किसानो को क्या हो गया है जो उनसे ख़ुशी हजम नहीं हो पा रही है और किसान ख़ुशी ख़ुशी अपनी जान ही निछावर किये दे रहे हैं अपने नमो भाई पर ! कोई किसी टावर पर चढ़कर जान दे रहा है कोई सीधे सीधे घर में ही बैठ कर चुप चाप कहीँ से जहर ला कर खा लेता है कोई घर में पंखे से लटकता है तो कोई खुले आम दिल्ली के जंतर मंतर पर ही पेड़ से लटक कर जान दे देता है । और अपने नमो भाई भी बेहद उत्साहित हैं भले ही बड़ी पंचायत में बिल पास नहीं हो सका तो भी नमो भाई हुकनामें के बल पर भूमि अधिग्रहण को जीवित रखने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं । भले ही किसान अपने जिवित होने का अधिकार समाप्त किये जा रहे हैं । ये भी नहीं है की किसी ख़ास वर्ग या क्षेत्र या राज्य के किसान जान न्योछावर कर रहे हैं पूरे देश में ही होड़ लगी हुई है? ख़ास करके महाराष्ट्र के किसान सबसे आगे हैं ।उसके पीछे पंजाब के किसान जान निछावर करने में पीछे नही हैं ।
अंदर की बात यह है की यूरोपियन संगठन और उससे जुड़े सहायता समूह और वर्तमान में स्वयं अपने देश की नीतियों के निर्माता यह चाहते हैं कि अगले दसक में कृषि आधारित जीवन यापन पर निर्भरता 60 /70 के स्थान पर 50 प्रतिशत होनी चाहिए ।अब अपने देश का किसान ऐसे राष्ट्रिय महत्त्व के कार्य से कब मुंह मोड़ने वाला है ? भूमि अधिग्रहण क़ानून कब पास होगा कब अमल में आएगा और कब किसान अपनी जमीन से बेदखल होंगे । हुई न कहावत की कब नौ मन तेल होगा कब राधा जी नाचेंगी ? नाचेंगी भी की नहीं क्योंकि तेल भी हो गया तो फिर कोई आँगन न टेढ़ा बता दे तो और मुश्किल हो ही जायेगी ! इसलिए बेचारे देश भक्त किसान अपने नमो भाई पर जीवन ही निछावर किये दे रहे हैं। कि किस तरह राष्ट्रीय कर्त्तव्य पालन में अपना हिस्सा पूरा कर सके । अब हम तो ऐसा ही सोंचते है कि शयद किसान भाइयों ने देश में अच्छे दिन आने की आश में अपने बुरे दिनों में का अंत ही अपने हाथों से ही कार लिया है अपनी आत्म हत्या करके ?
बेचारे किसान के पास आत्महत्या करने के बाद अब हाथ से करने के लिए बचा ही क्या ? लेकिन अपने राहुल भैय्या है की जब पंजाब गए तो किसानो के बीच में घोषणा कर दी की आपके बुरे दिनों में मैं आपके साथ हूँ परंतु फिर भी नमो भाई के बुरे दिनों की समाप्ति वाले हवं कुण्ड में पंजाब के एक किसान ने अपनी आहुति दे ही दी ! धन्य हो नमो नमो !! S. P. Singh Meerut