरकार से कम नहीं है। डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने खतरनाक अंदाज में कहा कि दिल्ली में जो लोग भ्रष्टाचार कर रहे हैं उन्हें बक्शा नहीं जाएगा। केजरीवाल की सरकार अब सीएनजी फिटनेस केस घोटाले में एलजी नवीब जंग पर शिकंजा कसने वाली है। हो सकता है कि एसीबी में जंग के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज कर लिया जाए। यहां तक कि केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्री स्मृति इरानी की कथित फर्जी डिग्री के मामले में भी दिल्ली की एसीबी कोई मुकदमा दर्ज कर सकती है। केजरीवाल ने पहले ही अपनी एसीबी में बिहार से आए हुए अधिकारियों को नियुक्त करवा दिया है। केजरीवाल एसीबी के माध्यम से नवीब जंग और स्मृति इरानी के खिलाफ कार्यवाही करें। इससे पहले ही 9 जून को मुकेश मीणा को एसीबी का चीफ नियुक्त कर दिया गया है। जब दिल्ली की पुलिस केजरीवाल के कानून मंत्री को गिरफ्तार कर सकती है तो केजरीवाल की एसीबी नवीब जंग और स्मृति इरानी के विरुद्ध भी मुकदमा दर्ज कर सकती है। केजरीवाल के ऐसे कदम ही उनकी सरकार को बर्खास्त करवा देंगे। एक ओर जहां भाजपा और आप की सरकारें अहम की जंग लड़ रही है तो वहीं दिल्ली के नागरिकों की किसी को भी चिन्ता नहीं है। सफाई कर्मियों की हड़ताल की वजह से देश की राजधानी दिल्ली सडऩे लगी है। यह सब ऐसे हालात है जिसमें केजरीवाल को ज्यादा दिन तक सीएम की कुर्सी पर बनाए नहीं रखा जा सकता है। केजरीवाल दिल्ली में बिजली सप्लाई करने वाली रिलायंस कंपनी की ऑडिट कराने के लिए भी प्रभावी कार्यवाही कर रहे हैं, जबकि रिलायंस के मालिक अनिल अम्बानी है। केन्द्र की भाजपा सरकार कभी भी केजरीवाल को अनिल अम्बानी की गर्दन मरोडऩे का अवसर भी नहीं देगी। केजरीवाल इस मुगालते में नहीं रहे कि 70 में से 67 विधायक उनके हैं, इसलिए केन्द्र सरकार उनके विरुद्ध कार्यवाही नहीं कर सकती है। यदि केजरीवाल के पास 67 विधायक है तो नरेन्द्र मोदी के पास भी लोकसभा में भाजपा के 283 सांसद हैं। यदि लोकसभा में बर्खास्तगी का मुद्दा आया तो भाजपा के सांसदों की ही चलेगी। इस मामले में भाजपा को कांग्रेस का भी साथ मिलेगा।
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in) M-09829071511
